रांचीः पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के एक बयान ने राज्य की राजनीति गरमा दी है. सालखन मुर्मू के बयान की कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने निंदा की है. बीजेपी ने कहा है कि इस मुद्दे का हल आपस में बातचीत कर निकाला जा सकता है. वहीं कांग्रेस ने सालखन मुर्मू को ओडिशा जाने की राजनीति करने की सलाह दी है.
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बीजेपी ने निंदाः भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने सालखन मुर्मू को विचलित मस्तिष्क वाला बताया है. उन्होंने कहा कि इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. सीपी सिंह ने कहा कि यह सही है कि पारसनाथ का पहाड़ जैन धर्मावलंबियों और आदिवासियों दोनों के महत्व का है. दोनों समुदाय के लोग मिल बैठकर इसका हल निकालेंगे, लेकिन पूर्व सांसद की भाषा ठीक नहीं है.
सालखन मुर्मू डेड हॉर्सः पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि इस तरह की धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता. उन्हें शर्म आनी चाहिए. भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या वह यह सोचते हैं कि इस तरह की बयानबाजी कर वह दोबारा सांसद बन जायेंगे. ऐसा नहीं होगा क्योंकि वह मरा हुआ घोड़ा यानी डेड हॉर्स के समान हैं.
ओडिशा जाकर राजनीति करें सालखन, अभी राज्य विकास की राह पर हैः कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि जनता द्वारा नकार दिए गए सालखन मुर्मू ने टीआरपी पाने के लिए बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सालखन मुर्मू के बयान को बटोलाबाजी करार दिया है. राकेश सिन्हा ने कहा कि राज्य की जनता ने सालखन मुर्मू को नकार दिया है. वह ओडिशा जाकर अपना राजनीतिक भविष्य तलाशें. कांग्रेस नेता ने कहा कि सबकुछ टूट जाएगा तो क्या सिर्फ वो ही खड़े रहेंगे.
क्या कहा था सालखन मुर्मू नेः पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन कर पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासियों का हक बताते हुए कहा था कि पहाड़ को जनजातीय समाज को सौंप देना चाहिए नहीं तो वहां के जैन मंदिर को तोड़ दिया जाएगा.
क्यों चर्चा में रहा है पारसनाथः झारखंड के गिरिडीह जिला में स्थित पारसनाथ का पहाड़ पिछले दिनों से देश दुनिया में चर्चा में रहा है. इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के बाद जैन धर्मावलंबियों का देशव्यापी विरोध इतना व्यापक हुआ कि सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा. पारसनाथ क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने वाले आदेश को केंद्र की सरकार ने स्थगित कर दिया. इसके बाद झामुमो नेता लोबिन हेम्ब्रम, सालखन मुर्मू जैसे नेता, पारसनाथ को आदिवासियों का बताते हुए रांची और गिरिडीह में बैठक और सभाएं की हैं. अब सालखन मुर्मू ने एक कदम और आगे जाकर जैन मंदिर तोड़ने तक का बयान देकर राज्य की राजनीति को फिर एक बार गरमा दिया है.