रांची: सरना धर्मकोड और जातीय जनगणना को लेकर कोई ठोस नतीजा भलें ही न निकले मगर इसको लेकर जारी राजनीति जरूर एक कदम और बढ गई है. ऐन वक्त पर प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के शामिल होने के निर्णय से गैर भाजपाई दल ना केवल फीलगुड में हैं बल्कि बीजेपी पर सवालों की झड़ी लगा दी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के खुद प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
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राजनीति से प्रेरित होकर उठाया गया कदम
जातीय जनगणना और सरना धर्म कोड पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष प्रतिनिधिमंडल की ओर से ज्ञापन सौपा जाना राजनीति से प्रेरित होकर है. यह हम नहीं बल्कि खुद सियासत करने वाले नेता विधायक कह रहे हैं. पूर्व स्पीकर और रांची के वर्तमान विधायक सीपी सिंह ने इसे राजनीति से प्रेरित होकर उठाया गया कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल थे जो पार्टी के दिशानिर्देश पर गये थे. सभी दल राजनीति करती है और आगे का भविष्य भी उसी पर तय होता है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की मांग उचित नहीं है. इससे सामाजिक विद्वेष बढेगा.
बीजेपी की पोल खुल गई
इधर, कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की पोल खुल गई है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि जिस सरना धर्मकोड पर वर्तमान राज्य सरकार ने विधानसभा से पास कराकर केन्द्र को भेजा उसे केन्द्र सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. भाजपा को आदिवासी विरोधी बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि जब जातीय जनगणना और सरना धर्मकोड पर केन्द्र से मिलने की बात आई तो बीजेपी पांव पीछे करने लगी. उन्होंने कहा कि अंत में मजबूरी बस बीजेपी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुई जिससे उसकी पोल खुल चूकी है.
रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री अमित शाह से मिला था. जिसमें भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, राजद से मंत्री सत्यानंद भोक्ता, माले विधायक विनोद कुमार सिंह, सीपीआई से भुवनेश्वर मेहता आदि शामिल थे.