रांचीः झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक बार फिर मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग को पत्र लिखा है. यह तीसरी बार है जब एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम की ओर से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है. इससे पहले दो बार ब्यूरो की ओर से अनुमति की मांग की जा चुकी है.
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लगभग डेढ़ वर्ष पहले एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने अपने प्रारंभिक जांच में यह पाया था कि गोपालजी तिवारी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. इसके बाद एसीबी की टीम ने निगरानी विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय को पत्र लिखकर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. लेकिन उस समय एसीबी को अनुमति प्रदान नहीं की गई. गोपालजी तिवारी पर अपने पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक 21.55 करोड़ रुपये अर्जित करने का आरोप है. इस राशि को जमीन और फ्लैट में निवेश किए जाने की बात कही जा रही है.
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री के आदेश पर ही एसीबी ने गोपालजी तिवारी के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी. तिवारी को उनके पद से हटाते हुए मुख्यमंत्री ने उन पर लगे आरोपों की जांच के आदेश दिए थे. गोपालजी तिवारी वर्तमान में पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं. उनके विरुद्ध मुख्यमंत्री के आदेश पर ही 29 जुलाई 2020 को एसीबी ने पीई दर्ज की थी. शिकायतकर्ता अधिवक्ता राजीव तिवारी ने मुख्यमंत्री को आवेदन देकर आरोप लगाया था कि गोपालजी तिवारी के बेटे नीलाभ तिवारी की कंपनी मेसर्स किंग्सले डेवलपर में भ्रष्टाचार से अर्जित धन को निवेश किया गया है. इस कंपनी का दफ्तर अशोक नगर में है.
एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गोपालजी तिवारी के बैंक खातों और निवेश से संबंधित कंपनी के बैंक खातों की पड़ताल की थी. इसमें हर जगह भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई थी. मंत्रिमंडल निगरानी को की गई अनुशंसा में एसीबी ने लिखा है कि सीएम के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं, इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दी जाए.