रांची: गर्मी का मौसम आते ही राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में लोगों को पानी के संकट से जूझना पड़ता है. राजधानी के विभिन्न इलाकों में अभी से ही लोगों को पानी के लिए दिक्कतें होने लगी है. खासकर राजधानी के हिनू, धुर्वा, डोरंडा, हरमू जैसे घनी आबादी वाले इलाके में पानी की कमी से लोग मार्च महीने के शुरुआती दिनों से ही परेशान हैं.
हिनू इलाके में रहने वाले संजय बताते हैं कि गर्मी का मौसम आते ही पानी का स्तर काफी नीचे चला जाता है, जिस वजह से एयरपोर्ट के आसपास बसे गांवों के लोगों को पानी की दिक्कतों से जूझना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जो मोटर पहले आधे घंटे में पानी का एक टंकी भर देता था, वहीं मोटर को टंकी भरने में लगभग डेढ़ से दो घंटे लगते हैं. जिस वजह से लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित होती है.
पानी का इंतजाम करना चुनौती: संजय बताते हैं कि जैसे ही मार्च महीने की शुरुआत हुई, वैसे ही लोगों को पीने के पानी की समस्या होने लगी है. सबसे ज्यादा दिक्कत हरमू, विद्यापति नगर के लोगों को हो रही है क्योंकि इन इलाकों में ग्राउंड वाटर का लेवल सबसे ज्यादा नीचे गिर जाता है. मार्च-अप्रैल के महीने से ही इन इलाकों के लोगों को आए दिन साइकिल या अन्य वाहन पर पानी ढोते हुए देखा जाता है. वहीं राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बताया कि गर्मी के मौसम में तालाब और पोखर भी सूख जाते हैं. कई तालाबों पर अतिक्रमण की वजह से तालाब समाप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में गर्मी का मौसम आते ही पानी का इंतजाम करना राजधानीवासियों के लिए चुनौती बन जाती है.
घरों में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कराने का निर्देश: शहर में पानी की समस्या को लेकर नगर निगम और नगर विकास विभाग की तरफ से यह निर्देश दिया गया है कि जितने भी नए मकान बन रहे हैं, उनमें वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कराई जाए. जिस मकान में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं होती है उस मकान का नक्शा पास नहीं किया जाए. हालांकि, अभी तक यह व्यवस्था शुरू नहीं हुई है, निगम इस पर काम कर रहा है. उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद लोगों को पानी का समस्या से थोड़ी राहत मिलेगी.
राजधानी के कई इलाकों में नहीं पहुंचा है पाइपलाइन: पानी की बढ़ती समस्या को देखते हुए रांची के उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय बताते हैं कि आज भी राजधानी रांची के कई क्षेत्रों में पाइपलाइन नहीं पहुंच पाए हैं, जिस वजह से लोग ग्राउंड वाटर या फिर तालाब के भरोसे पानी की आपूर्ति को पूरी करते हैं. इसी को देखते हुए तालाबों को बचाने के लिए निगम ने तालाब के सुंदरीकरण का निर्णय 2013 में ही लिया था. उसके तहत ही शहर के विभिन्न तालाबों में बाउंड्री लगाने का काम भी किया गया है. ताकि तालाबों और पोखरों का अतिक्रमण ना हो सके.
वाटर पाइप लीकेज को नजरअंदाज नहीं करने की अपील: वहीं जलापूर्ति विभाग के कार्यपालक अभियंता राधेश्याम रवि बताते हैं कि कई बार लोग अपने घरों में लापरवाही की वजह से नल को खुला छोड़ देते हैं या फिर यदि उनके घर में कहीं पाइप लीकेज होती है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं. जिस वजह से कई बार पेयजल लोगों तक नहीं पहुंच पाता. उन्होंने लोगों से अपील की है कि यदि आम लोगों को भी शहर के किसी भी क्षेत्र में वाटर पाइप क्षतिग्रस्त या फिर उस पाइप से लीकेज होते दिखाई देता है तो तुरंत ही स्वच्छता एवं पेयजल विभाग के संबंधित मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सूचित करें. ताकि उस समस्या को तुरंत ही ठीक किया जा सके और सभी लोगों तक पूर्ण रूप से पेयजल पहुंच सके.