रांची: राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का काम मात्र 37% ही हो पाया है. इसमें लगभग 85 करोड़ खर्च हुए जबकि इसके लिए 357 करोड़ रुपए का टेंडर लखनऊ की कंपनी ज्योति बिल्ड टेक को दिया गया था. अब अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को नए सिरे से काम कराने पर 350 करोड़ से अधिक खर्च होंगे. क्योंकि डीपीआर रिवाइज होने से 100 करोड़ से अधिक की बढ़ोतरी का आकलन किया गया है.
दुर्घटना की आशंका
सीवरेज ड्रेनेज की वजह से वार्ड नंबर 1 से 5 और 30 से 33 के तहत बजरा, पंडरा, पिस्का मोड़, बैंक कॉलोनी, रातू रोड, इंद्रपुरी, अलकापुरी, मोरहाबादी, बूटी बस्ती जैसे इलाकों में सड़क के बीचो बीच मैनहोल्स बनाए गए हैं. ये मैनहोल्स सड़क के लेबल से ऊंचे या नीचे हैं, जिसकी वजह से सड़क पर आवागमन में लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है और दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. लेकिन इन मैनहोल्स को सड़क के लेबल के सामान बनाने और दुर्घटनाओं की आशंका को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम रांची नगर निगम की ओर से नहीं उठाये गए है. जिससे आम जनता को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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जनता को नुकसान
शहर की सड़कों पर बने मैनहोल्स की वजह से वाहनों के आवागमन में लगातार असुविधा हो रही है. वार्ड पार्षद अरुण झा का कहना है कि मैनहोल्स लोगों के लिए दुर्घटनाओं को दावत दे रही है. पहले से ही राजधानी रांची नाले में बच्चे के बह जाने के मामले में बदनाम हैं. ऐसे में मैनहोल्स की वजह से बड़ी दुर्घटना होती है, तो फिर राजधानी का नाम खराब होगा. उन्होंने कहा कि सीवरेज ड्रेनेज की वजह से जहां सड़क नाली बर्बाद हो गए हैं, वहीं जनता को लाभ मिलने की बजाय नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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गलतियां होने पर कार्रवाई
वहीं, शहर की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि रांची नगर निगम लगातार नए प्लान के तहत काम करती आई है और जब किसी काम के टेंडर के बाद गलतियां पाई जाती है, तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. सीवरेज ड्रेनेज के कार्य में भी पाई गई गलतियों के बाद कार्रवाई की गई थी. अब सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है. ताकि लोगों को समस्याओं से भी निजात मिल सके.
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मैनहोल्स पर काम जारी
इधर उप नगर आयुक्त शंकर यादव ने कहा कि नालों और मैनहोल्स को लेकर पिछले बैठकों में चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि मैनहोल्स से ज्यादा यहां बड़े नालों की वजह से दुर्घटनाओं की संभावनाएं रहती है. ऐसे में उन्हें ढकने और वहां के आसपास के लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.
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बहरहाल, राजधानी रांची की जनता की सुविधा के लिए नगर निगम ने सीवरेज ड्रेनेज पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं. लेकिन योजना अधूरी रह गयी. साथ ही मैनहोल्स सड़क के बीचो बीच बनने और सड़क के लेबल से ऊपर नीचे होने की वजह से कई समस्याएं ही बढ़ गयी है. लेकिन सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.