रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने घोषणा पत्र के जरिए सैकड़ों लोकलुभावन वादे कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर जो योजनाएं चल रही है, उसकी क्या हालत है. ईटीवी भारत की टीम कांके विधानसभा क्षेत्र के चिरौंदी स्थित स्लम बस्ती ग्राउंड रिपोर्ट जानने पहुंची. इसे स्लम बस्ती भी नहीं कह सकते हैं, क्योंकि वर्ष 2009 में बड़े ही तामझाम के साथ यहां 2000 झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए पक्के मकान का निर्माण करवाया गया था, लेकिन निर्माण के बाद एक बार भी इस ओर झांकने कोई नहीं आया.
गंदगी का अंबार, जानवरों के साथ नींद
चुनावी समर के दौरान स्थानीय नेता क्षेत्र में जरूर पहुंचते हैं और अपने पक्ष में वोट की अपील भी करते हैं, लेकिन क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं की ओर ध्यान देने वाला या फिर सुध लेने वाला कोई नहीं है. चिरौंदी बस्ती में गंदगी का अंबार है. जानवरों के साथ लोग सोने, बैठने और खाने को मजबूर हैं. पीने की पानी नहीं है, नालिया बजबजा रही है. छत का हालत बेहाल है. कब गिरकर एक बड़ी दुर्घटना घट जाए यह कहना मुश्किल है. हालांकि, इसे लेकर एक बार नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने यहां के बाशिंदों को आश्वासन दिया था कि करोड़ों की लागत से इस जगह को सुधारा जाएगा, मेंटेनेंस का काम होगा. पेयजल की व्यवस्था होगी. स्वच्छता होगी शौचालय होगी, लेकिन यहां के लोग कहते हैं उनके लिए यह सब घोषणाएं तो बस सपना है. लोग बदहाल स्थिति में जिंदगी जीने को मजबूर है. आए दिन यहां के बच्चे कुपोषित हो रहे हैं, डेंगू मलेरिया से लोग पीड़ित हैं.
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करते हैं मतदान पर नहीं होता जलपान
इस क्षेत्र के रहने वाले लोग इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं. सब के पास वोटर कार्ड है, राशन कार्ड है लोग मतदान भी करते हैं, लेकिन यह सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक ही बनकर रह गए हैं. इनके विकास के लिए कभी भी सोचा नहीं गया है. एक बार फिर चुनावी मौसम है और इस मौसम में नेता इनके बीच पहुंच रहे हैं. वही वादे वही सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन इस बार यहां के लोग इन नेताओं के झांसे में आने वाले नहीं हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार मतदान तभी करेंगे जब कागजी तौर पर लिखित रूप से इस जगह को सुधारने का आश्वासन मिलेगा. अब चुनाव के बाद ही साफ हो पाएगा कि आखिर इनके बदहाली को कौन सुध लेता है और कौन सुधरता है.