रांची: झारखंड में 17 मार्च 2020 से प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय बंद है. आपदा प्रबंधन विभाग से सहमति मिलने के बाद नौवीं से बारहवीं तक कक्षाएं 6 अगस्त से संचालित हो रही है. अब कक्षा 1 से 8 तक विद्यालय खोलने का एक प्रस्ताव स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग (Education Department) ने तैयार किया है. हालांकि इस पर अंतिम निर्णय आपदा प्रबंधन विभाग को ही लेना है. इस मामले को लेकर झारखंड अभिभावक एसोसिएशन ने सवाल खड़ा किया है.
इसे भी पढे़ं: सरायकेलाः मिसाल बना झारखंड का यह सरकारी स्कूल, कोरोना काल में भी बाधित नहीं हुई पढ़ाई
कोरोना का असर कम होते ही कई राज्यों में धड़ल्ले से स्कूल और कॉलेज खोले गए हैं. जिसका परिणाम भी उन राज्यों को भुगतना पड़ रहा है. राजधानी रांची में भी कक्षा 9 से 12वीं तक की कक्षाएं 6 अगस्त से संचालित की जा रही है. इस दौरान शहर के मारवाड़ी स्कूल के 3 बच्चे कोरोना से संक्रमित हो गए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे स्कूल को ही बंद कर दिया गया था. कोरोना संक्रमित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहीं संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 8 तक विद्यालय खोले जाने को लेकर विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. विभागीय स्तर पर एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया है. जो आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा गया है.
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों की व्यवस्था
सीनियर बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लासेस के साथ-साथ ऑनलाइन क्लासेस भी संचालित हो रही है. जो बच्चे स्कूल आना चाहते हैं उनके लिए ऑफलाइन क्लास की व्यवस्था की गई है और जो बच्चे घर पर रहना चाहते हैं. उन्हें ऑनलाइन क्लास की सुविधा अभी भी दी जा रही है. इस पूरे मामले को लेकर झारखंड अभिभावक एसोसिएशन ने सवाल खड़ा किया है.
इसे भी पढे़ं: झारखंड शिक्षा विभाग का जादू, पढ़ोगे गणित की किताब, होगा भाषा ज्ञान
ऑनलाइन क्लासेज पर ज्यादा जोर देने की जरूरत: अजय राय
झारखंड अभिभावक एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि शिक्षा विभाग को प्रस्ताव तैयार करने से पहले स्कूल प्रबंधक और अभिभावकों से सुझाव लेने की जरूरत थी. नौवीं से बारहवीं तक के संचालित क्लासेस को लेकर भी समीक्षा करना चाहिए था, क्योंकि 9वीं से लेकर 12वीं तक के क्लास में बच्चों की उपस्थिति 30 फीसदी से ज्यादा नहीं है. ऐसे में फिलहाल ऑनलाइन क्लासेज पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विभाग को अभिभावकों और विद्यालय प्रबंधकों से राय लेकर एक बीच का रास्ता अपनाना चाहिए. हड़बड़ी में स्कूल खोले जाने को लेकर प्रस्ताव तैयार करने की जरूरत नहीं है.
तीसरी लहर को लेकर चिंता
वर्तमान परिस्थितियों में सरकार और स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को विश्वास दिला पाने में विफल है. कोई भी अभिभावक अपने बच्चों की जान को जोखिम में डालकर स्कूल भेजना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. जिसका परिणाम है कि नौवीं से बारहवीं तक में भी विद्यार्थियों की उपस्थिति का प्रतिशत काफी कम है. वहीं कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अभिभावक पशोपेश में है. अभिभावकों ने अपनी राय विभाग को दी है.