रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के बाहर पिछले 21 दिनों से 11 जिले के पंचायत सचिव और लिपिक अभ्यर्थी अंतिम मेधा सूची जारी करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. पंचायत सचिव बहाली की सारी प्रक्रिया लगभग 2 साल पहले पूरी कर ली गई है, फिर भी नियुक्ति प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है, जिससे अभ्यर्थियों में आक्रोश है.
अभ्यर्थी रमेश लाल, ओम कपूर, मनीष वर्मा और अन्य ने बताया कि गैर अनुसूचित जिला के पंचायत सचिव की नियुक्ति पर हाई कोर्ट का तीन-तीन आदेश प्राप्त हुआ है, उसके बाद भी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग कोर्ट के आदेश पर कोई अमल नहीं कर रहा है. 5 फरवरी 2021 को झारखंड सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करते हुए गैर-अनुसूचित जिले की नियुक्ति पर झारखंड सरकार ने संशोधित संकल्प संख्या 3854 दिनांक 01-6-2018 और संकल्प संख्या 8468 दिनांक 20-11-2018 100% आरक्षण होने के वजह से वापस ले लिया है. साल 2017 में 3088 पदो के लिए पंचायत सचिव और लिपिक पद के लिए बहाली आई थी, फिर भी अंतिम मेधा सूची जारी करने को लेकर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के ओर से अनावश्यक देरी की जा रही है.
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झारखंड सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दर्ज कराने की तैयारी
कर्मचारी चयन आयोग के बाहर धरने पर बैठे अभ्यर्थी, ओम कपूर, प्रिंस गुप्ता, हिमांशु शेखर, राहुल कुमार, मनीष वर्मा और रमेश लाल ने साफ तौर पर कहा कि गैर अनुसूचित जिले का अंतिम मेधा सूची जारी करने को लेकर हाई कोर्ट के दिए 8 सप्ताह का समय सीमा भी समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि गैर-अनुसूचित जिले के पंचायत सचिव और लिपिक छात्र अंतिम मेधा सूची जारी न होने के खिलाफ सामूहिक रूप से कोर्ट का आदेश नहीं मानने को लेकर झारखंड सरकार और कर्मचारी चयन आयोग के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में अवमानना का केस दर्ज करेंगे.