रांची: झारखंड के खतरनाक संगठित गिरोह पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर होने के बावजूद बेखौफ होकर अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. सुजीत सिन्हा, अमन साव, अमन श्रीवास्तव और अमन सिंह कोयला कारोबारियों के लिए आतंक का पर्याय बने हुए हैं. रंगदारी नहीं देने पर अब दिनदहाड़े कारोबारियों को धमकाया जा रहा है और उनके घरों पर बम भी फेंके जा रहे हैं.
एनआईए के रडार पर सुजीत-अमन
झारखंड में कोयला कारोबारियों से वसूली और कोयला कारोबार पर धाक जमाने में सुजीत सिन्हा और अमन साव का गिरोह लगातार सक्रिय है. गिरोह के अपराधी एनआईए के रडार पर हैं. बावजूद इसके गिरोह के सदस्यों के द्वारा लगातार आपराधिक वारदातों को लगातार अंजाम दिया जा रहा है. चतरा के टंडवा में कोयला के ट्रांसपोर्टेशन का काम कर रही आरकेटीसी कंपनी के कर्मियों पर फायरिंग की घटना को भी अमन साव के गैंग ने ही अंजाम दिया था. मौके पर अमन साव के गुर्गे शाहरूख अंसारी ने पोस्टर भी फेंके थे. जानकारी के मुताबिक, शाहरूख अंसारी खुद भी एनआईए के रडार पर हैं. 21 जून को एनआईए रांची में शाहरुख को हाजिर होने का आदेश एनआईए के अधिकारियों ने दिया था. लेकिन एनआईए के समक्ष हाजिर होने की जगह शाहरुख ने चतरा में वारदात को अंजाम दे दिया.
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तीन अमन बने पुलिस के लिए चुनौती
एक सप्ताह पहले धनबाद के कतरास थाना क्षेत्र के भगत मोहल्ले में अपराधियों ने कोयला कारोबारी संजय लोयलका के घर पर बमों से हमला किया था. यह हमला धनबाद जेल में बंद कुख्यात अमन सिंह ने कराया था. वर्तमान समय में धनबाद पुलिस के लिए मुसीबत बना हुआ है. झारखंड पुलिस के लिए तीन अमन बड़ी चुनौती बने हुए हैं. हजारीबाग कोर्ट में मारे गए कुख्यात गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव का बेटा अमन श्रीवास्तव भी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका है. अमन श्रीवास्तव लगातार कोयला कारोबारियों से रंगदारी वसूल रहा है जबकि तीसरा अमन साव जेल में बैठकर ही अपना कारोबार चला रहा है.
जेल में बंद है सुजीत और अमन साव, लेकिन लगाम नहीं
गैंगेस्टर अमन साव रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में जबकि सुजीत सिन्हा धनबाद जेल बंद है. लेकिन दोनों के जेल में बंद होने के बावजूद भी उनकी सक्रियता कम नहीं हुई है. अमन साव और सुजीत से एनआईए ने बीते दिनों पांच दिनों के रिमांड पर पूछताछ भी की थी. लातेहार के तेतरियाखाड़ कोलियरी में आगजनी के केस मे सुजीत और अमन साव भी आरोपी है. पूछताछ में सुजीत सिन्हा ने बताया था कि उसके गैंग की भूमिका तेतरियाखाड़ कोलियरी फायरिंग केस में नहीं है.
अलग हो चुका है सुजीत, अमन का रास्ता
झारखंड के कोयला क्षेत्रों में सुजीत सिन्हा और अमन साव के गिरोह की सक्रियता रही है. दोनों साथ मिलकर आपराधिक गैंग चला रहे थे. लेकिन कुछ माह पूर्व पैसों और एक महिला को गैंग में प्रमुख स्थान दिए जाने के बाद सुजीत सिन्हा से अमन साव ने रास्ते अलग कर लिए. अमन साव के साथ अब शाहरुख, मयंक सिंह समेत अन्य की सक्रियता है. जबकि सुजीत सिन्हा अब पूरे गैंग में अलग थलग पड़ चुका है.
सुजीत जेल से कर रहा गैंग का संचालन
भले ही सुजीत सिन्हा का गिरोह कमजोर पड़ा है लेकिन उसका नाम आज भी किसी को भी दहशत में लाने के लिए काफी है. यही वजह है कि अब सुजीत नए-नए अपराधियों को हायर कर उनसे अपने काम करवा रहा है. सुजीत सिन्हा ने डालटनगंज के बेलवाटीकर में 2007 में सरेआम दो भाई भूषण सिंह और सुनील सिंह की हत्या कर दी थी. इसी मामले में उसे 11 जुलाई 2019 को पलामू सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा हुई थी. इसके बाद से वह जेल से ही गिरोह संचालित कर रहा है. गिरफ्तारी के बाद वह गढ़वा, पलामू, दुमका सेंट्रल जेल, रांची होटवार और जमशेदपुर घाघीडीह जेल में रह चुका है. अब धनबाद लाया गया है. सुजीत सिन्हा पर धनबाद सहित राज्य के रामगढ़, पलामू, चतरा, लातेहार, रांची सहित झारखंड के अन्य जिलों में 50 से अधिक हत्या, रंगदारी और आर्म्स एक्ट के केस दर्ज हैं.
खौफ का बिजनेस
खौफ के इस बिजनेस में हर कोई रंगदारी देकर अपने आप को सुरक्षित रखना चाहता है क्योंकि मामला पुलिस के पास पहुंचने के बाद भी रंगदारी देने वालों की सुरक्षा नहीं मिल पाती. मामले पुलिस तक जरूर पहुंचते हैं लेकिन सटीक करवाई नहीं हो पाने की वजह से अपराधी लगातार अपने मंसूबों में कामयाब होते रहते हैं. जेल से रंगदारी के बढ़ते मामलों को लेकर झारखंड पुलिस भी बैकफुट पर है और नई रणनीति के तहत काम करने की कोशिश कर रही है.
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल वी होम कर के अनुसार यह सही है कि कुछ गैंगस्टर्स जेल से ही अपने गैंग का संचालन कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस भी अपनी कार्रवाई लगातार कर रही है. पुलिस की टीम वैसे सभी अपराधियों पर नजर रखी हुई है जो हाल के दिनों में जेल से छूट कर बाहर आए हैं या फिर उनके आका जेल में बंद हैं और वे उनके इशारे पर काम करते हैं. आईजी के अनुसार पुलिस के लिए यह गिरोह चुनौती बने हुए हैं लेकिन झारखंड पुलिस की सभी एजेंसी मिलकर इनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है.
घातक हथियारों से लैस हैं कई गैंग्स, अधिकांश के निशाने पर कोयला कारोबारी
धनबाद जेल में बंद सुजीत सिन्हा और रांची जेल में अंडा सेल में बंद अमन साव और अमन श्रीवास्तव गिरोह के पास एके-47 और कार्बाइन जैसे हथियार हैं. वहीं, 200 से अधिक पिस्टल का जखीरा गिरोह के सदस्यों ने रखा है. पुलिस की जांच में गिरोह के द्वारा हथियार जुगाड़ने के पूरे नेटवर्क और उसमें शामिल लोगों की जानकारी मिली है. वहीं, जांच में इस बात का पता चला है कि गिरोह के निशाने पर राज्य के कई बड़े कोयला कारोबारी हैं.