रांची: प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोबारा समन भेज दिया है. उन्हें पूछताछ के लिए 24 अगस्त को बुलाया गया है. ईडी के दोबारा समन के बाद इस बात की चर्चा जोर-शोर से हो रही है कि अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या स्टेप उठाएंगे. क्योंकि जमीन घोटाला मामले में ईडी के पहले समन पर सीएम की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि समन वापस लें नहीं तो वह कानून का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे.
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उन्होंने पत्र के जरिए कहा था कि ईडी ने अवैध पत्थर खनन मामले में पिछले साल 17 नवंबर 2022 को पूछताछ के लिए बुलाया था. उस वक्त उन्होंने अपने और अपने परिवार की चल और अचल संपत्ति का सारा ब्यौरा भी दिया था. 30 नवंबर 2022 को अचल संपत्ति के डीड की सर्टिफाइड कॉपी मुहैया कराई गई थी. बैंक का डिटेल भी मुहैया कराया गया था. इसका जिक्र कर सीएम ने यह भी लिखा था कि क्या वह कागजात ईडी ऑफिस में गुम हो गए हैं. अगर आप दोबारा चाहेंगे तो भिजवा दिया जाएगा. इसके बाद भी संपत्ति की जानकारी के लिए समन देने का मतलब है कि जानबूझकर परेशान किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री के पास ऑप्शन: अब सवाल है कि दोबारा समन जारी होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पास क्या ऑपशन बचता है. इस बारे में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के जानकार अधिवक्ता संजय कुमार ने बताया कि ऐसी सूरत में किसी को भी राहत के लिए कोर्ट जाने का अधिकार है. अब यह कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वह पूरे मामले को किस रूप में देखती है. अगर ईडी के पास पूछताछ के लिए बुलाने लायक मेटेरियल नहीं होगा तो कोर्ट से राहत भी मिल सकती है. यह सबकुछ साक्ष्य पर निर्भर करता है.
साथ ही अधिवक्ता संजय कुमार ने यह भी कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत ईडी के पास यह शक्ति है कि वह किसी मामले में किसी को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है. पूछताछ के बाद एजेंसी तय कर सकती है कि संबंधित शख्स को गवाह बनाना है या आरोपी. अगर ईडी को लगेगा तो केस से संबंधित जानकारी लेने के बाद केस से अलग भी रख सकती है.
पहले भी दी जा चुकी है ईडी के समन को चुनौती: मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सुमीर सोढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय खंडपीठ के सामने गोविंद सिंह के पक्ष में दलील पेश की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत के सवाल पर ईडी को नोटिस जरूर भेजा था, लेकिन समन पर रोक से इनकार कर दिया था. गोविंद सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के सेक्शन 50 और 63 को चुनौती दी थी.
क्या कहता है पीएमएलए का सेक्शन 50: अधिवक्ता संजय कुमार ने बताया कि इसके तहत ईडी के डायरेक्टर, एडीशनल डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर के पास किसी भी शख्स को समन कर बुलाने की शक्ति प्राप्त है. इस दौरान संबंधित शख्स को केस से जुड़ा साक्ष्य मुहैया कराया जा सकता है या फिर जांच से जुड़ा कागजात मांगा जा सकता है. पीएमएलए के सेक्शन 50 के सब सेक्शन (2)और (3) के तहत पूछताछ को ज्युडिशल प्रोसिडिंग का हिस्सा माना जाता है.
समन के बाद सीएम के आक्रामक रुख के मायने: जमीन घोटाला मामले में ईडी की ओर से समन जारी होने के बाद मुख्यमंत्री आक्रामक रुख अपना चुके हैं. डुमरी में कह चुके हैं कि झारखंडी जेल जाने से नहीं डरता. चाईबासा में उन्होंने कहा कि अपने बीच के लोग ऐसे लोगों के चंगुल में फंस कर हमें इधर-उधर बिखरने की कोशिश करते हैं. साथ ही यह कहना कि इन लोगों को लगता है कि आदिवासी बोका है लेकिन बहुत जल्द चाईबासा में आकर ऐसा खंभा गाड़ेंगे कि विपक्ष हिला नहीं पाएगा. यह स्पष्ट करता है कि सीएम क्या करने वाले हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस मामले में सीएम इतना आगे बढ़ चुके हैं कि पीछे लौटना मुश्किल है.
सीएम के पास दो विकल्प: दूसरी तरफ यह भी बात स्पष्ट हो चुकी है कि ईडी ने दोबारा समन के साथ सीएम के सवालों का जवाब भी दे दिया है. अब उनके पास सिर्फ दो विकल्प बचे हैं. उन्हें या तो पूछताछ के लिए जोनल ऑफिस जाना होगा या कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. कोर्ट जाने के लिए उनके पास सिर्फ तीन दिन का समय है. अब देखना है कि सीएम आखिर क्या फैसला ले रहे हैं. आपको बता दें कि जमीन घोटाला मामले में कई चर्चित कारोबारी सलाखों के पीछे हैं.
ईडी का दावा है कि जमीन के फर्जी कागजात बनाकर खरीद बिक्री में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा की ओर से सीएम को घेरने की कमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने हाथों में ले ली है. पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सोरेन परिवार के सदस्यों का नाम लेकर आरोप लगाया है कि आदिवासियों की जमीन हड़पी गई है. हालांकि सरकार के स्तर पर भी आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के मंत्रियों के खिलाफ पीई दर्ज करने की स्वीकृति से स्पष्ट हो चुका है कि आने वाले समय में झारखंड की राजनीति में तूफान आने वाला है.