रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 10वें कार्य दिवस के दिन सदन की कार्यवाही विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण गर्मायी रही. सदन में बीजेपी विधायकों ने मॉब लिंचिंग और अनुबंध पर आधारित कंप्यूटर ऑपरेटर की सेवा को लेकर सरकार को घेरते हुए नजर आए.
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निर्दोषों पर कार्रवाई
बीजेपी विधायक शशिभूषण मेहता ने पलामू की लाइफ लाइन मानी जाने वाली करीब 45 किलोमीटर लंबी सड़क की दुर्दशा पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हुए पिछले साल इस सड़क के नाम पर हुए खर्च में अनियमितता की जांच कराने का आग्रह सदन में किया गया. वहीं, विधायक सीपी सिंह ने राज्य सरकार की विभिन्न विभागों में अनुबंध पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्त कर आउटसोर्सिंग से फिर से बहाली करने के निर्णय पर सरकार को घेरने की कोशिश की.
इस पर सदन में विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायक भी सीपी सिंह को समर्थन करते दिखे. इधर. हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल ने हजारीबाग में सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाले के बजाय पुलिस की ओर से निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किये जाने पर नाराजगी जताई.
हेमंत सोरेन भूल गए सारे वादें
वहीं, सारठ के भाजपा विधायक रणधीर सिंह ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बेरोजगारी भत्ता और निजी क्षेत्र में सरकार की ओर से की गई आरक्षण की घोषणा सिर्फ एक लॉलीपॉप है. उन्होंने हेमंत सरकार पर युवाओं को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के वक्त जो वादा करके जेएमएम सत्ता पर काबिज हुई वह उसे भूल गई है.
उन्होंने कहा कि चुनाव के वक्त हर बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता 7 हजार देने की बात कही गई थी, लेकिन सत्ता में आते ही सरकार इसे भूल गई. पारा शिक्षकों के आंदोलन पर रणधीर सिंह ने कहा कि चुनाव के वक्त पारा शिक्षकों को नियमित करने का वादा करने वाले हेमंत सोरेन इसे भी भूल गये और पारा शिक्षकों को सड़क पर छोड़ दिया.
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मॉब लिंचिंग पर रणधीर सिंह की प्रतिक्रिया
राजधानी में जब मॉब लिंचिंग की घटना हो तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार क्या कर रही है. रणधीर सिंह ने सरकार को पूरी तरह फेल बताते हुए कहा कि रघुवर सरकार में तवरेज अंसारी की मौत पर यही हेमंत सोरेन जोर-जोर से मॉब लिंचिंग होने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाते रहते थे आज उन्हीं के राज में दस दिनों के अंदर दो दो घटना होने पर वो चुप बैठे हैं.