रांचीः झारखंड में हेमंत सरकार अपने कार्यकाल का चार साल पूरा करने जा रही है. 29 दिसंबर 2019 को पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के स्थान पर इस सरकार के आने के पीछे की बड़ी वजह युवाओं की चुनाव के दौरान यूपीए के पक्ष में जबर्दस्त भागीदारी माना जाता है.
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में उस समय लड़ी गई चुनाव के वक्त युवाओं को बड़ी संख्या में नौकरी देने का यूपीए नेताओं ने भरोसा दिया था. अब हेमंत सरकार के 4 साल अब पूरे होने को हैं मगर नियोजन के मुद्दे पर कहीं ना कहीं सरकार बैकफुट पर होती हुई दिख रही है. शायद यही वजह है कि झारखंड के छात्र सरकारी नौकरी की मांग को लेकर आए दिन सड़क पर उतर रहे हैं और कहते फिर रहे हैं कि बिहार में नौकरी को लेकर बहार है मगर झारखंड में सुखाड़ है.
कोरोना की वजह से भले ही हेमंत सरकार के कार्यकाल में शुरू के 2 वर्ष काफी मुश्किल भरा रहा. जब परिस्थितियां बदली तो झारखंड के युवा ये उम्मीद लगाने लगे की अब सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा और सरकार के द्वारा खाली पदों के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार स्थानीय एवं नियोजन नीति के मुद्दे पर 2022 में उलझती रही और स्थिति ऐसी बनी की हाई कोर्ट के द्वारा हेमंत सरकार के स्थानीय और नियोजन नीति को असंवैधानिक करार दिए जाते ही एक साथ कई विज्ञापन रद्द करने पड़े.
हालांकि इन सब के बीच सरकार ने पूर्व की सरकार के द्वारा निकाली गई छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा और अपने कार्यकाल में सातवीं से दसवीं सिविल सेवा परीक्षा को आयोजित कर नियुक्ति पत्र देने में सफल जरूर हो गई. लेकिन विद्यार्थी इतने से ही संतुष्ट नहीं होते दिख रहे हैं पूर्व की सरकार के द्वारा निकाली गई विज्ञापन की परीक्षा आज भी उलझी हुई है. ऐसे में सरकार के 4 वर्ष पूरे होने पर झारखंड के युवा के साथ-साथ विपक्षी दल भी सवाल खड़े करने लगे हैं.
चार साल में प्रमुख नियुक्तियांः हेमंत सरकार के चार साल में प्रमुख नियुक्तियां इस प्रकार हैं. सातवीं से दसवीं जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 252, आयुष चिकित्सक में 217, कृषि विभाग में पशु चिकित्सा में 32, स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर और सीएचओ में 470, एपीपी में 107, पेयजल विभाग में सहायक अभियंता में 617, कृषि पदाधिकारी में 129 और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक में मात्र 37 ही शामिल हैं.
नियुक्ति पर सियासत, पक्ष और विपक्ष आमने-सामनेः हेमंत सरकार के 4 साल पूरे होने पर सबसे बड़ा मुद्दा नियुक्ति को लेकर है. झारखंड के प्रतियोगिता परीक्षा तैयारी करने वाले छात्र जहां सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं. वहीं विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी सदन से लेकर सदन के बाहर सरकार को इस मुद्दे पर आलोचना करती फिर रही है. पूर्व स्पीकर और रांची के विधायक सीपी सिंह ने वर्तमान सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि जिस वादा के बल पर या सरकार बनी थी उसने झारखंड के युवाओं को ठगने का काम किया है.
वहीं माले विधायक विनोद सिंह भी सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा है कि सर्वजन पेंशन, अबुआ आवास जैसी योजना भलें ही सरकार की उपलब्धि हो मगर नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से फेल रही है. आज पारा शिक्षक आंदोलन पर हैं, पंचायत सचिव सड़क पर हैं अगर संविदा पर कार्यरत कर्मियों को ही स्थायी कर दिया जाता तो बड़ी उपलब्धि होती है.
आज झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और झारखंड लोक सेवा आयोग का क्या हाल है, वह सब कोई जानता है. शर्मनाक बात यह है कि आयोग के अधीन परीक्षा लेने वाली एजेंसी तक नहीं है. जिस वजह से एक परीक्षा कई बार रद्द कर दी जाती है और परीक्षा आयोजित नहीं होता है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से बिहार में जिस तरह से परीक्षा समय पर आयोजित किया जा रहे हैं और लोगों को नौकरी दी जा रही है. ऐसे में झारखंड के छात्र भी इस उम्मीद के साथ है कि उन्हें भी इन्हें सरकारी नौकरी मिलेगी. मगर सरकार विगत 4 वर्षों में स्थानीय एवं नियोजन नीति को लेकर ही उलझती रही है और आज तक दिशा नहीं तय कर पाई है कि किस तरह से यहां नियुक्तियां की जाएगी ऐसे में छात्रों का यह कहना की बिहार में बहार है और झारखंड में सुखाड़ है उचित है.
इधर विपक्ष के साथ-साथ छात्रों के हमले का जवाब देने में सत्ता पक्ष के लोग जुटे हैं. श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता कहते हैं कि राज्य सरकार ने हाल के महीना में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की हैं और आने वाले समय में भी 50 हजार से अधिक नियुक्तियां राज्य में होंगी. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा कई परीक्षा आयोजित की जाएंगी.
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