रांचीः हर साल 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. यह दिन है शिक्षकों के सम्मान का. लेकिन आज के आधुनिकता के दौड़ में शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच, क्या यह संबंध पहले जैसे रह गए हैं. इस सवाल को लेकर हमारी टीम ने राजधानी रांची के कई छात्र-छात्राओं से बात की है. वहीं आरयू के प्रति कुलपति कामिनी कुमार से भी यह जानने की कोशिश की है कि क्या वाकई गुरु और शिष्य के बीच पहले जैसा रिश्ता कायम है.
कहा जाता है ना कि गुरु ही सर्वोपरि होता है. गुरु- गोविंद में से अगर किसी एक को चुनना हो तो हमारी संस्कृति और परंपरा में गुरु को ही चुना जाता है, लेकिन क्या आज के आधुनिकता के दौड़ में गुरु और शिष्य के बीच वही रिश्ता कायम है. इस सवाल को लेकर हमारी टीम ने रांची विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों से बातचीत की है. इस दौरान विद्यार्थियों ने जो कहा है वह वाकई सराहनीय है.
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रिश्ता वही, बस तरीका है नया
छात्राओं की मानें तो आज भी गुरु और शिष्य के बीच वही प्यार, वही रिश्ता और वही सम्मान है. बस बदला है सम्मान देने के तरीका. हालांकि पहले गुरु और शिष्य के बीच दूरियां हुआ करती थी, लेकिन आज के जमाने में सारी दूरियां खत्म हो गई है. शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं. जिससे वह एक दूसरे के परेशानियों को शेयर कर सके.
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छात्र और शिक्षक के बीच दोस्ती का रिश्ता बेहद जरूरी
वहीं, रांची विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति कामिनी कुमार ने भी छात्राओं के इस विचार को सही ठहराया है. उनकी मानें तो शिक्षक और विद्यार्थी के बीच दोस्ती का रिश्ता होना काफी जरूरी है. 5 सितंबर को जगह-जगह शिक्षकों को सम्मान दिया जाएगा. शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा .जरूरत है शिक्षकों के साथ एक बेहतरीन रिश्ता कायम करने और विद्यार्थियों को उनके बताए गए रास्तों पर चलने की, तभी जाकर शिक्षक दिवस सफल हो पाएगा.