रांचीः ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) के गठन को लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल ने नए नियम बनाए हैं. इस नियम के तहत राज्यपाल की ओर से टीएसी के गठन के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है. अब टीएसी के सर्वे-सर्वा मुख्यमंत्री होंगे. राज्य सरकार ने टीएसी गठन से संबंधित प्रस्ताव दो बार राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजे, लेकिन राज्यपाल ने कुछ सवाल उठाते हुए वापस कर दिया. इसके बाद हेमंत सरकार ने नियमावली में ही बदलाव कर नई नियमावली बनाकर टीएसी गठन कर लिया है. अब नए नियमावली को लेकर राज्य में बहस छिड़ गई है.
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नये नियमावली के अनुसार टीएसी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष कल्याण विभाग के मंत्री होंगे. इसके अलावा 15 विधायकों और तीन जनजातीय समुदाय के जानकारों को सदस्य बनाया जाएगा. इन सदस्यों के मनोनीत करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होगा.
राज्य सरकार को नई नियमावली बनाने का है अधिकार
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि राज्य सरकार को नया नियमावली बनाने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 166 में राज्य सरकार को नई नियमावली बनाने की शक्ति प्रदान की गई है. उन्होंने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2006 में छत्तीसगढ़ में भी इस तरह का नियम बनाया गया है.
छत्तीसगढ़ सरकार के नियम को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बीके मनीष ने पीआईएल दायर कर चुनौती दी थी, जिस पर हाई कोर्ट ने 12 मार्च 2013 को खारिज कर दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की ओर से जो नियम बनाया गया था, वही नियम के अब तक चल रहा था. झारखंड बनने के बाद नये नियम नहीं बनाए गए थे, इसलिए राज्य सरकार ने नये नियम बनाए हैं.
टीएसी 2021 असंवैधानिक
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बताया कि झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल 2021 बनाई गई है, वह असंवैधानिक है. यह संविधान की पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि नियम बनाने का अधिकार राज्यपाल को है. टीएसी में कौन अध्यक्ष और कौन सदस्य होगा, यह राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल एक स्वतंत्र संस्था होगी, जो जनजातीय लोगों के हित और उसकी रक्षा के लिए काम करेंगी.