रांची: स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में सोमवार को हुई RIMS गवर्निंग बॉडी की बैठक में निजी प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों पर नकेल कसने के लिए एजेंसी के चयन का फैसला चिकित्सकों को रास नहीं आया. रिम्स टीचर एसोसिएशन के सदस्य डॉ. प्रभात कुमार ने गवर्निंग बॉडी के फैसले की निंदा की है. उन्होंने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. साथ ही चिकित्सकों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. इसके अलावा रांची सांसद ने भी फैसले पर आपत्ति जताई है.
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डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि एक डॉक्टर कभी भी किसी मरीज का इलाज कर सकता है, लेकिन पिछले दिनों गवर्निंग बॉडी ने जो निर्णय लिया है. यह डॉक्टरों के मनोबल को कमजोर करेगा. उन्होंने कहा कि जो भी प्राइवेट एजेंसी खुफिया जांच करेगी उस पर कितना भरोसा किया जा सकता है यह सोचने वाली बात है. सरकार के इस फैसले से यह प्रतीत होता है कि सरकार को अपने ही चिकित्सकों पर भरोसा नहीं है.
ड्यूटी के बाद प्रैक्टिस के लिए स्वतंत्रः रिम्स टीचर एसोसिएशन
डॉ. प्रभात कुमार का कहना है कि एक सरकारी डॉक्टर अपनी ड्यूटी करने के बाद कहीं भी किसी भी मरीज का इलाज करने के लिए स्वतंत्र है. एक सरकारी डॉक्टर को बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने निजी प्रैक्टिस के कारण सरकारी व्यवस्था पर किसी तरह का असर न पड़ने दे. अगर वह अपने समय के अनुसार सरकारी संस्थान में मरीज को देखता है और वहां समय देता है तो फिर उसके बाद कोई भी डॉक्टर निजी स्तर पर किसी भी मरीज को देखने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन जिस तरह से रिम्स एडमिनिस्ट्रेशन और स्वास्थ्य विभाग ने खुफिया एजेंसी को डॉक्टरों के पीछे लगाने की बात की है. इससे दिक्कत होगी.
रांची सांसद ने भी जताया विरोध
खुफिया एजेंसी की ओर से निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर नकेल कसने के लिए एजेंसी हायर करने के फैसले का रांची के सांसद संजय सेठ ने भी विरोध जताया है. साथ ही रिम्स के चिकित्सकों ने भी प्रबंधन के इस फैसले पर आपत्ति जताई है. रिम्स के चिकित्सकों ने पत्र के माध्यम से सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है.