ETV Bharat / state

बढ़ती बारिश ने बढ़ाया सर्पदंश का खतरा, सिर्फ 10 दिनों में रिम्स में 60 से ज्यादा मरीज हुए भर्ती - रांची में सर्पदंश

मानसून आते ही राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में सर्पदंश के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स सहित अन्य अस्पतालों में मरीजों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि मानसून के समय में बिलों और मांदों में पानी भर जाता है. जिस वजह से सांप बिलों से बाहर आते हैं और इंसानों के संपर्क में आते ही उसे हानि पहुंचाते हैं.

snakebite patients in Rims
snakebite patients in Rims
author img

By

Published : Jul 9, 2023, 5:16 PM IST

जानकारी देते संवाददाता हितेश कुमार चौधरी

रांची: बारिश आते के साथ ही झारखंड में सर्पदंश के मामले भी बढ़ने लगे हैं. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सर्पदंश के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. रिम्स के मेडिसिन और सर्जरी वार्ड में ऐसे मरीजों की भीड़ पहुंचने लगी है.

यह भी पढ़ें: सांप काटने के बाद अस्पताल पहुंची बच्ची, वैक्सीन होने के बाद भी डॉक्टर ने नहीं लगाया इंजेक्शन, मासूम की हुई मौत

दरअसल, बारिश के मौसम में जहरीले जानवरों के काटने का खतरा लोगों पर मंडराने लगा है. बिलों और मांदो में रहने वाले सांप और बिच्छू जमीन पर आ जाते हैं, जो इंसानों के संपर्क में आते ही हानि पहुंचाने लगते हैं. झारखंड में जंगल और पहाड़ होने के कारण यहां पर सांपों की भी संख्या अत्यधिक है, जिस वजह से लोग सर्पदंश के आए दिन शिकार हो जाते हैं. सर्पदंश के शिकार सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग होते हैं. जिसका नजारा राजधानी के रिम्स में देखने को मिल रहा है. रिम्स के मेडिसिन और सर्जरी वार्ड में कई ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जो सर्पदंश के शिकार हैं.

आंकड़े देखें तो बारिश का मौसम शुरू होने के बाद सिर्फ जुलाई महीने में अब तक 60 मरीज सर्पदंश की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच चुके हैं, जो डॉक्टरों की निगरानी में इलाज भी करा रहे हैं.

रिम्स में पहुंचे मरीजों ने बताई सर्पदंश की कहानी: हजारीबाग से पहुंचे मरीज बुद्धू बताते हैं कि अपने बगीचे में सब्जी काटने के दौरान एक सांप ने उन्हें काट लिया. जैसे ही सांप ने उन्हें काटा वह तुरंत ही हजारीबाग के सदर अस्पताल पहुंचें. लेकिन सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज की बिगड़ती हालत को देख रिम्स रेफर कर दिया. रिम्स पहुंचने के बाद मरीज को एंटी वेनम की लगातार कई डोज दिए गए, जिसके बाद बुद्धू के स्वास्थ्य में सुधार होता दिख रहा है.

वहीं, चतरा जिले से पहुंचे एक मरीज ने बताया कि खेत में काम करने के दौरान गेंहूमन प्रजाति के सांप ने उन्हें डस लिया. जिसके बाद वह सेंसलेस हो गए. सांप के काटने के बाद वह स्थानीय ओझा गुनी के पास गए, जहां पर उसकी स्थिति और बिगड़ती चली गई. फिर जाकर स्थानीय लोगों की सुझाव के बाद वह सीधा रिम्स पहुंचे, जहां उन्हें एंटी वेनम की दवा मिली और फिलहाल वह राहत की सांस ले रहे हैं.

किसी की नहीं हुई सर्पदंश से मौत: मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय सिंह बताते हैं कि मानसून में सर्पदंश के शिकार मरीजों की संख्या अस्पताल में बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि अभी तक जितने भी मरीज पहुंचे हैं. सभी की स्थिति सामान्य है. किसी की भी सर्पदंश की वजह से मौत नहीं हुई है.

अस्पताल से मिले आंकड़े के अनुसार जुलाई महीने के 1 से 9 तारीख तक 60 से ज्यादा सर्पदंश के मरीज सिर्फ रिम्स पहुंचे हैं. 1 जुलाई को स्नेक बाइट के सात मरीज, 2 जुलाई को पांच मरीज, 3 जुलाई को ग्यारह मरीज, 4 जुलाई को चौदह मरीज, 5 जुलाई को आठ मरीज, 6 जुलाई को दो मरीज, 7 और 8 जुलाई को छह-छह मरीज रिम्स पहुंचे हैं. वहीं मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशित एक्का बताते हैं कि बारिश के मौसम में हर वर्ष सांप काटने की वजह से कई मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन वैसे मरीजों को ही तुरंत राहत मिल पाती है जो मरीज साधारण चीजों को समझ पाते हैं. जैसे कई बार सांप काटने के बाद मरीज अपने शरीर के उस हिस्से को कपड़े से बांध देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है.

डॉक्टर के पास पहुंचने में देरी से बढ़ जाता है खतरा: वहीं कई बार मरीज ज्ञान के अभाव में डॉक्टर के पास आने में विलंब कर देते हैं. जिस वजह से जहर का असर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच जाता है और डॉक्टरों को भी ऐसी हालत में इलाज करना मुश्किल होने लगता है. इसीलिए सांप काटने के बाद सबसे जरूरी ये है कि अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत पहुंचे और डॉक्टर को सांप की प्रजाति बताते हुए इलाज कराएं. ताकि डॉक्टर भी उसी हिसाब से एंटी वेनम की दवा दे सकें.

वहीं कई बार लोग सांप की प्रजाति की पहचान नहीं कर पाते हैं. ऐसे में डॉक्टर कॉमन एंटी वेनम की दवा लगाते हैं और लगातार निगरानी करते रहते हैं कि शरीर में जहर का असर कितना है. यदि जहर का असर बाकि रहता है तो फिर आवश्यकता अनुसार अत्यधिक डोज भी लगाने पड़ते हैं.

यह भी पढ़ें: Lohardaga News: बिस्तर में छिपी बैठी थी मौत, खतरे से अंजान शख्स नींद में ही पहुंच गया यमलोक

बाकि अस्पतालों में भी बढ़ रहें मरीज: मरीजों की संख्या सिर्फ रिम्स में ही नहीं बल्कि सदर अस्पताल और अन्य सीएचसी और पीएचसी में भी देखने को मिल रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने भी स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि बारिश के मौसम में एंटी वेनम की दवा का मुकम्मल इंतजाम रखें, ताकि किसी भी ग्रामीण मरीज की मौत सर्पदंश की वजह से ना हो सके. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम की दवा उपलब्ध कर रखी है.

चिकित्सकों और एक्सपर्ट्स के अनुसार यह बताया गया है कि ज्यादातर सांप ऐसे हैं जो कम जहरीले होते हैं और उनके काटने के बाद यदि समय पर प्राथमिक इलाज हो जाए तो इंसानों की जिंदगी बच सकती है. इसीलिए सांप के काटने के तुरंत बाद लोगों को नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचना चाहिए.

जानकारी देते संवाददाता हितेश कुमार चौधरी

रांची: बारिश आते के साथ ही झारखंड में सर्पदंश के मामले भी बढ़ने लगे हैं. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सर्पदंश के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. रिम्स के मेडिसिन और सर्जरी वार्ड में ऐसे मरीजों की भीड़ पहुंचने लगी है.

यह भी पढ़ें: सांप काटने के बाद अस्पताल पहुंची बच्ची, वैक्सीन होने के बाद भी डॉक्टर ने नहीं लगाया इंजेक्शन, मासूम की हुई मौत

दरअसल, बारिश के मौसम में जहरीले जानवरों के काटने का खतरा लोगों पर मंडराने लगा है. बिलों और मांदो में रहने वाले सांप और बिच्छू जमीन पर आ जाते हैं, जो इंसानों के संपर्क में आते ही हानि पहुंचाने लगते हैं. झारखंड में जंगल और पहाड़ होने के कारण यहां पर सांपों की भी संख्या अत्यधिक है, जिस वजह से लोग सर्पदंश के आए दिन शिकार हो जाते हैं. सर्पदंश के शिकार सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग होते हैं. जिसका नजारा राजधानी के रिम्स में देखने को मिल रहा है. रिम्स के मेडिसिन और सर्जरी वार्ड में कई ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जो सर्पदंश के शिकार हैं.

आंकड़े देखें तो बारिश का मौसम शुरू होने के बाद सिर्फ जुलाई महीने में अब तक 60 मरीज सर्पदंश की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच चुके हैं, जो डॉक्टरों की निगरानी में इलाज भी करा रहे हैं.

रिम्स में पहुंचे मरीजों ने बताई सर्पदंश की कहानी: हजारीबाग से पहुंचे मरीज बुद्धू बताते हैं कि अपने बगीचे में सब्जी काटने के दौरान एक सांप ने उन्हें काट लिया. जैसे ही सांप ने उन्हें काटा वह तुरंत ही हजारीबाग के सदर अस्पताल पहुंचें. लेकिन सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज की बिगड़ती हालत को देख रिम्स रेफर कर दिया. रिम्स पहुंचने के बाद मरीज को एंटी वेनम की लगातार कई डोज दिए गए, जिसके बाद बुद्धू के स्वास्थ्य में सुधार होता दिख रहा है.

वहीं, चतरा जिले से पहुंचे एक मरीज ने बताया कि खेत में काम करने के दौरान गेंहूमन प्रजाति के सांप ने उन्हें डस लिया. जिसके बाद वह सेंसलेस हो गए. सांप के काटने के बाद वह स्थानीय ओझा गुनी के पास गए, जहां पर उसकी स्थिति और बिगड़ती चली गई. फिर जाकर स्थानीय लोगों की सुझाव के बाद वह सीधा रिम्स पहुंचे, जहां उन्हें एंटी वेनम की दवा मिली और फिलहाल वह राहत की सांस ले रहे हैं.

किसी की नहीं हुई सर्पदंश से मौत: मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय सिंह बताते हैं कि मानसून में सर्पदंश के शिकार मरीजों की संख्या अस्पताल में बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि अभी तक जितने भी मरीज पहुंचे हैं. सभी की स्थिति सामान्य है. किसी की भी सर्पदंश की वजह से मौत नहीं हुई है.

अस्पताल से मिले आंकड़े के अनुसार जुलाई महीने के 1 से 9 तारीख तक 60 से ज्यादा सर्पदंश के मरीज सिर्फ रिम्स पहुंचे हैं. 1 जुलाई को स्नेक बाइट के सात मरीज, 2 जुलाई को पांच मरीज, 3 जुलाई को ग्यारह मरीज, 4 जुलाई को चौदह मरीज, 5 जुलाई को आठ मरीज, 6 जुलाई को दो मरीज, 7 और 8 जुलाई को छह-छह मरीज रिम्स पहुंचे हैं. वहीं मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशित एक्का बताते हैं कि बारिश के मौसम में हर वर्ष सांप काटने की वजह से कई मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन वैसे मरीजों को ही तुरंत राहत मिल पाती है जो मरीज साधारण चीजों को समझ पाते हैं. जैसे कई बार सांप काटने के बाद मरीज अपने शरीर के उस हिस्से को कपड़े से बांध देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है.

डॉक्टर के पास पहुंचने में देरी से बढ़ जाता है खतरा: वहीं कई बार मरीज ज्ञान के अभाव में डॉक्टर के पास आने में विलंब कर देते हैं. जिस वजह से जहर का असर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच जाता है और डॉक्टरों को भी ऐसी हालत में इलाज करना मुश्किल होने लगता है. इसीलिए सांप काटने के बाद सबसे जरूरी ये है कि अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत पहुंचे और डॉक्टर को सांप की प्रजाति बताते हुए इलाज कराएं. ताकि डॉक्टर भी उसी हिसाब से एंटी वेनम की दवा दे सकें.

वहीं कई बार लोग सांप की प्रजाति की पहचान नहीं कर पाते हैं. ऐसे में डॉक्टर कॉमन एंटी वेनम की दवा लगाते हैं और लगातार निगरानी करते रहते हैं कि शरीर में जहर का असर कितना है. यदि जहर का असर बाकि रहता है तो फिर आवश्यकता अनुसार अत्यधिक डोज भी लगाने पड़ते हैं.

यह भी पढ़ें: Lohardaga News: बिस्तर में छिपी बैठी थी मौत, खतरे से अंजान शख्स नींद में ही पहुंच गया यमलोक

बाकि अस्पतालों में भी बढ़ रहें मरीज: मरीजों की संख्या सिर्फ रिम्स में ही नहीं बल्कि सदर अस्पताल और अन्य सीएचसी और पीएचसी में भी देखने को मिल रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने भी स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि बारिश के मौसम में एंटी वेनम की दवा का मुकम्मल इंतजाम रखें, ताकि किसी भी ग्रामीण मरीज की मौत सर्पदंश की वजह से ना हो सके. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम की दवा उपलब्ध कर रखी है.

चिकित्सकों और एक्सपर्ट्स के अनुसार यह बताया गया है कि ज्यादातर सांप ऐसे हैं जो कम जहरीले होते हैं और उनके काटने के बाद यदि समय पर प्राथमिक इलाज हो जाए तो इंसानों की जिंदगी बच सकती है. इसीलिए सांप के काटने के तुरंत बाद लोगों को नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.