रांची: कोरोना काल में अन्य व्यवसायों के साथ-साथ चश्मा, एंटी ग्लेयर और लाइट प्रोटेक्टर लेंस के व्यवसाय पर भी असर पड़ा है. व्यवसायियों की मानें तो लॉकडाउन के कारण ग्राहकों का दुकान पर आना काफी कम हो गया है, जिससे व्यवसाय पर असर पड़ रहा है. हालांकि, नेत्र रोग से जुड़े लोगों की संख्या इन दिनों बढ़ी है.
ऑनलाइन क्लासेस, इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स के समीप ज्यादा वक्त गुजारने वाले लोग नेत्र रोग से पीड़ित हुए हैं. चिकित्सकों ने भी ऐसे मरीजों को यह सलाह दिया है कि अपने आंखों को बचाने के लिए वे ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों से परामर्श लेकर एंटी ग्लेयर और लाइट प्रोजेक्टर लेंस का उपयोग करें. चिकित्सकों ने चिंता व्यक्त की है कि आने वाले समय में ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ेंगे. कोरोना काल में कई क्षेत्र अव्यवस्थित हो गए हैं. सैकड़ों परेशानियां लोगों के सामने है. इसके बावजूद लोग कोरोना वायरस के साथ लड़ाई में अपनी हिस्सेदारी दिखा रहे हैं और मजबूती के साथ इस महामारी को खत्म करने के लिए खड़े भी हैं.
लॉकडाउन के कारण 80 प्रतिशत लोग घरों में कैद
ईटीवी भारत की टीम ने रांची के ऐसे ही व्यवसाय से जुड़े कई लोगों से बातचीत की है. इस दौरान कई चीजें उभर कर सामने आई है. लेंस व्यवसाय से जुड़े लोग कहते हैं कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण दुकानों में लोग नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे उनका व्यवसाय घटकर 10 फीसद हो गया है. आम दिनों में चश्मों की बिक्री काफी होती थी, लेकिन लोग सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए दुकानों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं, जबकि फिलहाल लाइट प्रोटेक्टर, एंटी ग्लेयर और लेंस की जरूरत लोगों को सबसे ज्यादा है. लॉकडाउन के कारण 80 प्रतिशत लोग अपने घरों में ही कैद हैं. स्कूली शिक्षा के साथ-साथ पूरा शिक्षा व्यवस्था ही इन दिनों ऑनलाइन व्यवस्था पर ही टिकी हुई है.
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लेंस बाजार पड़ा ठंडा
ऐसे में 80 प्रतिशत लोग मोबाइल, टीवी, एलईडी जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के सामने 24 घंटों में 14 घंटे समय बिताते हैं. कुछ लोग तो लगातार 8 घंटा दैनिक कार्य भी मोबाइल या लैपटॉप के जरिए ही निपटाते हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरत आंख की सुरक्षा को लेकर है. कोरोना वायरस से बचने के लिए भी आंखों पर चश्मा होना जरूरी है. चेहरे पर मास्क के अलावा आंखों पर चढ़े चश्मे भी इस महामारी के बचाव का एक उपाय है. इसके बावजूद लेंस बाजार ठंडा पड़ा हुआ है. लोग इन बाजारों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं. सामाजिक दूरी का ख्याल रखने के लिए लोग घरों में ही रह रहे हैं.
आंखों से संबंधित मरीजों की संख्या में वृद्धि
नेत्र चिकित्सकों की मानें तो लगातार इलेक्ट्रॉनिक गेजेट के सामने रहने से बच्चों की मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे आंखें कमजोर हो रही है. नेत्र रोग से जुड़े मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है, लेकिन ऐसे मरीज फिलहाल चिकित्सा केंद्रों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन परामर्श ले रहे हैं और इसके तहत ऑनलाइन ही मरीजों को कई जानकारियां दी जा रही है. आंखों से संबंधित समस्याओं के साथ आने वाले लोगों की और मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. चश्मा खरीदारों की बात मानें तो आंखों के प्रोटक्शन के लिए चश्मा काफी जरूरी है.
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आंखों की सुरक्षा के लिए चिकित्सीय परामर्श जरूरी
चिकित्सक बताते हैं कि अपनी आंखों को प्रोटक्ट करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं और इससे समस्या को कम किया जा सकता है. पहला मोबाइल को लैपटॉप के साथ जोड़कर काम करें. जिस कमरे में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही हो, उस कमरे में रोशनी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. फिजिकल एक्सरसाइ और आंखों से जुड़े एक्सरसाइज भी करने की जरूरत है और एक निश्चित दूरी बनाकर ही मोबाइल, लैपटॉप या टीवी का उपयोग करें.
जरुरत के हिसाब से करें मोबाइल या लैपटॉप का प्रयोग
आंखों के रूखापन होने पर घरेलू नुस्खे अपनाने की बजाय डॉक्टर की सलाह से आंखों को गिला रखने वाले आई ड्रॉप का उपयोग करे. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है कि मोबाइल और लैपटॉप आज की जरूरत है. इसे नकारा भी नहीं जा सकता है. हां यह जरूर है कि जितना जरूरी है उतना ही मोबाइल या ब्लू स्क्रीन का उपयोग करें.