रांची: कोरोना महामारी की वजह से पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं विघटित हो गई थी. इसकी वजह से गांव की सरकार को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. हेमंत सरकार ने इस समस्या का समाधान कर दिया है. ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के कार्य संचालन की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कार्यकारी समिति के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है. अब जिलों के उपायुक्त जल्द ही कार्यकारी समिति का गठन करेंगे.
मुखिया ग्राम पंचायत स्तर की कार्यकारी समिति का प्रधान होगा
इस व्यवस्था के तहत अब वर्तमान में विघटित पंचायत के मुखिया को ग्राम पंचायत स्तर की कार्यकारी समिति का प्रधान कहा जाएगा. कार्यकारी समिति में वार्ड सदस्य, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, प्रखंड समन्वयक, अंचल निरीक्षक, बीडीओ के ओर से नामित क्षेत्र का कोई सेवानिवृत्त एक व्यक्ति सदस्य की भूमिका में होगा. समिति में सदस्य के रूप में शामिल सरकार के सभी पदाधिकारी सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे. इनका काम होगा योजना के क्रियान्वयन बरती जाने वाली अनियमितता को रोकना.
ग्राम पंचायत की तरह ही सदस्यों की व्यवस्था
इसी तरह विघटित पंचायत समिति के प्रमुख भी कार्यसमिति का प्रधान कहलाएंगे. यहां भी ग्राम पंचायत की तरह ही सदस्यों की व्यवस्था होगी. विघटित जिला परिषद के अध्यक्ष भी जिला परिषद कार्य समिति के प्रधान कहे जाएंगे. इस स्तर की समिति में जिप सदस्य, कार्यपालक पदाधिकारी, ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक, आईटीडीए के परियोजना निदेशक, सदस्य की भूमिका में रहेंगे.
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गैर सरकारी सदस्यों को नहीं मिलेगा यात्रा भत्ता
नई व्यवस्था के तहत ग्राम सभा का आयोजन जैसे पहले होता था उसी तरह होता रहेगा. सबसे खास बात है कि तीनों स्तर के लिए गठित कार्यसमिति के गैर सरकारी सदस्यों को बैठक में शामिल होने के लिए यात्रा भत्ता नहीं मिलेगा. तीनों स्तर पर बहाल प्रधान को पूर्व में जो अधिकार मिले थे उन्हीं अधिकारों का उपयोग कर सकेंगे. इसके अलावा उन्हें अन्य शक्तियां और सुविधाएं नहीं मिलेंगी.