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झारखंड में नक्सली ड्रोन से कर सकते हैं हमला, पुलिस विभाग में मचा हड़कंप

झारखंड में नक्सलवाद सक्रिय माना जाता रहा है. नक्सलियों को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन झारखंड में अब नक्सली भी हाईटेक होते जा रहा है. राज्य में पहली बार नक्सली संगठन द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की जानकारी मिली है, जिसके बाद से सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है.

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Published : Jul 20, 2019, 4:43 AM IST

Updated : Jul 20, 2019, 9:50 AM IST

नक्सली हुए हाईटेक

रांची: झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों द्वारा पहली बार ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी मिली है. ड्रोन के इस्तेमाल से भाकपा माओवादी पुलिस बलों की मूवमेंट और पुलिस पिकेटों पर नजर रखने के लिए करने की योजना बना रहे हैं. ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी के बाद राज्य पुलिस की विशेष शाखा ने सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र लिखा है.

पहली बार मिली सटीक जानकारी
ऐसा पहली बार हुआ है जब झारखंड में नक्सली संगठन द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की पुख्ता जानकारी मिली है. झारखण्ड पुलिस की विशेष शाखा को ड्रोन इस्तेमाल की जानकारी फोन लिसनिंग समेत अन्य गोपनीय सूचनाओं के माध्यम से मिली थी, जिसके बाद विशेष शाखा ने 9 जुलाई को ही राज्य के नक्सल प्रभावित 22 जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र भेजा है. विशेष शाखा ने अभियान में शामिल सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन को भी आगाह किया है.

इसे भी पढ़ें:- नक्सलियों का 21 जुलाई को झारखंड बंद, VIDEO जारी कर किया ऐलान

नक्सलियों के नई तकनीक से रहें सावधान
झारखंड पुलिस की स्पेसल ब्रांच के द्वारा सभी नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को भेजे पत्र में जिक्र है, कि माओवादी संगठन के द्वारा नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. भाकपा माओवादियों द्वारा ड्रोन से नक्सल विरोधी अभियान और समान्य गश्ती की जानकारी जुटाई जा सकती है. वहीं, माओवादी सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठान, कैंप की रेकी के लिए भी ड्रोन को प्रयोग में लाने की योजना बनाई गई है.

नेत्रा है निशाने पर
झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा नक्सल विरोधी अभियान के पहले नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए नेत्रा का इस्तेमाल किया जाता है. नेत्रा को झारखंड पुलिस अनमैन्ड एरियल वेहिकल के तौर पर इस्तेमाल करती है. पुलिस के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नेत्रा को भाकपा माओवादियों के द्वारा निशाना बनाए जाने की योजना है. ड्रोन का इस्तेमाल कर भाकपा माओवादियों के द्वारा पुलिस बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना भी तैयार की गई है.

वायरलेस के इस्तेमाल में गोपनीयता बरतने की सलाह
राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है, कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को भी गोपनीय रखें. गौरतलब है कि झारखंड पुलिस वर्तमान में मैनुअल वायरलेस सिस्टम का ही इस्तेमाल करती है. ऐसे में इस वायरलेस की फ्रिक्वैंसी सेट कर नक्सली असानी से सूचनाओं को सुन सकते हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को यह भी निर्देश दिया है कि अभियान के पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें.

रांची: झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों द्वारा पहली बार ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी मिली है. ड्रोन के इस्तेमाल से भाकपा माओवादी पुलिस बलों की मूवमेंट और पुलिस पिकेटों पर नजर रखने के लिए करने की योजना बना रहे हैं. ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी के बाद राज्य पुलिस की विशेष शाखा ने सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र लिखा है.

पहली बार मिली सटीक जानकारी
ऐसा पहली बार हुआ है जब झारखंड में नक्सली संगठन द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की पुख्ता जानकारी मिली है. झारखण्ड पुलिस की विशेष शाखा को ड्रोन इस्तेमाल की जानकारी फोन लिसनिंग समेत अन्य गोपनीय सूचनाओं के माध्यम से मिली थी, जिसके बाद विशेष शाखा ने 9 जुलाई को ही राज्य के नक्सल प्रभावित 22 जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र भेजा है. विशेष शाखा ने अभियान में शामिल सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन को भी आगाह किया है.

इसे भी पढ़ें:- नक्सलियों का 21 जुलाई को झारखंड बंद, VIDEO जारी कर किया ऐलान

नक्सलियों के नई तकनीक से रहें सावधान
झारखंड पुलिस की स्पेसल ब्रांच के द्वारा सभी नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को भेजे पत्र में जिक्र है, कि माओवादी संगठन के द्वारा नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. भाकपा माओवादियों द्वारा ड्रोन से नक्सल विरोधी अभियान और समान्य गश्ती की जानकारी जुटाई जा सकती है. वहीं, माओवादी सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठान, कैंप की रेकी के लिए भी ड्रोन को प्रयोग में लाने की योजना बनाई गई है.

नेत्रा है निशाने पर
झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा नक्सल विरोधी अभियान के पहले नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए नेत्रा का इस्तेमाल किया जाता है. नेत्रा को झारखंड पुलिस अनमैन्ड एरियल वेहिकल के तौर पर इस्तेमाल करती है. पुलिस के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नेत्रा को भाकपा माओवादियों के द्वारा निशाना बनाए जाने की योजना है. ड्रोन का इस्तेमाल कर भाकपा माओवादियों के द्वारा पुलिस बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना भी तैयार की गई है.

वायरलेस के इस्तेमाल में गोपनीयता बरतने की सलाह
राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है, कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को भी गोपनीय रखें. गौरतलब है कि झारखंड पुलिस वर्तमान में मैनुअल वायरलेस सिस्टम का ही इस्तेमाल करती है. ऐसे में इस वायरलेस की फ्रिक्वैंसी सेट कर नक्सली असानी से सूचनाओं को सुन सकते हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को यह भी निर्देश दिया है कि अभियान के पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें.

Intro:खतरनाक - नक्सली कर रहे ड्रोन का इस्तेमाल, पुलिस के रेकी के लिए हो रहा इस्तेमाल




झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों द्वारा पहली बार ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी मिली है। ड्रोन के इस्तेमाल से भाकपा माओवादी पुलिस बलों की मूवमेंट व पुलिस पिकेटों पर नजर रखने के लिए करने की योजना बना रहे हैं। ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी के बाद राज्य पुलिस की विशेष शाखा ने सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र लिखा है।

पहली बार मिली सटीक जानकारी

ऐसा पहली बार है जब झारखण्ड में नक्सली संगठन के द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की पुख्ता जानकारी मिली है। झारखण्ड पुलिस की विशेष शाखा को ड्रोन इस्तेमाल की जानकारी फोन लिसनिंग समेत अन्य गोपनीय सूचनाओं के माध्यम से मिली थी। जिसके बाद विशेष शाखा ने 9 जुलाई को ही राज्य के नक्सल प्रभाव वाले 22 जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र भेजा है। विशेष शाखा ने अभियान में शामिल सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन को भी आगाह किया है।

नक्सलियो के नई तकनीक से रहे सावधान

झारखण्ड पुलिस की स्पेसल ब्रांच के द्वारा सभी नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को भेजे पत्र में जिक्र है कि माओवादी संगठन के द्वारा नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। भाकपा माओवादियों द्वारा ड्रोन से नक्सल विरोधी अभियान और समान्य गश्ती की जानकारी जुटायी जा सकती है। वहीं माओवादी सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठान, कैंप की रेकी के लिए भी ड्रोन को प्रयोग में लाने की योजना बनायी गई है।

नेत्रा है निशाने पर
झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के द्वारा नक्सल विरोधी अभियान के पहले नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए नेत्रा का इस्तेमाल किया जाता है। नेत्रा को झारखंड पुलिस अनमैन्ड एरियल वेहिकल के तौर पर इस्तेमाल करती है। पुलिस के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नेत्रा को भाकपा माओवादियों के द्वारा निशाना बनाए जाने की योजना है। नेत्रा को लक्ष्य कर उसपर हमले की योजना भी माओवादियों ने बनायी है। ड्रोन का इस्तेमाल कर भाकपा माओवादियों के द्वारा पुलिस बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना भी तैयार की गई है।

वायरलेस के इस्तेमाल मे गोपनीयता बरतने की सलाह

राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को भी गोपनीय रखें। गौरतलब है कि झारखंड पुलिस वर्तमान में मैनुअल वायरलेस सिस्टम का ही इस्तेमाल करती है। ऐसे में इस वायरलेस की फ्रिक्वैसी सेट कर नक्सली असानी से सूचनाओं को सुन सकते हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को यह भी निर्देश दिया है कि अभियान के पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें।

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Last Updated : Jul 20, 2019, 9:50 AM IST
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