रांची: बिहार में चुनाव को लेकर झारखंड में भी पुलिस एहतियात बरत रही है. लेकिन बिहार के सीमावर्ती इलाकों में माओवादी संगठन की दबिश ने चुनाव के पूर्व वारदात की आंशका को प्रबल बना दिया है. सूचना के बाद सीमावर्ती जिलों में सुरक्षाबलों की चहलकदमी भी बढ़ गई है.
बिहार झारखंड की सीमा पर सक्रिय हुए बड़े नक्सली
वर्तमान में चतरा, पलामू और गढ़वा से जुड़े सीमावर्ती इलाकों में माओवादी दस्ता कैंप कर रहा है. उतरी छोटानागपुर जोन में सक्रिय माओवादी मिथलेश का दस्ता अब कोयलशंख जोन में कैंप कर रहा. इस इलाके में संगठन में मजबूती लाने की जिम्मेदारी मिथलेश पर दी गई है. मिथलेश के अलावा चतरा के प्रतापपुर इलाके में सक्रिय रीजनल कमांडर और पंद्रह लाख का इनामी नवीन यादव भी दस्ते के साथ चतरा जिले में कैंप कर रहा. चतरा जिले की सीमा गया जिले से सटती है. गया के इलाके में वर्तमान में झारखंड पुलिस का इनामी सैक सदस्य और 25 लाख का इनामी संदीप यादव सक्रिय है. कोडरमा-नवादा के सीमावर्ती इलाके में भी प्रद्युमन शर्मा की सक्रियता रही है. प्रद्युमन शर्मा भी राज्य में 25 लाख का इनामी है.
बूढ़ापहाड़ में रोहित संभाल रहा कमान
जेल से छूटने के बाद रोहित जी अब बूढ़ापहाड़ इलाके में माओवादी संगठन की कमान संभाल रहा. भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य अरविंद जी (अब मृत) के करीबी रहे रोहित जी को बूढ़ापहाड़ इलाके में कैडरों को जोड़ने और संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई थी. भौगोलिक रूप से यह इलाका झारखंड-छतीसगढ़-बिहार तीनों से जुड़ता है, ऐसे में यह इलाका रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. खुफिया एजेंसियों को जो जानकारी मिली है. उसके मुताबिक, बूढ़ापहाड़ में तकरीबन एक दर्जन से अधिक नए कैडरों को हाल में देखा गया है.
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किन-किन माओवादियों पर खास नजर
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड-बिहार में सक्रिय नक्सलियों पर खास नजर है. गया के बाराचट्टी के 5 लाख के इनामी अमरजीत यादव, औरंगाबाद के अमरगंझू, आंती गया के 15 लाख के इनामी विकास यादव, अरवल के बाबूलाल जी, चतरा के जोनल कमांडर व दस लाख के इनामी रघुवंश गंझू, जमुई के पिंटू राणा, औरंगाबाद निवासी और रीजनल कमेटी मेंबर मुराद, नितेश यादव, सीताराम रजवार पर पुलिस की खास नजर है. इन दस्तों की गतिविधि की मॉनिटरिंग की जा रही है.
झारखंड में चुनाव में हुई थी हिंसा
झारखंड में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पूर्व बीते साल हिंसक वारदात हुई थी. औरंगाबाद से आए माओवादियों ने पलामू के पिपरा में दो लोगों की हत्या की थी. वहीं लोकसभा चुनाव में बिहार से आए माओवादियों ने हरिहरगंज में भाजपा कार्यालय को विस्फोट कर उड़ा दिया था.