रांचीः सुरक्षाबलों की बीते दिन कार्रवाई में नक्सली संगठन पीएलएफआई को बड़ा झटका लगा है. खूंटी और चाईबासा पुलिस ने संयुक्त अभियान में संगठन के 10 लाख के इनामी शनीचर सुरीन को बड़ा केसेल इलाके में मार गिराया. नक्सली जिदन गुड़िया के मारे जाने के बाद शनीचर उर्फ चरका की मौत पीएलएफआई के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. शनीचर पर 84 से अधिक नक्सल के मामले दर्ज हैं. खूंटी इलाके में सक्रिय शनीचर बेरहम हत्यारा था. आरोपी ढाई लाख की बुलेट से चलता था.
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कहां- कहां दर्ज हैं मामले
सरिता गांव निवासी शनीचर के खिलाफ प. सिंहभूम जिले में 50, खूंटी जिले में 32 और गुमला जिले में 02 समेत 84 कांड दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, लूट, आगजनी, रंगदारी, पुलिस पार्टी पर हमला करने एवं अन्य नक्सली घटनाओं जैसे जघन्य कांड शामिल हैं.
डीजीपी ने बताई एनकाउंटर की पूरी कहानी
डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि 16 जुलाई को खूंटी और चाईबासा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में झारखंड पुलिस की ओर से पीएलएफआई के उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था. इस दौरान उग्रवादियों की ओर से अभियान में शामिल दल पर जान मारने एवं क्षति पहुंचाने की नीयत से अंधाधुंध फायरिंग की गई. जिसका मुंहतोड़ जवाब सुरक्षा बलों ने दिया. फायरिंग में 1 वर्दीधारी उग्रवादी मारा गया, जिसकी पहचान पीएलएफआई उग्रवादी संगठन के जोनल कमांडर शनीचर सुरीन, पिता-चरका सुरीन, ग्रा०-गुन्डीकेरा (सरिता), थाना-कामडारा, जिला-गुमला के रूप में हुई है. यह इस क्षेत्र का दुर्दांत उग्रवादी था, जिस पर झारखंड सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
ढाई लाख की बुलेट से चलता था चरका
पुलिस के लिए चुनौती बना शनीचर उर्फ पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का बेहद करीबी था. हाल में ही उसने ढाई लाख रुपए की कीमत का एक बुलेट (हिमालयन बाइक) खरीदा था. इसी बाइक पर हथियार लेकर वह अपने दस्ते के साथ जंगलों में घूमता था.
खूंटी एसपी ने रनिया थाने में की प्रेस कॉन्फ्रेंस
इस मामले में खूंटी एसपी आशुतोष शेखर ने रनिया थाने में रात 9 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने बताया कि रनिया थाना क्षेत्र और चाईबासा के गुदड़ी थाना के सीमावर्ती इलाके में तोरपा डीएसपी के नेतृत्व में खूंटी जिला बल सैट टीम, सीआरपीएफ 94 बटालियन, जेजे, एसटीएफ की संयुक्त टीम ने ऑपेरशन चलाया. बड़ा केसेल इलाके में 10 लाख के इनामी शनीचर सुरिन उर्फ चरका को मार गिराया गया.
भूले नहीं भूलती 2016 की घटना
शनीचर सुरीन ने वर्ष 2016 के अक्टूबर महीने के दौरान जलासर और सिंदूरबेड़ा पंचायत के लगभग 50 गांवों के ग्रामीणों का हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी किया था. उस दौरान वहां के ग्रामीणों ने शनीचर के फरमान के बाद खुद को अपने घरों में कैद कर लिया था. पंचायत क्षेत्रों में मौजूद अस्पताल, स्कूल, डाकघर सब बंद हो गए थे. शनीचर पोडोंगेर में बनने वाले सीआरपीएफ कैंप का विरोध कर रहा था. बाद में कैंप का निर्माण हुआ. आज सीआरपीएफ ने उसे मौत के घाट उतार दिया.