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शांतिपूर्ण मतदान कराना बड़ी चुनौती, दूसरे चरण में 20 में से 15 सीटें हैं नक्सल प्रभावित

झारखंड में विधानसभा चुनाव अपने शुरुआती दौर में है, प्रथम चरण का चुनाव छिटपुट घटनाओं के साथ शांतिपूर्ण संपन्न हो गया है, लेकिन दूसरे चरण में शांतिपूर्ण मतदान कराना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. दूसरे चरण में 20 सीटों पर चुनाव होने हैं. इन 20 में 15 सीटें ऐसी है जो घोर नक्सल प्रभावित हैं.

Naxalite challenge
फाइल फोटो- पुलिस सुरक्षा
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Published : Dec 3, 2019, 7:52 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 8:48 AM IST

रांचीः झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण में कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर जोन की 20 सीटों पर चुनाव होना है. 20 में से 15 सीटें घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं. सरायकेला इलाके में पोस्टर लगाकर नक्सलियों ने वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. दूसरे चरण में वह इलाका भी आता है, जहां अभी भाकपा माओवादियों के शीर्ष चार, एक करोड़ के इनामी उग्रवादी हैं. इसके अलावा महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा, जीवन कंडुलना जैसे बड़े उग्रवादी भी चुनौती बने हुए हैं. महाराज प्रमाणिक के दस्ते के साथ पहले चरण के चुनाव के पहले कुचाई में पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हो चुका है.

दूसरे चरण में कौन-कौन से इलाके हैं नक्सल प्रभावित
दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला- खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका व जुगसलाई, रांची के तमाड़ और मांडर, खूंटी के तोरपा और खूंटी का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभावित इलाके में आते हैं. वहीं, पश्चिमी सिंहभूम के पौड़ैयाहाट और सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिल रही है. यहां भी भाकपा माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन हुआ है.
सारंडा के इलाके में एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है. पौड़ैयाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है. वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है. सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करती रही है. विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभावित इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है. इसके साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है.

सरायकेला- खरसांवा है सर्वाधिक खतरनाक
पुलिस के लिए सबसे अधिक चुनौती सरायकेला- खरसांवा में शांतिपूर्ण मतदान कराने को लेकर मिल रही है. सरायकेला- खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल 9 विस्फोट हुए थे. खरसावां में भाजपा के कार्यालय को भी माओवादियों ने उड़ाया था. इस बार भी सरायकेला में पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपना इरादा बता दिया है.
सरायकेला में एक करोड़ का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने दस्ते के साथ है. पतिराम के साथ ही अलग-अलग गांवों में महाराज और कुख्यात अमित का दस्ता घूम रहा है. अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड़ में रही है. पिछले चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड़ के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था. जिसकी वजह से माओवादियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था.

ये भी पढ़ें-मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सभा को किया संबोधित, गणेश महली के पक्ष में मतदान करने की अपील की

PLFI के गढ़ में भी होना है चुनाव

दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावा राज्य के दूसरे खतरनाक नक्सली संगठन PLFI के गढ़ में भी चुनाव होना है. PLFI का प्रभाव खूंटी और सिमडेगा जिले में सबसे अधिक है. खूंटी जिले के तोरपा, तपकरा, कर्रा, मुरहू के अलावा सिमडेगा पूरा जिला ही PLFI से प्रभावित माना जाता है. PLFI उग्रवादियों के निशाने पर भी अधिकांश राष्ट्रीय पार्टी के लोग होते हैं.

पश्चिम बंगाल के साथ मिलकर चल रहा अभियान
पश्चिम बंगाल से विशेष तौर पर अभियान चलाने के लिए CRPF की चार कंपनियों को सरायकेला में लगाया गया है. इसके अलावा 70 से अधिक स्थानीय सशस्त्र बलों की तैनाती भी कोल्हान इलाके में की गई है. शांतिपूर्ण चुनाव के लिए दूसरे चरण में 150 से भी अधिक बूथों को रिलोकेट किया गया है.

ये भी पढ़ें-कुंदन पाहन की पत्नी ने संभाली प्रचार की कमान, कहा- जीतकर पति जन-समस्याओं को करेंगे दूर

कितने अतिसंवेदनशील और कितने संवेदनशील बूथ
दूसरे चरण के चुनाव में राज्य पुलिस मुख्यालय ने 1 हजार 844 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है. सर्वाधिक अतिसंवेदनशील सीटें चाईबासा और सरायकेला-खरसांवा जिले में हैं. दूसरे चरण के लिए भी 2 हजार113 अतिसंवेदनशील सीटों को चिन्हित किया गया है. दूसरे चरण के चुनाव के लिए पुलिस ने सारे बूथों का सत्यापन पूरा कर लिया है. चुनाव के ठीक पहले भी नक्सल प्रभावित कुछ सीटों को रिलोकेट किया जा सकता है.

रांचीः झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण में कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर जोन की 20 सीटों पर चुनाव होना है. 20 में से 15 सीटें घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं. सरायकेला इलाके में पोस्टर लगाकर नक्सलियों ने वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. दूसरे चरण में वह इलाका भी आता है, जहां अभी भाकपा माओवादियों के शीर्ष चार, एक करोड़ के इनामी उग्रवादी हैं. इसके अलावा महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा, जीवन कंडुलना जैसे बड़े उग्रवादी भी चुनौती बने हुए हैं. महाराज प्रमाणिक के दस्ते के साथ पहले चरण के चुनाव के पहले कुचाई में पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हो चुका है.

दूसरे चरण में कौन-कौन से इलाके हैं नक्सल प्रभावित
दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला- खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका व जुगसलाई, रांची के तमाड़ और मांडर, खूंटी के तोरपा और खूंटी का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभावित इलाके में आते हैं. वहीं, पश्चिमी सिंहभूम के पौड़ैयाहाट और सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिल रही है. यहां भी भाकपा माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन हुआ है.
सारंडा के इलाके में एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है. पौड़ैयाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है. वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है. सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करती रही है. विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभावित इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है. इसके साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है.

सरायकेला- खरसांवा है सर्वाधिक खतरनाक
पुलिस के लिए सबसे अधिक चुनौती सरायकेला- खरसांवा में शांतिपूर्ण मतदान कराने को लेकर मिल रही है. सरायकेला- खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल 9 विस्फोट हुए थे. खरसावां में भाजपा के कार्यालय को भी माओवादियों ने उड़ाया था. इस बार भी सरायकेला में पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपना इरादा बता दिया है.
सरायकेला में एक करोड़ का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने दस्ते के साथ है. पतिराम के साथ ही अलग-अलग गांवों में महाराज और कुख्यात अमित का दस्ता घूम रहा है. अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड़ में रही है. पिछले चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड़ के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था. जिसकी वजह से माओवादियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था.

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PLFI के गढ़ में भी होना है चुनाव

दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावा राज्य के दूसरे खतरनाक नक्सली संगठन PLFI के गढ़ में भी चुनाव होना है. PLFI का प्रभाव खूंटी और सिमडेगा जिले में सबसे अधिक है. खूंटी जिले के तोरपा, तपकरा, कर्रा, मुरहू के अलावा सिमडेगा पूरा जिला ही PLFI से प्रभावित माना जाता है. PLFI उग्रवादियों के निशाने पर भी अधिकांश राष्ट्रीय पार्टी के लोग होते हैं.

पश्चिम बंगाल के साथ मिलकर चल रहा अभियान
पश्चिम बंगाल से विशेष तौर पर अभियान चलाने के लिए CRPF की चार कंपनियों को सरायकेला में लगाया गया है. इसके अलावा 70 से अधिक स्थानीय सशस्त्र बलों की तैनाती भी कोल्हान इलाके में की गई है. शांतिपूर्ण चुनाव के लिए दूसरे चरण में 150 से भी अधिक बूथों को रिलोकेट किया गया है.

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कितने अतिसंवेदनशील और कितने संवेदनशील बूथ
दूसरे चरण के चुनाव में राज्य पुलिस मुख्यालय ने 1 हजार 844 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है. सर्वाधिक अतिसंवेदनशील सीटें चाईबासा और सरायकेला-खरसांवा जिले में हैं. दूसरे चरण के लिए भी 2 हजार113 अतिसंवेदनशील सीटों को चिन्हित किया गया है. दूसरे चरण के चुनाव के लिए पुलिस ने सारे बूथों का सत्यापन पूरा कर लिया है. चुनाव के ठीक पहले भी नक्सल प्रभावित कुछ सीटों को रिलोकेट किया जा सकता है.

Intro:चुनौती -  दूसरे चरण में सर्वाधिक है नक्सली चुनौती ,20 में 15 सीटों पर है नक्सलियों का प्रभाव


रांची।
झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण में कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर जोन की 20 सीटों पर चुनाव होना है। 20 में से 15 सीटे घोर नक्सल प्रभाव क्षेत्र में हैं। सरायकेला इलाके में पोस्टर लगाकर नक्सली वोट बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। दूसरे चरण में वह इलाका आता है जहां अभी भाकपा माओवादियों के शीर्ष चार एक करोड़ के ईनामी उग्रवादियों के अलावे महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा, जीवन कंडुलना जैसे बड़े उग्रवादी चुनौती बन सक्रिय हैं। महाराज प्रमाणिक के दस्ते के साथ पहले चरण के चुनाव के पूर्व कुचाई में पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हो चुकी है।


दूसरे चरण में कौन कौन से इलाके नक्सल प्रभावित

दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला- खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका व जुगसलाई, रांची के तमाड़ और मांडर, खूंटी के तोरपा और खूंटी  का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभाव वाले इलाके में आता है। पश्चिमी सिंहभूम के पौड़ाहाट, सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली है। यहां भी भाकपा माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है। सारंडा के इलाके में एक करोड़ के ईनामी प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है। पौड़ाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है। वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है। सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करते रही है। विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभाव वाले इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है, साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है।

सरायकेला- खरसांवा में सर्वाधिक खतरनाक

पुलिस को सरायकेला- खरसांवा में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की सर्वाधिक चिंता है। सरायकेला- खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल नौ विस्फोट हुए थे। खरसावां में भाजपा के कार्यालय केा भी माओवादियों ने उड़ाया था। इस बार भी सरायकेला में पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपना इरादा जता दिया है। सरायकेला में एक करोड़ का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने दस्ते के साथ है। पतिराम के साथ ही अलग अलग गांवों में महाराज और कुख्यात अमित का दस्ता घूम रहा। अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड़ में रही है। बीते चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड़ के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था। जिसकी वजह से माओवादियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था।

पीएलएफआई के गढ़ में भी होना है चुनाव

दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावे राज्य के दूसरे खतरनाक नक्सली संगठन पीएलएफआई के गढ़ में भी चुनाव होना है। पीएलएफआई का प्रभाव खूंटी, सिमडेगा जिले में सबसे अधिक है। खूंटी जिला के तोरपा, तपकरा,कर्रा, मुरहू के अलावे सिमडेगा पूरा जिला ही पीएलएफआई के प्रभाव में माना जाता है। पीएलएफआई उग्रवादियों के निशाने पर भी अधिकांशत: राष्ट्रीय पार्टी के लोग होते हैं।

पश्चिम बंगाल के साथ मिल, चल रहा अभियान

पश्चिम बंगाल से विशेष तौर पर अभियान चलाने के लिए सीआरपीएफ की चार  कंपनियों को सरायकेला में लगाया गया है। इसके अलावे 70 से अधिक स्थानीय सशस्त्र बलों की तैनाती भी कोल्हान इलाके में की गई है। शांतिपूर्ण चुनाव के लिए दूसरे चरण में 150 से भी अधिक बूथों को रिलोकेट किया गया है।

कितने अतिसंवेदनशील और कितने संवेदनशील बूथ

दूसरे चरण के चुनाव में राज्य पुलिस मुख्यालय ने 1844 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है। सर्वाधिक अतिसंवेदनशील सीटें चाईबासा व सरायकेला- खरसांवा जिले में है। दूसरे चरण के लिए भी 2113 अतिसंवेदनशील सीटों को चिन्हित किया गया है। दूसरे चरण के चुनाव के लिए पुलिस ने सारे बूथ का सत्यापन पूरा कर लिया है। चुनाव के ठीक पहले भी नक्सल प्रभाव के कुछ सीटों को रिलोकेट किया जा सकता है।Body:1Conclusion:2
Last Updated : Dec 3, 2019, 8:48 AM IST
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