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राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की चेतावनी, जनसंख्या के आधार पर मिले आरक्षण, नहीं तो चुनाव में भुगतना पड़ेगा अंजाम

रांची में राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी दिया गया कि घोषणा-पत्र में ओबीसी से जुड़े 10 मुद्दों को चिन्हित किया जाए.

राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने दी चेतावनी
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Published : Apr 17, 2019, 5:11 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 5:24 PM IST

रांची: राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि उनके घोषणा-पत्र में ओबीसी से जुड़े 10 मुद्दों को चिन्हित किया जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले चुनाव में इन पार्टियों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है.

राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने दी चेतावनी

इस बार के लोकसभा चुनाव में ओबीसी-पिछड़ी जाति का फैक्टर भी अहम भूमिका निभाएगी. राज्य भर में ओबीसी की जनसंख्या 52 प्रतिशत है और इसे नजरअंदाज करना विभिन्न पार्टियों को महंगा पड़ सकता है. वहीं, भाजपा, कांग्रेस, जेएमएम और जेवीएम जैसे राजनीतिक पार्टियों से ओबीसी के 10 मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की मांग की.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से सभी वर्गों के संख्या अनुपात में आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की गई. जिसमें ओबीसी समुदाय को जनसंख्या अनुपात के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था, सरकारी सेवा क्षेत्र में 52% आरक्षण, प्रस्तावित आरक्षण में ओबीसी, एसटी -एससी के लिए प्रावधान सहित नियुक्तियों में ओबीसी के रोस्टर की जांच को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

रांची: राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि उनके घोषणा-पत्र में ओबीसी से जुड़े 10 मुद्दों को चिन्हित किया जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले चुनाव में इन पार्टियों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है.

राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने दी चेतावनी

इस बार के लोकसभा चुनाव में ओबीसी-पिछड़ी जाति का फैक्टर भी अहम भूमिका निभाएगी. राज्य भर में ओबीसी की जनसंख्या 52 प्रतिशत है और इसे नजरअंदाज करना विभिन्न पार्टियों को महंगा पड़ सकता है. वहीं, भाजपा, कांग्रेस, जेएमएम और जेवीएम जैसे राजनीतिक पार्टियों से ओबीसी के 10 मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की मांग की.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से सभी वर्गों के संख्या अनुपात में आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की गई. जिसमें ओबीसी समुदाय को जनसंख्या अनुपात के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था, सरकारी सेवा क्षेत्र में 52% आरक्षण, प्रस्तावित आरक्षण में ओबीसी, एसटी -एससी के लिए प्रावधान सहित नियुक्तियों में ओबीसी के रोस्टर की जांच को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

Intro:राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने राजधानी रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर राज्य के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि उनके घोषणा पत्र में ओबीसी से जुड़े 10 मुद्दों को चिन्हित किया जाए नहीं तो आने वाले चुनाव में इन पार्टियों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है ,क्योंकि राज्य में 52% ओबीसी समुदाय के लोग रहते हैं और इनका वोट जिधर जाएगा वहीं पार्टी चुनावी मैदान में जीत हासिल करेगा...


Body:इस बार के लोकसभा चुनाव में ओबीसी-पिछड़ी जाति का फैक्टर भी अहम भूमिका निभाएगी . गौरतलब है कि राज्य भर में 52 प्रतिशत ओबीसी की जनसंख्या है और इसे नजरअंदाज करना विभिन्न पार्टियों को महंगा पड़ सकता है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा द्वारा सभी वर्गों के संख्या अनुपात में आरक्षण का प्रावधान देने और उसी अनुसार ओबीसी समुदाय को जनसंख्या अनुपात में केंद्र और राज्य सरकार की शिक्षा, सरकारी सेवा क्षेत्र में 52% आरक्षण दिए जाने ,प्रस्तावित आरक्षण में ओबीसी ,एसटी -एससी के लिए प्रावधान करने, नियुक्तियों में ओबीसी के रोस्टर की जांच जैसे मांगों को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, मौके पर भाजपा-कांग्रेस जेएमएम- जेवीएम जैसे राजनीतिक पार्टियों को ओबीसी के 10 मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की मांग की गई...

बाइट- राजेश कुमार ,अध्यक्ष, राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा




Conclusion:
Last Updated : Apr 17, 2019, 5:24 PM IST
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