रांचीः राजधानी के मोरहाबादी मैदान में 28 दिसंबर 2022 से आठ जनवरी 2023 तक आयोजित किए गए राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव का रविवार को समापन हो गया. झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के समापन समारोह में राज्यपाल रमेश बैस बतौर मुख्य अतिथि शामिल (Governor In Closing Ceremony Of Saras Festival) हुए. इस मौके पर उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के प्रति प्रदेशवासियों में बहुत उत्साह और आकर्षण रहता है, लेकिन कोरोना महामारी की विभीषिका के कारण दो वर्षों तक इस महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका था. उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में खादी और ग्रामोद्योग से जुड़े कई शिल्पकारों और कारीगरों द्वारा उत्साहपूर्वक स्टॉल के साथ-साथ विभिन्न सेवाओं के स्टॉल भी लगाये गए. खुशी की बात यह है कि महोत्सव में देश के कोने-कोने से आये हुए विविध विधाओं के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाट्य प्रस्तुत किए गए. आम लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन निश्चित रूप से सराहनीय है.
ये भी पढे़ं-खादी सरस मेला के समापन समारोह में शामिल हुईं कल्पना सोरेन, उत्पादों की ली जानकारी
खादी ने ग्राम आधारित रोजगार और स्वदेशी की कल्पना को नया आयाम दिया हैः राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि खादी ने देश के ग्राम आधारित रोजगार और स्वदेशी की भारतीय कल्पना को नया आयाम दिया है. खादी, कारीगरों को सतत रोजगार उपलब्ध कराने में विश्वास रखता है. राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव (National Khadi And Saras Festival In Ranchi) में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के हर पहलुओं को समेटे उनकी तस्वीरों के माध्यम से उनके जीवन पर आधारित गांधी संग्रहालय बनाया गया. यह संग्रहालय महात्मा गांधी के विचार और उनका खादी के प्रति लगाव को दिखाता है. महोत्सव में खादी आधारित बापू के सिद्धांत और उद्देश्य के अनुरूप स्वरोजगार, स्वावलंबन और ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तीकरण की झलक दिखी.
देश की आजादी के आंदोलन में खादी का महत्वपूर्ण योगदानः राज्यपाल ने कहा (Jharkhand Governor Ramesh Bais) यह महोत्सव देशभर के बुनकरों, कारीगरों और हस्तशिल्पियों के उत्पाद को मंच प्रदान करता है. इस महोत्सव से उनकी एक विशिष्ट पहचान बनी है. राज्यपाल ने कहा कि हम जानते हैं कि देश की आजादी के आंदोलन में खादी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी के माध्यम से देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया था. उन्होंने गांवों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया. उनका मानना था कि खादी और ग्राम उद्योग को अपनाने से लोगों के सामाजिक स्तर में भी सुधार आ सकता है. पूज्य बापू ने इन पर सिर्फ उपदेश ही नहीं दिया, बल्कि इसे स्वयं आत्मसात भी किया. इतिहास साक्षी है कि स्वदेशी, स्वराज, सत्याग्रह के साथ चरखे और खादी ने भारत की आजादी की लड़ाई में कितनी अहम भूमिका निभायी है. खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक भी है. खादी का एक-एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बनी थी, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद भारत की नींव रखी. आज विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए खादी का एक-एक धागा प्रेरणास्रोत बन सकता है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकता है.
खादी केवल वस्त्र नहीं, बल्कि एक विचार हैः खादी केवल वस्त्र या एक उत्पाद नहीं है, बल्कि एक विचार है. जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिया है. इसमें कुटीर उद्योग के जरिए स्वावलंबन और रोजगार खड़ा करने का बड़ा उद्देश्य समाहित है. खादी के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले अधिक-से-अधिक लोगों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है. इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, उद्योग विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को समन्वय स्थापित कर इस दिशा में कार्य करना होगा. देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विकास से वंचित रह गया है और आज भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहा है. ऐसे लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना देश के सामने एक बड़ी चुनौती है और इस चुनौती का उचित माध्यम महात्मा गांधी का विकास मॉडल ‘खादी और ग्राम उद्योग’ हो सकता है.
खादी में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की क्षमताः राज्यपाल ने कहा खादी में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है. खादी के साथ ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प और आधुनिक तकनीकों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अपना कर और ग्रामीणों को रोजगार सुलभ कराकर उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. खादी आज गांवों में रहनेवाले बहुत से लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है. इसे बाजार की मांग के अनुरूप अपना उत्पाद तैयार करना होगा.
युवाओं में भी खादी के प्रति आकर्षण बढ़ाः खादी कपड़े के प्रति लोगों के नजरिये में आज बदलाव देखने को मिल रहा है. अब फैशन शो आदि में भी खादी के आकर्षक कपड़े देखने को मिलते हैं. हमारे युवाओं में भी खादी के प्रति आकर्षण बढ़ा है और वे खादी के वस्त्रों का उपयोग कर रहे हैं. देशभर के हस्तशिल्प कारीगरों की खुशहाली इसी बात पर निर्भर है कि हम खादी और ग्रामोद्योग को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं. झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से राज्यपाल ने आह्वान किया कि वह लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए खादी का और व्यापक प्रचार-प्रसार करें. खादी के रोजगार से बेरोजगारों और गरीबों को जोड़ने के लिए उन्हें ऋण सुलभ कराने के लिए अपने स्तर से सदैव प्रयासरत रहें. उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण सुलभ कराएं और उनके लिए एक अच्छा बाजार उपलब्ध कराएं.