रांची: लॉकडाउन की स्थिति के बाद प्रवासी मजदूर महानगरों से लौटकर गांव में रह रहे हैं और वे बेरोजगार हैं. ऐसी परिस्थिति में कुछ मजदूर स्वयं की पैतृक जमीन पर खेती कर रहे हैं. ऐसा ही एक किसान जिले के उलातू गांव के हैं, जो इन दिनों अच्छी खेती करके आमदनी कमा रहा हैं.
भारत में कोरोना संकट की वजह से लाखों मजदूर बेरोजगार हुए हैं, वहीं निजी क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के सामने भी रोजगार का गंभीर संकट है. ग्रामीण पृष्ठभूमि के युवा आजीविका का रास्ता अपने गांवों में तलाश रहे हैं. ऐसे में जो मजदूर अपने आसपास के क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरी करते थे, वे भी इन दिनों बेरोजगार हैं.
रांची के टाटीसिल्वे पंचायत के उलातू गांव में प्रगतिशील किसान मुनेश महतो लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हो चुके थे. वे राजमिस्त्री थे और लॉकडाउन ने उनका रोजगार छीन लिया. ऐसी परिस्थिति में मुनेश कड़ी मेहनत से खेती कर रहे हैं और अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं. उनके आग्रह पर जिला परिषद सदस्य सह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर उनकी खेती को देखने उनके गांव पहुंची और मजदूर से किसान बनने की पूरी कहानी ईटीवी भारत को बताई.
आपदा को अवसर में बदला
किसान मुनेश महतो ने बताया कि वह पेशे से मजदूर था और राजमिस्त्री का काम करता था. लॉकडाउन के पहले वह मजदूरी करने के लिए गुमला जिला के चैनपुर में रहता था और वहीं काम करता था. लॉकडाउन के दौरान काम मिलना बंद हो गया. इस दौरान आवागमन भी पूरी तरह से रूक गया था.
ऐसे में मुनेश पैदल ही चैनपुर से रांची के टाटीसिल्वे स्थित उलातु अपने गांव पहुंचा. यहां पहुंचने के बाद भी काम न होने के कारण उसके जीवन पर आर्थिक संकट मंडरा रहा था. ऐसे में उसने अपने पैतृक जमीन पर खेती करने की ठानी. इस दौरान उसने काम के लिए बाहर न जाने का प्रण भी लिया और खेती की शुरूआत कर दी.
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ओल, पपीता और उड़द की खेती से की शुरूआत
मुनेश महतो ने खेती के लिए अपनी जमीन के साथ-साथ गांव में खाली पड़ी दूसरों की जमीन को भी खेती के लिए चुना. मुनेश ने पहले से ही केजीवीके में थोड़ी ट्रेनिंग ली थी, इस कारण उसका हौसला बढ़ा और 2 एकड़ में ओल, साढ़े चार एकड़ में पपीता, एक एकड़ में उड़द की खेती शुरू की.
उसने इसके अलावा खीरे की खेती भी की. इससे उसे काफी अच्छी आमदनी हुई. उसने अपने परिवार वालों के साथ-साथ गांव के भी कुछ लोगों को रोजगार दिया और अपनी खेती से उन्हें जोड़ा. ऐसी विपरित परिस्थिति में सरकार पर भरोसा करने की जगह मुनेश स्वयं अपने बलबूते खेती करके आगे बढ़ रहा है.
सरकारी सहयोग की जरूरत
किसान मुनेश महतो ने बताया कि अपनी 1.60 एकड़ जमीन और बाकी गांव के लोगों से लीज पर ली है. उसने इसके लिए करीब 3 लाख रुपए खेती में लगाया है. मुनेश का कहना है कि अगर सरकार उनकी मदद करे तो वे इससे भी बड़ी स्तर पर खेती करेंगे और लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित भी करेंगे.