रांची: कोरोना संकट काल के बीच लगातार झारखंड के श्रमिकों को घर वापस लाने के प्रयास के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की देशभर में प्रशंसा हो रही है. इसे लेकर झारखंड सरकार अब शहरी अकुशल श्रमिकों के लिए 'मुख्यमंत्री श्रमिक योजना' की शुरुआत करने जा रही है. नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को मूर्त रूप देने का काम तीव्र गति से शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत झारखंड के शहरों में निवास करने वाली 18 साल से ज्यादा उम्र के अकुशल श्रमिकों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार गारंटी मिलेगा. अगर किसी आवेदक को 15 दिन के अंदर काम नहीं मिलता है तो वह बेरोजगारी भत्ता का हकदार होगा. ये भत्ता पहले महीने में न्यूनतम मजदूरी का एक चौथाई, दूसरे महीने में न्यूनतम मजदूरी का आधा और तीसरे महीने से न्यूनतम मजदूरी के समतुल्य होगा. राज्य सरकार अपनी विकास की सीमाओं और आर्थिक क्षमता के अनुरूप शहरी क्षेत्र के लिए उपलब्ध बजट का ही उपयोग इस योजना के संचालन के लिए करेगी, लेकिन नगर निकायों को क्रिटिकल गैप फंड के रूप में अतिरिक्त राशि देने के लिए बजट में भी अलग से प्रावधान होगा. इस रोजगार गारंटी योजना के शुरू होने के बाद झारखंड के शहरी श्रमिकों को भी परिवार के पालन-पोषण के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा. उन्हें अपने वार्ड या अपने शहर में ही काम मिलेगा.
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झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से शहरों में चलाई जा रही योजनाओं में वहां के स्थानीय श्रमिकों को रोजगार सुनिश्चित कराया जाएगा. अगर महिला कामगार कार्यस्थल पर कार्य करती है तो वहां उनके बच्चों को रखने की भी व्यवस्था रहेगी, ताकि वह निश्चिंत होकर कार्य कर सकें. नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से यह योजना, राज्य शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से संचालित कराई जाएगी. नगर निकायों के नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारियों और विशेष पदाधिकारी इस के नोडल पदाधिकारी होंगे.