रांची: झारखंड के 18 हजार गृह रक्षकों का आंदोलन पिछले 22 दिनों से जारी है. झारखंड विधानसभा के सामने अपने-अपने हथियार जमा कर राज्य के सभी जिलों के गृह रक्षक अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि पिछले 22 दिनों के दौरान विधानसभा सत्र भी खत्म हो गया, लेकिन आज तक सरकार का कोई भी नुमाइंदा होमगार्ड जवानों से बातचीत करने तक नहीं पहुंचा. वहीं, होमगार्ड जवानों का साफ कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तब तक आंदोलन जारी रखेंगे.
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बिहार की तर्ज पर सुविधा देने की मांग
होमगार्ड्स की तरफ से यह मांग की गई थी कि उन्हें भी बिहार सरकार में होमगार्ड्स को मिलने वाली सारी सुविधाएं दी जाए. विधानसभा सत्र में भी यह मांग उठी थी, लेकिन इस सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि बिहार सरकार की तर्ज पर होमगार्ड जवानों को भविष्य निधि योजना, कर्मचारी पेंशन योजना, कर्मचारी निक्षेप सहबद्ध बीमा योजना का लाभ देने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. वहीं, विधानसभा को भेजे गए जवाब में बताया गया है कि होमगार्ड जवानों को पुलिसकर्मियों के समान वेतन देने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया था, लेकिन सरकार इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय गई थी, जहां मामला विचाराधीन है.
बिहार में होमगार्ड मिलती हैं ये सुविधाएं
- बिहार में होमगार्ड जवानों को कर्तव्य भत्ता के रूप में रोजना 774 रुपये का भुगतान होता है.
- समान कार्य समान वेतन (पुलिस वालों की तरह)
- नियमित ड्यूटी मिलती है
- कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) की सुविधा भी मिली हुई है
- रिटायरमेंट के समय डेढ़ लाख रुपये का भुगतान होता है
झारखंड में क्या स्थिति है?
झारखंड में होमगार्ड जवानों को 1 अप्रैल 2019 से महज 500 रुपये कर्तव्य भत्ता का भुगतान प्रतिदिन होता है. साल में मात्र तीन महीने ड्यूटी मिलती है. 18 हजार 673 होमगार्ड्स जवानों में से 9 हजार को ही ड्यूटी मिलती है. वर्तमान में झारखंड में कुल 18 हजार 673 होमगार्ड के जवान हैं, जिनमें से वर्तमान में मात्र 9 हजार जवान ही ड्यूटी कर रहे हैं. एक दिन की ड्यूटी के एवज में इन्हें 500 रुपये मिलते हैं. जिस दिन ड्यूटी नहीं मिली उस दिन उन्हें किसी प्रकार के मानदेय का भुगतान नहीं होता है. होमगार्ड के 9 हजार वैसे जवान जिन्हें ड्यूटी नहीं मिलती है, उनकी स्थिति काफी दयनीय है. मजबूरी में उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी तक करनी पड़ती है.
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कोर्ट में चल रहा है मामला
झारखंड में होमगार्ड जवानों को पुलिस के समान काम के लिए उनके समान वेतन और भत्ते फिलहाल नहीं मिल रहे हैं. राज्य सरकार के गृह विभाग के संयुक्त सचिव सतीश कुमार की ओर से इस संबंध में होमगार्ड और अग्निशमन सेवा के डीजी एमवी राव से पत्राचार किया गया था. सरकार की ओर से होमगार्ड डीजी को भेजे गए पत्र में जिक्र है कि होमगार्ड जवान अजय प्रसाद बनाम राज्य सरकार के मामले में हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों को पुलिस के समान काम के कारण समान वेतन और भत्ता देने का आदेश जारी किया था, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ तत्कालीन रघुवर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही अब इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
बिहार की तर्ज पर भुगतान की मांग
दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान होमगार्ड जवानों को आरक्षियों के समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश साल 2018 में दिया था, लेकिन राज्य सरकार हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट चली गई. ऐसे में होमगार्ड जवानों को यह लाभ नहीं मिल पाया. विधानसभा में हाल ही में सरकार ने यह जवाब भी दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बिहार की तर्ज पर भुगतान देने के मामले में भी सरकार फैसला नहीं ले पाई है.
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अगर मांगें नहीं पूरी होगी तो खत्म करें डिपार्टमेंट
होमगार्ड जवानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मान सकती है तो फिर होमगार्ड्स डिपार्टमेंट को ही बंद कर देना चाहिए. आंदोलन के दौरान महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड सरकार एक तरफ जहां महिलाओं को लेकर बड़े-बड़े काम करने का दावा करती है वहीं दूसरी तरफ झारखंड होमगार्ड की महिला जवान खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
पूरे देश में एक साथ हुआ था होमगार्ड का गठन
वैसे तो पूरे देश में होमगार्ड का गठन विधिवत रूप से 1962 में हुआ था, लेकिन होमगार्ड का इतिहास आजादी से पहले का है. 1946-47 में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे. कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी. ऐसे हालात में पुलिस के साथ मदद के लिए गृह रक्षक संगठन यानी होमगार्ड की स्थापना की गई. ये एक ऐसा संगठन था, जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर वे नौजवान भी शामिल थे, जो अपने रोजमर्रा के अलावा समाज की बेहतरी के लिए स्वैच्छिक तौर पर काम करना चाहते थे. आजादी के बाद इस संगठन को विस्तार नहीं दिया जा सका, लेकिन 1962 के चीन युद्ध में एक बार फिर पुलिस को मददगारों की जरूरत महसूस हुई और 6 दिसंबर 1962 को गृह रक्षक संगठन का पुनर्गठन किया गया. तभी से होमगार्ड महकमा अपना 6 दिसंबर को स्थापना दिवस मनाने लगे.
हर राज्य में है अलग-अलग सुविधाएं और वेतनमान
झारखंड में वर्तमान समय में होमगार्ड के जवान आंदोलन पर है. अगर होमगार्ड को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो यह हर राज्य में अलग-अलग है. अब चुकी बिहार से अलग होकर झारखंड का निर्माण हुआ था. ऐसे में झारखंड के होमगार्ड के जवान भी बिहार के तर्ज पर ही सुविधाएं और वेतनमान की डिमांड को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे होमगार्ड जवानों ने साफ कर दिया है कि वे लोग अप्रैल महीने के 5 तारीख से जेल भरो आंदोलन चलाएंगे. उसके बाद भी अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो वह एक साथ सीएम आवास का घेराव करेंगे.