रांची: झारखंड के दो बड़े सरकारी स्वास्थ्य संस्थान सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्रिक (सीआईपी) और राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में व्यवस्थाएं और भी बेहतर बनाने के लिए दोनों संस्थाओं के बीच शुक्रवार को एमओयू हुआ. इस समझौता का उद्देश्य दोनों संस्थानों के चिकित्सकों और कर्मियों के साथ म्यूचुअल कॉपरेशन, जनशक्ति प्रशिक्षण और उच्च अनुसंधान के उन्नयन के लिए आपसी सहयोग सुनिश्चित करना है.
दोनों संस्थान जरूरत पड़ने पर अब ले सकेंगे आपसी सहयोगः इस मौके पर रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद और सीआईपी के निदेशक डॉ वासुदेव दास ने दोनों संस्थानों के नोडल अधिकारियों डॉ अजय बाखला और डॉ संजय कुमार मुंडा की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इस समझौता ज्ञापन से दोनों संस्थान के कर्मचारी जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के संस्थान में जाकर स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां प्राप्त करेंगे. इससे अब रिम्स में आने वाले मानसिक रोग के मरीजों का इलाज और भी बेहतर तरीके से हो पाएगा.
दोनों चिकित्सा संस्थानों का रहा है गौरवशाली इतिहासःबता दें कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्रिक देश के बेहतर स्वास्थ्य संस्थानों में से एक है. इस अस्पताल की स्थापना वर्ष 1918 में की गई थी. यहां पर मानसिक रूप से गंभीर मरीजों का बेहतर इलाज होता है. वहीं रिम्स की बात करें तो रिम्स भी झारखंड के पुराने स्वास्थ्य संस्थान में शामिल हैं. वर्ष 1960 में रिम्स की स्थापना हुई थी. वर्ष 2002 तक रिम्स (RIMS) को आरएमसीएच (RMCH) के नाम से जाना जाता था.
दोनों अस्पताल मरीजों के लिए बेहतर तरीके से करेंगे कामः गौरतलब है कि दोनों संस्थानों का इतिहास काफी पुराना है. दोनों संस्थान स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई दशक से लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं, लेकिन 26 मई यानी शुक्रवार को हस्ताक्षर हुए समझौता ज्ञापन के बाद यह दोनों संस्थान राज्य के मरीजों के लिए और भी मजबूती और बेहतर तरीके से काम कर सकेगा.
मौके पर ये थे मौजूदः इस मौके पर रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद, सीआईपी के निदेशक डॉ वासुदेव दास, डॉ अजय बाखला, डॉ संजय मुंडा, डॉ अनिल कुमार, डॉ प्रदीप भट्टाचार्य, डॉ अविनाश शर्मा और डॉ निशांत गोयल उपस्थित थे.