रांची: झारखंड में 60-40 वाली नियोजन नीति के विरोध में छात्र संगठनों द्वारा 19 अप्रैल को बुलाए गये झारखंड बंद पर राजनीति शुरू हो गई है. छात्रों के विरोध को तमाम राजनीतिक दल जायज ठहरा रहे हैं लेकिन खुलकर सामने आने से बच रहे हैं. इस कड़ी में मूलवासी सदान मोर्चा ने भी बंद को समर्थन दिया है. मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने कोर कमेटी सदस्यों से विचार विमर्श के बाद झारखंड बंद को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि सरकार 60-40 के नाम पर नियोजन नीति को ना उलझाए. यह राज्य का गंभीर मसला है. इसको लेकर लोगोंकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं. खतियान आधारित नियोजन नीति व स्थानीय नीति को लेकर मूलवासी सदान मोर्चा लंबे समय से आंदोलन करता रहा है.
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार जबतक अपनी स्थानीय नीति और नियोजन नीति नहीं बना लेती है, तब तक झारखंड में होने वाले नियुक्ति का आधार संयुक्त बिहार की नियोजन नीति होनी चाहिए जो 3 मार्च 1982 को लागू हुई थी. वह नीति खतियान आधारित है. राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि संयुक्त बिहार में बने नियम कानून से झारखंड में बहुत सारे काम हो रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य से नियोजन नीति के मामले में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि जो झारखंड के हित में होता है वह काम झारखंड के अधिकारी करना नहीं चाहते हैं. हमारे राजनेताओं की इच्छा शक्ति की कमी के कारण आज झारखंडी विरोधी मानसिकता के लोग हावी हो रहे हैं.
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा हम कोई बाहरी भीतरी की बात नहीं करते हैं. जो लोग अपने मूल राज्य छोड़कर सिर्फ झारखंड के होकर रह गए हैं उन्हें स्थानीय नीति का लाभ कैसे मिले इस पर सरकार को जरूर देखना चाहिए. लेकिन स्थानीय नीति का लाभ कुछ लोग अपने मूल राज्य में भी लेना चाहते हैं और झारखंड में भी लेना चाहते हैं, असली समस्या यह है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया वे नियोजन नीति को लेकर सामाजिक संगठनों के साथ तुरंत बैठक करें.
राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि झारखंड सरकार जन भावना का आदर करे. झारखंडियों के शहादत से ही झारखंड बना है. इसका मान सरकार को रखना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार झारखंडियों के अधिकार के साथ खिलवाड़ करती है तो आने वाले चुनाव में परिणाम घातक होंगें.