रांची: मानसून सत्र 2021 (Monsoon session 2021 ) के अंतिम दिन गुरुवार को भी हंगामा जारी रहा. बुधवार को भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज के विरोध में विपक्षी दल बीजेपी, आजसू ने जमकर नारेबाजी (BJP leaders protest outside assembly with black clothes) की. गुरुवार को सदन के बाहर गहमागहमी बनी रही.
ये भी पढ़ें-स्वास्थ्य मंत्री ऑटो चलाकर पहुंचे विधानसभा, सीपी सिंह की टिप्पणी पर जताया विरोध, भाजपा का काउंटर अटैक
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र 2021 के अंतिम दिन गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी दल बीजेपी और आजसू के विधायक जमकर नारेबाजी की. विपक्षी दलों ने बुधवार को विधानसभा घेराव के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर हुए पुलिस लाठीचार्ज का जमकर विरोध किया(BJP leaders protest outside assembly with black clothes). विधानसभा में विपक्षी दल भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने काला कपड़ा पहन कर विरोध जताया और हेमंत सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की.
यह है मामला
बता दें कि बुधवार को विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस ने भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज कर दिया था. पुलिस लाठीचार्ज में भाजपा के कई कार्यकर्ता घायल हो गए हैं. इसके विरोध में झारखंड बीजेपी गुरुवार को राज्यभर में काला दिवस मना रही है. इसी को लेकर सड़क से लेकर सदन तक में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
लाठीचार्ज की भर्त्सना
सदन के बाहर हेमंत सरकार के विरोध में नारेबाजी कर रहे भाजपा विधायकों ने इस दौरान पुलिस ज्यादती का विरोध करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा. बिरंची नारायण ने पुलिस लाठीचार्ज की निंदा करते हुए सरकार के कामकाज की जमकर आलोचना की. वहीं भाजपा विधायक अनंत ओझा और रणधीर सिंह ने हेमंत सरकार को पूरी तरह फेल बताते हुए पुलिस लाठीचार्ज की भर्त्सना की.
ये भी पढ़ें-Jharkhand Assembly Updates: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आज अंतिम दिन
आजसू का भी मिला साथ,सदन के बाहर धरने पर बैठे आजसू विधायक
मानसून सत्र 2021 के अंतिम दिन भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा. सदन शुरू होने से पहले लाठीचार्ज का विरोध कर रहे भाजपा विधायकों को आजसू का भी साथ मिला.आजसू विधायक लंबोदर महतो ने धरना देते हुए राज्य में कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की और धरने पर बैठ गए.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से 1950 में इसे अनुसूचित जनजाति के श्रेणी से हटाकर पिछड़ी जाति में शामिल कर दिया गया था. कुर्मी को फिर से अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रति राज्य सरकार उदासीन है, जबकि उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति बहुत ही कमजोर है.