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बोले मांडर विधायक, पारा शिक्षकों के स्थायीकरण-वेतनमान नियमावली लागू करने में आ रही दिक्कत - रांची खबर

मांडर विधायक बंधु तिर्की ने रविवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान की नियमावली लागू करने में आ रहे आ रही रुकावट दूर करने की मांग की है. पारा शिक्षक पिछले 17-18 वर्षों से अपनी सेवा के स्थायीकरण और वेतनमान के लिए आंदोलनरत हैं.

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मांडर विधायक बंधु तिर्की
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Published : Jan 17, 2021, 8:04 PM IST

रांची: मांडर विधायक बंधु तिर्की ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान की नियमावली लागू करने में आ रहे गतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त करने का आग्रह किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा राज्य के 65000 पारा शिक्षक है.

पिछले 17-18 वर्षों से अपने सेवा के स्थायीकरण और वेतनमान के निमित्त आंदोलनरत रहे हैं. ऐसे में झारखंड की लोकप्रिय सरकार से राज्य के पारा शिक्षकों को काफी उम्मीदें हैं. महागठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में पारा शिक्षकों की मांगों को पूरी करने की बात कही थी. राज्य के सभी 65000 पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के निमित्त प्रस्तावित नियमावली 9 जून 2020 को हुई उच्च स्तरीय बैठक में हुए समझौते के अनुसार और एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की ओर से दिए गए सुझाव पर भी विचार किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- रांची में जेडीयू प्रदेश कार्यसमिति की बैठक, पुरानी कमेटी को किया गया भंग

उन्होंने कहा है कि आंदोलनरत पारा शिक्षकों पर पूर्व की भाजपा सरकार की ओर से रांची और राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज मुकदमे वापस लिया जाएं. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की ओर से किए गए कार्यो से पूरे देश में राज्य का नाम गौरवांवित हुआ है. सरकार ने सफलतापूर्वक एक वर्ष पूरी कर लिया है, लेकिन पारा शिक्षकों की समस्याएं पहले जैसी ही है. प्रतिदिन पारा शिक्षकों की मृत्यु हो रही है और प्रतिदिन कोई ना कोई पारा शिक्षक बिना किसी लाभ के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में पारा शिक्षकों में निराशा और आक्रोश पनप रहा है. पारा शिक्षकों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उनकी मांगों को पूर्ण की जाए.

रांची: मांडर विधायक बंधु तिर्की ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान की नियमावली लागू करने में आ रहे गतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त करने का आग्रह किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा राज्य के 65000 पारा शिक्षक है.

पिछले 17-18 वर्षों से अपने सेवा के स्थायीकरण और वेतनमान के निमित्त आंदोलनरत रहे हैं. ऐसे में झारखंड की लोकप्रिय सरकार से राज्य के पारा शिक्षकों को काफी उम्मीदें हैं. महागठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में पारा शिक्षकों की मांगों को पूरी करने की बात कही थी. राज्य के सभी 65000 पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के निमित्त प्रस्तावित नियमावली 9 जून 2020 को हुई उच्च स्तरीय बैठक में हुए समझौते के अनुसार और एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की ओर से दिए गए सुझाव पर भी विचार किया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा है कि आंदोलनरत पारा शिक्षकों पर पूर्व की भाजपा सरकार की ओर से रांची और राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज मुकदमे वापस लिया जाएं. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की ओर से किए गए कार्यो से पूरे देश में राज्य का नाम गौरवांवित हुआ है. सरकार ने सफलतापूर्वक एक वर्ष पूरी कर लिया है, लेकिन पारा शिक्षकों की समस्याएं पहले जैसी ही है. प्रतिदिन पारा शिक्षकों की मृत्यु हो रही है और प्रतिदिन कोई ना कोई पारा शिक्षक बिना किसी लाभ के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में पारा शिक्षकों में निराशा और आक्रोश पनप रहा है. पारा शिक्षकों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उनकी मांगों को पूर्ण की जाए.

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