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आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के सजायाफ्ता विधायक बंधु तिर्की को हाईकोर्ट से राहत, पढ़ें पूरा फैसला

विधायक बंधु तिर्की को झारखंड हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से 28 मार्च 2022 को दी गई प्रोविजनल बेल को कंफर्म करते हुए जमानत की याचिका पर सुनवाई की और प्रोविजनल बेल को कंफर्म कर दिया.

MLA Bandhu Tirkey convicted of earning disproportionate assets relief from High Court provisional bail confirmed
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के सजायाफ्ता विधायक बंधु तिर्की को हाईकोर्ट से राहत
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Published : Apr 25, 2022, 6:18 PM IST

Updated : Apr 25, 2022, 8:56 PM IST

रांची: विधायक बंधु तिर्की को झारखंड हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से 28 मार्च 2022 को दी गई प्रोविजनल बेल को कंफर्म करते हुए जमानत की याचिका पर सुनवाई की. न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में जमानत को लेकर बहस हुई. अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए एलसीआर की मांग भी की, 4 हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें-बंधु तिर्की की विधायकी गई, अधिसूचना जारी

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सीबीआई विशेष कोर्ट से आय से अधिक संपत्ति मामले में सजायाफ्ता विधायक बंधु तिर्की ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की थी और निचली अदालत से मिली सजा को चुनौती दी थी. अदालत से मिले प्रोविजनल बेल को भी कंफर्म करने की गुहार लगाई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने विधायक को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी मानते हुए 3 साल की सजा और 3 लाख रुपया का जुर्माना लगाया है. उसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

अधिवक्ता धीरज तिवारी ने दी घटनाक्रम की जानकारी
याचिका के माध्यम से विधायक ने हाईकोर्ट से गुहार लगाया है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने जो सजा दी है. वह सही नहीं है. इसलिए इस सजा को रद्द कर दिया जाए. उन्होंने सीबीआई पर भी आरोप लगाया है कि सीबीआई ने जो आरोप विधायक पर लगाए हैं. उसे बिना प्रूफ किए उन्हें यह सजा दी गई है. इसलिए यह सजा सही नहीं है. अदालत के इस फैसले को रद्द किया जाना चाहिए.

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में 28 मार्च को बंधु तिर्की को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने दोषी करार देते हुए, 3 साल की सजा और 3 लाख का जुर्माना लगाया है. विधायक को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2)13(1) 13 (3) के तहत दोषी करार दिया था. यह मामला वर्ष 2010 में दर्ज किया गया था. इस केस का नंबर आरसी 5(A) 2010 है. सीबीआई के अनुसार बंधु तिर्की ने अपने विधायक और मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2009 के बीच 6 लाख 28 हज़ार 698 रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है.


झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त 2010 को CBI ने विजिलेंस केस नंबर 09/09 की जांच को टेकओवर करते हुए 11 अगस्त 2010 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी. जांच के बाद 21 मार्च 2013 को CBI ने बंधु तिर्की की आय, संपत्ति और व्यय का विवरण देते हुए क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में जमा की थी. सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित हुआ था.

रांची: विधायक बंधु तिर्की को झारखंड हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से 28 मार्च 2022 को दी गई प्रोविजनल बेल को कंफर्म करते हुए जमानत की याचिका पर सुनवाई की. न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में जमानत को लेकर बहस हुई. अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए एलसीआर की मांग भी की, 4 हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सीबीआई विशेष कोर्ट से आय से अधिक संपत्ति मामले में सजायाफ्ता विधायक बंधु तिर्की ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की थी और निचली अदालत से मिली सजा को चुनौती दी थी. अदालत से मिले प्रोविजनल बेल को भी कंफर्म करने की गुहार लगाई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने विधायक को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी मानते हुए 3 साल की सजा और 3 लाख रुपया का जुर्माना लगाया है. उसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

अधिवक्ता धीरज तिवारी ने दी घटनाक्रम की जानकारी
याचिका के माध्यम से विधायक ने हाईकोर्ट से गुहार लगाया है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने जो सजा दी है. वह सही नहीं है. इसलिए इस सजा को रद्द कर दिया जाए. उन्होंने सीबीआई पर भी आरोप लगाया है कि सीबीआई ने जो आरोप विधायक पर लगाए हैं. उसे बिना प्रूफ किए उन्हें यह सजा दी गई है. इसलिए यह सजा सही नहीं है. अदालत के इस फैसले को रद्द किया जाना चाहिए.

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में 28 मार्च को बंधु तिर्की को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने दोषी करार देते हुए, 3 साल की सजा और 3 लाख का जुर्माना लगाया है. विधायक को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2)13(1) 13 (3) के तहत दोषी करार दिया था. यह मामला वर्ष 2010 में दर्ज किया गया था. इस केस का नंबर आरसी 5(A) 2010 है. सीबीआई के अनुसार बंधु तिर्की ने अपने विधायक और मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2009 के बीच 6 लाख 28 हज़ार 698 रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है.


झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त 2010 को CBI ने विजिलेंस केस नंबर 09/09 की जांच को टेकओवर करते हुए 11 अगस्त 2010 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी. जांच के बाद 21 मार्च 2013 को CBI ने बंधु तिर्की की आय, संपत्ति और व्यय का विवरण देते हुए क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में जमा की थी. सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित हुआ था.

Last Updated : Apr 25, 2022, 8:56 PM IST
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