सारण: सपने सभी लोग देखते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों में उन सपनों को पूरा करने का जज्बा, हुनर और लगन होता है. बिहार के सारण जिले के निवासी मिथिलेश प्रसाद की भी हवा में उड़ने की ख्वाहिश थी. वह बचपन से चाहता था कि एक हेलीकॉप्टर अपने हाथों से बनाए. जिसमें वह उड़ सके. लेकिन, आर्थिक तंगी के कारण सपना पूरा होना मुश्किल था. लेकिन उसने हार नहीं मानी. बल्कि अपने सपने को पूरा करने के में लग गया.
अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए छपरा जिले के बनियापुर प्रखंड के सरमी गांव के रहने वाले मिथिलेश ने नैनो कार को हेलीकॉप्टर बना दिया. हेलीकॉप्टर शक्ल के दिखने वाले इस कार की बस एक कमी है कि यह उड़ नहीं सकती. भले यह कार हवा में उड़ नहीं सकती परन्तु सामने से गुजरते ही लोग हैरत में पड़ जाते हैं. इन दिनों बनियापुर की सड़कों पर हेलीकॉप्टर को रफ्तार भरते देखा जा रहा है.
हेलिकॉप्टर बनाने में 7लाख खर्च
मिथिलेश ने बताया कि हेलीकॉप्टर बनाने के आइडिया को धरातल पर उतारने के लिए मिथिलश ने पुरानी नैनो कार खरीदी. फिर उसके बॉडी में बदलाव किया. आकर्षक लुक देने के लिए उसमें पंखे, मोटर व लाइट लगाई. जिसमें लगभग सात लाख रुपये की लागत आई.
इस चॉपर का इंटीरियर लोहे का बना है जबकि बाहरी हिस्सा ऐल्युमिनियम का बना है. मिथिलेश ने बताया कि इन सबके अलावा उन्होंने अपने चॉपर में ट्रिप लाइटें, आरजीबी रिमोट कंट्रोल लाइटें भी रोटार ब्लेड और टेल रोटार में लगाईं हैं.
सपने को पूरा करने में भाई ने की मदद
मिथिलेश के सपने को पूरा करने में उसके भाई ने उसका साथ दिया. मिथिलेश के भाई ने बताया कि अक्सर गांव के युवा हेलीकॉप्टर में चढ़ने की बात करते हैं, जो पूरा होना थोड़ा मुश्किल है. उस पर से आर्थिक तंगी जिस वजह से सपना पूरा नहीं हो सका. लेकिन आज मिथिलेश ने अपने उस सपने को हकीकत का रुप दिया है. हेलीकॉप्टर शक्ल की कार बनाने ने यह सोच भी मददगार रहा.
कौन है मिथिलेश प्रसाद?
सारण जिले के बनियापुर ब्लॉक के सरमी गांव के रहने वाले मिथिलेश कुमार प्रसाद के पिता एक किसान हैं. 24 वर्षीय मिथिलेश अपने भाई के साथ गुजरात में पाइपलाइन फिटिंग का काम करता था. लेकिन एक दिन उसने अपने सपने को पूरा करने के मकसद से बिहार के सारण अपने गांव लौट आया.
मिथिलेश ने बताया कि उसने सबसे पहले एक पुरानी नैनो कार खरीदी. फिर उसके बॉडी में बदलाव किया. आकर्षक लगने के लिए उसमें पंखे, मोटर व लाइट लगाए और नैनो गाड़ी को हेलीकॉप्टर का लुक दे दिया. जिसमें लगभग सात लाख रुपये की लागत आई. मिथिलेश ने बताया कि बचपन से ही उसे हेलीकॉप्टर बनाने और उड़ाने का शौक था. इसलिए दोनों भाइयों ने नैनो कार को ही हेलीकॉप्टर बनाने का आइडिया निकाला. जिसमें उन्हें सफलता मिली.