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मनरेगा आयुक्त ने सभी डीडीसी को लिखा पत्र, हर गांव में पांच से छह योजनाओं के क्रियान्वयन का निर्देश

मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने सभी जिलों के डीसी और डीडीसी को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से उन्होंने निर्देश दिया है कि हर गांव में पांच से छह योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए.

MGNREGA workers
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Published : Oct 22, 2021, 8:03 PM IST

रांची: मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने सभी जिलों के उपायुक्तों और उप विकास आयुक्तों को पत्र लिखकर अपने-अपने जिलों में "ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास अभियान" से संबंधित गतिविधियों के सफल संचालन का निर्देश दिया है. मनरेगा आयुक्त ने प्रति परिवार औसतन मानव दिवस में वृद्धि, जॉब कार्ड निर्गत करने, जॉब कार्ड का सत्यापन, प्रति ग्राम हर समय 5 से 6 योजनाओं के क्रियान्वयन और पूर्व से चली आ रही पुरानी योजनाओं को पूरा करने को कहा है.

ये भी पढ़ें- मंत्री आलमगीर आलम के आवास का घेराव, विभागीय मंत्री को उनका वादा याद दिलाने आए हैं- मनरेगाकर्मी

मनरेगा आयुक्त ने कहा है कि अभियान के तहत नियमित रोजगार दिवस और ग्राम सभा का आयोजन करना है. इसके साथ इच्छुक सभी परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ महिलाओं और एसटी-एससी के सदस्यों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना है. साथ ही प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पर्याप्त योजनाओं की स्वीकृति, अधिक से अधिक महिला मेट का नियोजन, एनएमएमएस के माध्यम से मेट द्वारा अधिक से अधिक मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करना, जीआईएस बेस्ड प्लानिंग, सामाजिक अंकेक्षण के दौरान पाए गए मामलों का निष्पादन और राशि की वसूली सुनिश्चित करना है.

पत्र में उन्होंने कहा है कि इस अभियान से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की गई है. राज्य सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के ग्रामीण एवं प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव व टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. विभागीय सचिव डॉक्टर मनीष रंजन के निर्देश पर राज्य में वापस आनेवाले प्रवासी श्रमिकों को उनके क्वारेंटाइन अवधि के दौरान ही जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. कोविड-19 के संक्रमण के बाद मजदूरों ने भी राज्य में ही रोजगार की तलाश शुरू कर दी है. वह गांव से जुड़ी योजनाओं में शामिल होकर न सिर्फ गांव की तस्वीर बदल रहे हैं, बल्कि अपनी तकदीर भी खुद लिख रहे हैं.

आपको बता दें कि मजदूरों को ससमय पारिश्रमिक प्रदान करने के मामले में झारखंड राज्य ने पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक कुल 19.14 लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया है. शेष 662 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं.

रांची: मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने सभी जिलों के उपायुक्तों और उप विकास आयुक्तों को पत्र लिखकर अपने-अपने जिलों में "ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास अभियान" से संबंधित गतिविधियों के सफल संचालन का निर्देश दिया है. मनरेगा आयुक्त ने प्रति परिवार औसतन मानव दिवस में वृद्धि, जॉब कार्ड निर्गत करने, जॉब कार्ड का सत्यापन, प्रति ग्राम हर समय 5 से 6 योजनाओं के क्रियान्वयन और पूर्व से चली आ रही पुरानी योजनाओं को पूरा करने को कहा है.

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मनरेगा आयुक्त ने कहा है कि अभियान के तहत नियमित रोजगार दिवस और ग्राम सभा का आयोजन करना है. इसके साथ इच्छुक सभी परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ महिलाओं और एसटी-एससी के सदस्यों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना है. साथ ही प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पर्याप्त योजनाओं की स्वीकृति, अधिक से अधिक महिला मेट का नियोजन, एनएमएमएस के माध्यम से मेट द्वारा अधिक से अधिक मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करना, जीआईएस बेस्ड प्लानिंग, सामाजिक अंकेक्षण के दौरान पाए गए मामलों का निष्पादन और राशि की वसूली सुनिश्चित करना है.

पत्र में उन्होंने कहा है कि इस अभियान से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की गई है. राज्य सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के ग्रामीण एवं प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव व टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. विभागीय सचिव डॉक्टर मनीष रंजन के निर्देश पर राज्य में वापस आनेवाले प्रवासी श्रमिकों को उनके क्वारेंटाइन अवधि के दौरान ही जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. कोविड-19 के संक्रमण के बाद मजदूरों ने भी राज्य में ही रोजगार की तलाश शुरू कर दी है. वह गांव से जुड़ी योजनाओं में शामिल होकर न सिर्फ गांव की तस्वीर बदल रहे हैं, बल्कि अपनी तकदीर भी खुद लिख रहे हैं.

आपको बता दें कि मजदूरों को ससमय पारिश्रमिक प्रदान करने के मामले में झारखंड राज्य ने पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक कुल 19.14 लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया है. शेष 662 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं.

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