रांची. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की पहली सीनेट की बैठक बुधवार को आयोजित की गई, लेकिन छात्र संघ के हंगामे की वजह से इस बैठक में फिजिकल तौर पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू नहीं शामिल हुई. बैठक के दौरान यूजीसी रेगुलेशन 2010 के आधार पर गठित परिणयम प्रारूप की संपुष्टि हुई और इसकी स्वीकृति दे दी गई. इस बैठक में एक भी मनोनीत सांसद विधायक सदस्य नहीं पहुंचे.
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कुछ देर के लिए खिजरी विधायक राजेश कक्ष्यप पहुंचे जरूर थे, लेकिन वह भी बैठक शुरू होने से पहले ही निकल गए. विधानसभा की तर्ज पर होती है सीनेट की बैठक. विधानसभा की तर्ज पर किसी भी विश्वविद्यालय की सीनेट की बैठक आयोजित होती है. इस बैठक में भी कई प्रोटोकॉल है. नियम के तहत ही बैठक की कार्यवाही शुरू होती है और राष्ट्रगान के साथ बैठक की समाप्ति की जाती है .
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इसी कड़ी में विश्वविद्यालय बनने के बाद डीएसपीएमयू ने अपनी पहली सीनेट की बैठक बुधवार को आयोजित की लेकिन छात्र संघ के सदस्यों के हंगामे के कारण जिस उत्साह के साथ बैठक को लेकर तैयारियां की गईं थी. बैठक की शुरुआत उस उत्साह के साथ नहीं हो सकी. बैठक में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू अध्यक्षता करने पहुंचने वाली थी.
तभी छात्र संगठन के सदस्यों ने बैठक में आमंत्रित नहीं करने के कारण नाराज होकर विश्वविद्यालय परिसर में हो हंगामा करने लगे. इसके बाद जब इसकी सूचना राज्यपाल को हुई वह ऑनलाइन ही इस बैठक की विधिवत उद्घाटन कर दिया.
एक भी विधायक व सांसद सदस्य नहीं पहुंचे
सीनेट में अध्यक्ष द्रौपदी मुरमू के साथ कुल 60 सदस्य बनाए गए हैं. इनमें विधायक और सांसद भी सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए हैं. सरयू राय, बैजनाथ राम, सुखराम उरांव ,आलोक कुमार चौरसिया, अंबा प्रसाद ,राजेश कक्षप भी डीएसपीएमयू के सीनेट के सदस्य हैं, लेकिन इस बैठक में मनोनीत सदस्यों ने पहुंचना मुनासिब नहीं समझा.
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उच्च शिक्षा को बेहतर करने के लिए यह जनप्रतिनिधि कितना सजग हैं और तो और उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक ,झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक, तकनीकी शिक्षा झारखंड सरकार के निदेशक भी इस सीनेट के सदस्य हैं, लेकिन यह अधिकारी भी इस बैठक में नहीं पहुंचे.
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इसके बावजूद राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद डीएसपीएमयू के रजिस्ट्रार अजय कुमार चौधरी ने वीसीएन मुंडा के भाषण के बाद सीनेट की कार्यवाही शुरू की और कई विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा के बाद सहमति प्रदान की गई.
यूजीसी रेगुलेशन 2010 पारित
सबसे पहले इस बैठक में यूजीसी रेगुलेशन 2010 के आधार पर गठित परिणयम प्रारूप पर चर्चा करने के बाद इसकी स्वीकृति दे दी गई.
वहीं वर्ष 2018 में आयोजित सिंडिकेट की बैठक में लिए गए निर्णयों को भी सीनेट में पारित किया गया. अब तक हुई सिंडिकेट की बैठक के फैसलों पर सहमति प्रदान कर दी गई.
वहीं कई विषयों पर प्रोफेसर संदीप नाग ने आपत्ति भी दर्ज कराई है. सर्वाधिक आपत्ति इसी सीनेट सदस्य की ओर से रखी गई है, जिसमें वीसी एसएन मुंडा के लिए ब्राजील दौरे के दौरान सूटकेस खरीदारी और नोकिया सेट मोबाइल खरीदारी पर भी सवाल उठाया गया और आपत्ति दर्ज कराई गई.
डोनेशन सीट का विरोध
वहीं वित्त समिति की ओर से अनुमोदित वित्तीय वर्ष 2019- 20, 2020- 21 और 2021 22 के बजट के संपुष्टि हुई और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया. गौरतलब है कि इस विश्वविद्यालय को को सरकारी सोर्स के अपेक्षा अपने अंतरिक सोर्स में बजट का ज्यादा है. इसके बावजूद बैठक के दौरान डोनेशन सीट पर विरोध जताया गया. तमाम सीनेट सदस्यों ने 15 फीसदी डोनेशन सीट का विरोध किया है और इस प्रस्ताव को निरस्त किया गया है.
2020-21 और 2021-22 का बजट हुआ पेश
डीएसपीएमयू के सीनेट ने वित्तीय वर्ष 2020 -21 के लिए 16 करोड़ 70 लाख का बजट पेश किया .वहीं 2021-22 के लिए 12 करोड़ 92 लाख 70 हजार 533 रुपये का अनुमानित बजट पेश किया है.
बताते चलें कि राज्य का यह पहला विश्वविद्यालय है जो अपने इंटरनल सोर्स से बजट का प्रावधान ज्यादा करता है सरकारी सोर्स के अपेक्षा खुद यह विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से मजबूत है.