रांचीः झारखंड के वीर सपूत परमवीर चक्र विजेता लांस नायक शहीद अलबर्ट एक्का का आज शहादत दिवस है. आज राज्य के साथ-साथ पूरा देश उनके बलिदान को याद कर रहा है. उनके गृह जिला गुमला में भी लोग उनको याद कर रहे हैं.
20 साल की उम्र में चीनियों के छुड़ाए छक्के
अलबर्ट ने महज 20 साल की उम्र में अपनी बुद्धि और बहादुरी का लोहा मनवाया. साल 1962 में चीन के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने बहादुरी का परिचय दिया.
अकेले ही पाक सैनिकों को धूल चटाई
साल 1971 में भारत-पाक युद्ध हुआ. 26 साल के अलबर्ट एक्का उस वक्त बी-कंपनी में थे. गंगासागर के पास भारतीय सेना का मोर्चा था. जहां पता चला कि पास के रेलवे स्टेशन में 165 पाकिस्तानी घुसपैठ कर अड्डा जमाये हुए हैं. भारतीय सैनिकों ने 2 दिसंबर को आक्रमण किया.
3 दिसंबर की रात करीब 2:30 बजे भारतीय सैनिकों ने जैसे ही रेलवे स्टेशन पार किया, पाकिस्तानी सेना के संतरी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. भारतीय सैनिकों ने संतरी को मारकर दुश्मन के इलाके में जा घुसे. इधर पाकिस्तानी सैनिकों ने एलएमजी बंकर से भारतीय सैनिकों पर जवाबी कार्रवाई की.
अलबर्ट एक्का ने जान की परवाह किए बिना अपना ग्रेनेड एलएमजी में डाल दिया और पाक सेना का पूरा बंकर उड़ा दिया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने 65 पाक सैनिकों को मार गिराया, जबकि 15 को कैद कर लिया. रेलवे के आउटर सिग्नल पर कब्जा करने के बाद वापस आने के दौरान टॉप टावर के ऊपर खड़े पाक सैनिकों ने अचानक मशीनगन से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया.
इसमें 15 भारतीय सैनिक शहीद हुए. यह देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए टॉप टावर पर चढ़ गए और मशीनगन को कब्जे में लेकर दुश्मनों के जिस्म को गोलियों से छलनी कर दिया. इस दौरान उन्हें भी करीब 25 गोलियां लगीं. वो टावर से नीचे गिर गये और वहीं अंतिम सांस ली.
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पारिवारिक जीवन
अलबर्ट एक्का का जन्म साल 1942 में गुमला जिला के छोटे से गांव जारी में हुआ था. उनके पिता जूलियस एक्का सेना के जवान थे, जबकि मां मरियम एक्का गृहिणी थीं. पिता ने द्वितीय विश्वयुद्ध में योगदान दिया था. रिटायर होने के बाद इच्छा जताई कि उनका बेटा अलबर्ट भी सेना में भर्ती हो.
अलबर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सीसी पतराटोली और माध्यमिक शिक्षा भीखमपुर से हासिल की थी. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वो आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने गांव में ही पिता के साथ खेती-बारी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. इस दौरान अलबर्ट ने दो वर्षों तक नौकरी की तलाश भी की, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली.
इसके बाद वो भारतीय सेना में शामिल हो गए. साल 1968 में अलबर्ट एक्का का विवाह बलमदीना एक्का से हुआ. वर्ष 1969 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. भिंसेंट मात्र दो वर्ष के थे, तभी वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में अलबर्ट एक्का शहीद हो गये.
पत्नी बलमदीना को अलबर्ट एक्का के शहीद होने का समाचार अपने ससुर से मिला. बलमदीना ने अपने बेटे भिंसेंट को खूब पढ़ाया. भिसेंट भी सेना में जाना चाहते थे, लेकिन मां की हालत देख वो सेना में नहीं गए. भिसेंट की शादी गांव में ही हुई. उसके दो बेटी और एक पुत्र है, सभी पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल भिंसेंट एक्का जारी ब्लॉक में सरकारी नौकरी कर रहे हैं.