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एक तरफ प्यास से मर रही है रांची! दूसरी तरफ ड्राई जोन में चल रहा 'अशुद्ध' बॉटलिंग प्लांट

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Published : Jul 4, 2019, 6:42 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 7:52 PM IST

रांची में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है, लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ शहर के ड्राई जोन में पानी की शुद्धता जांच किए बगैर ही बॉटलिंग प्लांट धड़ल्ले से चल रहा है.

राजधानी का कई जगह हुआ ड्राई जोन

रांची: राजधानी के लोग एक तरफ जहां पीने के पानी को लेकर संकट झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शहर के ड्राई जोन कैटेगरी में आ चुके कई इलाकों में पानी के बॉटलिंग प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं. रांची नगर निगम के इलाके में पड़ने वाले रातू रोड, हरमू रोड, मोरहाबादी, कांके रोड समेत अन्य इलाकों में 300 से अधिक ऐसे बॉटलिंग प्लांट हैं जहां से बोतलों और बड़े प्लास्टिक जार में भर कर पानी का व्यापार बदस्तूर जारी है.

जल है तो कल है, देखें पूरी खबर

राजधानी का कांके रोड इलाका बेहद वीवीआईपी माना जाता है यहां मुख्यमंत्री से लेकर झारखंड विधानसभा के स्पीकर समेत कई लोग रहते हैं. लेकिन यह इलाका भी ड्राई जोन में तब्दील हो चुका है. सड़क के दोनों तरफ का इलाका ऐसा है जहां 500 से 700 फीट नीचे बोरिंग कराने पर पानी मिलने की संभावना होती है. शहर का हरमू, रातू रोड, थड़पखना, तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया और धुर्वा का एचईसी इलाका भी ड्राइ जोन बन चुका है. हैरत की बात यह है कि इन इलाकों में भी कई निजी बॉटलिंग प्लांट के यूनिट लगे हुए हैं और यहां से बोतल में पानी भरकर शहर में सप्लाई किया जाता है.

दरअसल, नगर निगम ट्रेड लाइसेंस जारी करता है, जिसके तहत उसके अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का व्यापार किया जाता है. इसके अलावा पानी की गुणवत्ता और उसकी खरीद बिक्री को लेकर अलग संस्थान हैं जो सर्टिफिकेट देते हैं. लेकिन राजधानी में चलने वाले ज्यादातर बॉटलिंग प्लांट के पास पानी की शुद्धता को लेकर सर्टिफिकेट नहीं है.

क्या कहते हैं पर्यावरणविद और विभागीय मंत्री
पर्यावरणविद भी मानते हैं कि यह सही नहीं है कि एक तरफ जहां निगम पानी की सप्लाई नहीं दे पाता वहीं, दूसरी तरफ ड्राई जोन में बॉटलिंग प्लांट की इजाजत दे रहा है. इस मामले पर राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस कहते हैं कि विभागीय सचिव को उन्होंने निर्देश दिया है कि ऐसे बॉटलिंग प्लांट के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने को कहा गया है.

रांची: राजधानी के लोग एक तरफ जहां पीने के पानी को लेकर संकट झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शहर के ड्राई जोन कैटेगरी में आ चुके कई इलाकों में पानी के बॉटलिंग प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं. रांची नगर निगम के इलाके में पड़ने वाले रातू रोड, हरमू रोड, मोरहाबादी, कांके रोड समेत अन्य इलाकों में 300 से अधिक ऐसे बॉटलिंग प्लांट हैं जहां से बोतलों और बड़े प्लास्टिक जार में भर कर पानी का व्यापार बदस्तूर जारी है.

जल है तो कल है, देखें पूरी खबर

राजधानी का कांके रोड इलाका बेहद वीवीआईपी माना जाता है यहां मुख्यमंत्री से लेकर झारखंड विधानसभा के स्पीकर समेत कई लोग रहते हैं. लेकिन यह इलाका भी ड्राई जोन में तब्दील हो चुका है. सड़क के दोनों तरफ का इलाका ऐसा है जहां 500 से 700 फीट नीचे बोरिंग कराने पर पानी मिलने की संभावना होती है. शहर का हरमू, रातू रोड, थड़पखना, तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया और धुर्वा का एचईसी इलाका भी ड्राइ जोन बन चुका है. हैरत की बात यह है कि इन इलाकों में भी कई निजी बॉटलिंग प्लांट के यूनिट लगे हुए हैं और यहां से बोतल में पानी भरकर शहर में सप्लाई किया जाता है.

दरअसल, नगर निगम ट्रेड लाइसेंस जारी करता है, जिसके तहत उसके अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का व्यापार किया जाता है. इसके अलावा पानी की गुणवत्ता और उसकी खरीद बिक्री को लेकर अलग संस्थान हैं जो सर्टिफिकेट देते हैं. लेकिन राजधानी में चलने वाले ज्यादातर बॉटलिंग प्लांट के पास पानी की शुद्धता को लेकर सर्टिफिकेट नहीं है.

क्या कहते हैं पर्यावरणविद और विभागीय मंत्री
पर्यावरणविद भी मानते हैं कि यह सही नहीं है कि एक तरफ जहां निगम पानी की सप्लाई नहीं दे पाता वहीं, दूसरी तरफ ड्राई जोन में बॉटलिंग प्लांट की इजाजत दे रहा है. इस मामले पर राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस कहते हैं कि विभागीय सचिव को उन्होंने निर्देश दिया है कि ऐसे बॉटलिंग प्लांट के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने को कहा गया है.

Intro:बाइट 1 रामचन्द्र सहिस, मंत्री पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
बाइट 2 नितीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद

रांची। राजधानी रांची के लोग एक तरफ जहां पीने के पानी को लेकर संकट झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शहर के ड्राई जॉन कैटेगरी में आ चुके कई इलाकों में पानी के बॉटलिंग प्लांट धड़ल्ले से काम कर रहे हैं। रांची नगर निगम के इलाके में पढ़ने वाले रातू रोड, हरमू रोड, मोरहाबादी, कांके रोड समेत अन्य इलाकों में 300 से अधिक ऐसे बॉटलिंग प्लांट है जहां से बोतलों और बड़े प्लास्टिक जार में भर कर पानी का व्यापार बदस्तूर जारी है। हैरत की बात यह है कि राजधानी का ज्यादातर इलाका ड्राई जोन में कन्वर्ट हो चुका है।


Body:कौन-कौन इलाके हैं ड्राइ ज़ोन वाले
राजधानी का कांके रोड जहां मुख्यमंत्री, झारखंड विधानसभा के स्पीकर समेत कई वीआईपी रहते हैं वह इलाका भी ड्राई जोन में तब्दील हो चुका है। सड़क के दोनों तरफ का इलाका ऐसा है जहां 500 से 700 फीट नीचे बोरिंग कराने पर पानी मिलने की संभावना है। वैसे ही हरमू, रातू रोड, थड़पखना, तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया और धुर्वा का एचईसी इलाका भी ड्राइ ज़ोन बन चुका है। हैरत की बात यह है कि इन इलाकों में भी कई निजी बॉटलिंग प्लांट के यूनिट लगे हुए हैं और यहां से बोतल में पानी भरकर शहर में सप्लाई किया जाता है।


Conclusion:दरअसल नगर निगम ट्रेड लाइसेंस जारी करता है जिसके तहत उसके अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का व्यापार किया जाता है। हालांकि पानी की गुणवत्ता और उसकी खरीद बिक्री को लेकर अलग संस्थान हैं जो सर्टिफिकेट देते हैं। हालांकि राजधानी में चलने वाले ज्यादातर बॉटलिंग प्लांट के पास पानी की शुद्धता को लेकर सर्टिफिकेट नहीं है। एक ऐसा विषय है जिस पर कैमरे के आगे कोई खुलकर बोलना नहीं चाहता।

क्या कहते हैं पर्यावरणविद और विभागीय मंत्री
पर्यावरणविद भी मानते हैं कि यह सही नहीं है। एक तरफ जहां निगम पानी की सप्लाई नहीं दे पाता वहीं दूसरी तरफ ड्राई जोन में बॉटलिंग प्लांट की इजाजत दे। यह विरोधाभासी लगता है। वहीं इस बाबत राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस कहते हैं कि विभागीय सचिव को उन्होंने निर्देश दिया है कि ऐसे बॉटलिंग प्लांट के खिलाफ जो विधि सम्मत कार्रवाई हो वह की जाए।
Last Updated : Jul 4, 2019, 7:52 PM IST
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