रामगढ़ः 2019 में विधानसभा चुनाव को करीब 35 वर्षों के बाद जीतने में सफल रही कांग्रेस क्या इस बार उसे दोहराएगी. रामगढ़ उपचुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज कर पाएगी या पहले के कई चुनावों की तरह चंद्र प्रकाश चौधरी अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को जीत दिलाने में सफल होंगे. इस तरह के सवाल इन दिनों रामगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में ना केवल गूंज रहे हैं बल्कि राजधानी रांची के राजनीतिक गलियारों में भी नेताओं के बीच चर्चा के विषय बने हुए हैं.
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27 फरवरी को रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. इससे पहले जनता को रिझाने के लिए जिस तरह से एनडीए और यूपीए ने तैयारियां की हैं उससे साफ लग रहा है कि यह चुनाव सामान्य चुनाव नहीं होगा. दोनों ओर से जीत के दावे अभी से किए जाने लगे हैं. यूपीए के घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तो यहां तक कह दिया है कि जीत का फासला 50,000 से ज्यादा का होगा. वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में आजसू को सहयोग कर रही भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि रामगढ़ की जनता राज्य सरकार की विफलताओं को ध्यान में रखकर सबक सिखाने का काम करेगी. जिसके लिए पूरी रणनीति एनडीए के अंदर में तय की गई है.
रामगढ़ के रण में आमने सामने यूपीए-एनडीएः इस उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे खासकर गोला गोलीकांड को भी एनडीए हथियार बना रहा है, जिस वजह से ममता देवी की सदस्यता चली गई. इसके अलावे हेमंत सरकार के द्वारा पिछले दिनों लिए गए फैसले खासकर 1932 खतियान आधारित स्थानीयता, ओबीसी आरक्षण, निजी क्षेत्र में 75%आरक्षण जैसे मुद्दे उठाये जायेंगे.
इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के मनोज पांडे का मानना है कि पिछले 3 वर्षों में हुए चार उपचुनाव की तरह रामगढ़ उपचुनाव में भी एनडीए को मात मिलेगी. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने जिस तरह से पिछले 3 वर्षों से कार्य किए हैं, उसका फायदा रामगढ़ उपचुनाव में देखने को मिलेगा. हम लोग चिंतित हैं कि जीत का फासला 50000 से अधिक कैसे हो इस पर हमारी चुनौती जरूर है. गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी को 99944 मत मिले थे, वहीं आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी 71226 वोट और भाजपा प्रत्याशी रणंजय कुमार एक 30874 वोट मिले थे.