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रामनवमी में महावीरी झंडा का होता है विशेष महत्व, आप भी जानें क्यों फहराया जाता है ध्वज

रामनवमी के मौके पर महावीरी झंडा घर पर लगाने की परंपरा हमेशा से रही है. माना जाता है कि इससे सुख, समृद्धि के साथ-साथ रामभक्त हनुमान कष्टों को दूर करते हैं. रामनवमी के अवसर पर देश के कई जगहों पर जुलूस निकाला जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण लोग अपने-अपने घरों में ही भगवान राम के साथ-साथ हनुमान की पूजा कर रहे हैं.

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राम मंदिर
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Published : Apr 21, 2021, 4:35 PM IST

Updated : Apr 21, 2021, 8:39 PM IST

रांची: झारखंड में रामनवमी खास तरीके से मनाया जाता रहा है. भगवान श्रीराम के साथ-साथ लोग रामभक्त हनुमान की पूजा बड़ी ही आस्था और भक्ति के साथ करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण वो नजारा सड़कों पर नहीं देखने को मिल रहा है. लोग अपने-अपने घरों में महावीरी झंडा लगा रहे हैं. कहा जाता है कि रामनवमी के अवसर पर महावीरी झंडा घर पर लगाने से सुख, समृद्धि के साथ-साथ रामभक्त हनुमान सारे कष्टों को दूर करते हैं.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें: रामनवमी के पावन अवसर पर झारखंड के CM सहित कई नेताओं ने दी बधाई

रामनवमी में लोग घर से लेकर अखाड़ों में झंडा की पूजा बड़े ही विधि विधान के साथ करते हैं. उसके बाद लोग रामनवमी जुलूस में शामिल होते हैं. वैसे तो झंडा का पूजन लंबे समय से होता आ रहा है, लेकिन रांची में महावीरी झंडा का 1929 में सर्वप्रथम अपर बाजार हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर तपोवन मंदिर तक जुलूस के रूप में लाकर लगाने का प्रमाण मिला है. इससे पहले हजारीबाग में रामनवमी जुलूस में रामभक्तों के बजरंगी झंडा लेकर शामिल होने के प्रमाण मिले हैं. रामनवमी के अवसर पर लगने वाला महावीरी झंडा सनातन धर्मावलंबियों के लिए खास है. रामभक्त हनुमान के नाम से जाना जाने वाला महावीरी झंडा यश, कीर्ति, विजय और पराक्रम का प्रतीक है. मान्यता यह है कि जिस जगह पताका या झंडा फहरता है, उसके वेग से वहां की नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के रथ पर यही महावीरी पताका लगी थी, जो उस रथ के साथ-साथ अर्जुन की भी रक्षा कर रही थी.

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महावीरी झंडा से पटा शहर


विजय प्राप्त होने पर फहराई जाती है ध्वजा
हिंदू समाज में घरों में स्वास्तिक या ॐ या रामभक्त हनुमान के नाम पर झंडा लगाने की परंपरा रही है. इसके पीछे मान्यता यह है कि इस झंडा के जरिए यश, कीर्ति, विजय और पराक्रम दूर-दूर तक फैलेगा. इसीलिए पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी.

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राम मंदिर

इसे भी पढ़़ें: भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के माता-पिता कोरोना संक्रमित, पल्स अस्पताल में हैं भर्ती


महावीरी ध्वज का विशेष महत्व
महावीरी ध्वज का सनातन धर्म में विशेष महत्व और आस्था है. ध्वज की छत्र छाया में पर्यावरण के शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलता है. शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है. झंडा या पताका आयताकार या तिकोना होता है, जिस पर कुछ विशिष्ट धर्मों के चिन्ह बने होते हैं और जो किसी जाति, दल, राष्ट्र, संप्रदाय या समाज का प्रतीक चिन्ह होता है. इसे घरों, मंदिरों, जुलूसों आदि में फहराया जाता है.

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हनुमान मंदिर


ध्वजा का ये है धार्मिक महत्व
घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. झंडा या ध्वजा को वायव्य कोण यानी उत्तर पश्चिम दिशा में जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानी वायव्य कोण में राहु का निवास होता है. ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक और दोष का नाश होता है, घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है. घरों में पीला सिंदूर, लाल या केशरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ या हनुमान जी का चित्र लगा हुआ झंडा लगाना चाहिए. इससे सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.

रांची: झारखंड में रामनवमी खास तरीके से मनाया जाता रहा है. भगवान श्रीराम के साथ-साथ लोग रामभक्त हनुमान की पूजा बड़ी ही आस्था और भक्ति के साथ करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण वो नजारा सड़कों पर नहीं देखने को मिल रहा है. लोग अपने-अपने घरों में महावीरी झंडा लगा रहे हैं. कहा जाता है कि रामनवमी के अवसर पर महावीरी झंडा घर पर लगाने से सुख, समृद्धि के साथ-साथ रामभक्त हनुमान सारे कष्टों को दूर करते हैं.

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रामनवमी में लोग घर से लेकर अखाड़ों में झंडा की पूजा बड़े ही विधि विधान के साथ करते हैं. उसके बाद लोग रामनवमी जुलूस में शामिल होते हैं. वैसे तो झंडा का पूजन लंबे समय से होता आ रहा है, लेकिन रांची में महावीरी झंडा का 1929 में सर्वप्रथम अपर बाजार हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर तपोवन मंदिर तक जुलूस के रूप में लाकर लगाने का प्रमाण मिला है. इससे पहले हजारीबाग में रामनवमी जुलूस में रामभक्तों के बजरंगी झंडा लेकर शामिल होने के प्रमाण मिले हैं. रामनवमी के अवसर पर लगने वाला महावीरी झंडा सनातन धर्मावलंबियों के लिए खास है. रामभक्त हनुमान के नाम से जाना जाने वाला महावीरी झंडा यश, कीर्ति, विजय और पराक्रम का प्रतीक है. मान्यता यह है कि जिस जगह पताका या झंडा फहरता है, उसके वेग से वहां की नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के रथ पर यही महावीरी पताका लगी थी, जो उस रथ के साथ-साथ अर्जुन की भी रक्षा कर रही थी.

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महावीरी झंडा से पटा शहर


विजय प्राप्त होने पर फहराई जाती है ध्वजा
हिंदू समाज में घरों में स्वास्तिक या ॐ या रामभक्त हनुमान के नाम पर झंडा लगाने की परंपरा रही है. इसके पीछे मान्यता यह है कि इस झंडा के जरिए यश, कीर्ति, विजय और पराक्रम दूर-दूर तक फैलेगा. इसीलिए पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी.

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राम मंदिर

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महावीरी ध्वज का विशेष महत्व
महावीरी ध्वज का सनातन धर्म में विशेष महत्व और आस्था है. ध्वज की छत्र छाया में पर्यावरण के शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलता है. शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है. झंडा या पताका आयताकार या तिकोना होता है, जिस पर कुछ विशिष्ट धर्मों के चिन्ह बने होते हैं और जो किसी जाति, दल, राष्ट्र, संप्रदाय या समाज का प्रतीक चिन्ह होता है. इसे घरों, मंदिरों, जुलूसों आदि में फहराया जाता है.

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हनुमान मंदिर


ध्वजा का ये है धार्मिक महत्व
घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. झंडा या ध्वजा को वायव्य कोण यानी उत्तर पश्चिम दिशा में जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानी वायव्य कोण में राहु का निवास होता है. ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक और दोष का नाश होता है, घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है. घरों में पीला सिंदूर, लाल या केशरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ या हनुमान जी का चित्र लगा हुआ झंडा लगाना चाहिए. इससे सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.

Last Updated : Apr 21, 2021, 8:39 PM IST
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