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मधुपुर का रण: पूर्व के चुनावों से कैसे अलग है इस बार का चुनाव, पढ़ें रिपोर्ट - मधुपुर उपचुनाव न्यूज

मंत्री हाजी हुसैन के असमय निधन के कारण मधुपुर में उपचुनाव हो रहा है. 17 अप्रैल को वोटिंग होगी. मधुपुर विधानसभा सीट पर 2005, 2014 और 2019 में सीधी टक्कर भाजपा और झामुमो के बीच हुई. सिर्फ 2009 में झामुमो का सामना जेवीएम से हुआ. अब तक हुए चार चुनावों में दो बार झामुमो तो दो बार भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है.

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मधुपुर उपचुनाव
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Published : Apr 8, 2021, 5:16 PM IST

रांची: राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक झारखंड में चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. देवघर जिला के मधुपुर विधानसभा सीट पर 2005, 2014 और 2019 में सीधी टक्कर भाजपा और झामुमो के बीच हुई. सिर्फ 2009 में झामुमो का सामना जेवीएम से हुआ. फिर भी अब तक हुए चार चुनावों में दो बार झामुमो तो दो बार भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई.

इसे भी पढे़ं: मधुपुर विधानसभा सीट पर महासंग्राम, मंत्री जोबा मांझी ने यूपीए प्रत्याशी की जीत का किया दावा

मंत्री हाजी हुसैन के असमय निधन के कारण मधुपुर में उपचुनाव हो रहा है. 17 अप्रैल को वोटिंग होगी, लेकिन पिछले चार चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है. मैदान में न तो हाजी हुसैन अंसारी हैं और न ही राज पलिवार. चेहरे बदल गए हैं. आमने-सामने हैं झामुमों के हफीजुल हसन और भाजपा के गंगानारायण सिंह. फर्क इतना है कि हफीजुल को पिता की विरासत बचानी है, तो आजसू से भाजपा में आए गंगा नारायण को यह साबित करना है कि वह राज पलिवार से भी मजबूत हैं. दूसरी तरफ इस चुनाव में महागठबंधन और एनडीए एकता की भी परीक्षा होनी है.

दुमका और बेरमो उपचुनाव में बीजेपी असफल

साल 2020 के दुमका और बेरमो उपचुनाव में सेंध लगाने की भाजपा की सारी कोशिश नाकाम हो गई थी. इन दोनों सीटों पर भाजपा ने उन्हीं प्रत्याशियों पर दांव लगाया था, जिनकी 2019 के चुनाव में हार हुई थी, लेकिन मधुपर में भाजपा ने रणनीति बदल दी. आजसू से लाकर गंगा नारायण को प्रत्याशी बनाया है. वहीं हेमंत सोरेन ने चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही हाजी हुसैन के बेटे हफीजुल को मंत्री बनाकर क्षेत्र में संदेश दे दिया है, कि यह सीट झामुमो के लिए कितना मायने रखती है. बहरहाल, इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि दो पार्टी प्रत्याशियों के अलावा शेष छह प्रत्याशी निर्दलीय हैं. एक और खास बात यह है कि राज्य बनने के बाद मधुपुर में ऐसा पहली बार हो रहा है कि आठ प्रत्याशियों में झामुमो प्रत्याशी को छोड़कर शेष छह निर्दलीय प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं. इसके मायने समझे जा सकते हैं.

रांची: राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक झारखंड में चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. देवघर जिला के मधुपुर विधानसभा सीट पर 2005, 2014 और 2019 में सीधी टक्कर भाजपा और झामुमो के बीच हुई. सिर्फ 2009 में झामुमो का सामना जेवीएम से हुआ. फिर भी अब तक हुए चार चुनावों में दो बार झामुमो तो दो बार भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई.

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मंत्री हाजी हुसैन के असमय निधन के कारण मधुपुर में उपचुनाव हो रहा है. 17 अप्रैल को वोटिंग होगी, लेकिन पिछले चार चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है. मैदान में न तो हाजी हुसैन अंसारी हैं और न ही राज पलिवार. चेहरे बदल गए हैं. आमने-सामने हैं झामुमों के हफीजुल हसन और भाजपा के गंगानारायण सिंह. फर्क इतना है कि हफीजुल को पिता की विरासत बचानी है, तो आजसू से भाजपा में आए गंगा नारायण को यह साबित करना है कि वह राज पलिवार से भी मजबूत हैं. दूसरी तरफ इस चुनाव में महागठबंधन और एनडीए एकता की भी परीक्षा होनी है.

दुमका और बेरमो उपचुनाव में बीजेपी असफल

साल 2020 के दुमका और बेरमो उपचुनाव में सेंध लगाने की भाजपा की सारी कोशिश नाकाम हो गई थी. इन दोनों सीटों पर भाजपा ने उन्हीं प्रत्याशियों पर दांव लगाया था, जिनकी 2019 के चुनाव में हार हुई थी, लेकिन मधुपर में भाजपा ने रणनीति बदल दी. आजसू से लाकर गंगा नारायण को प्रत्याशी बनाया है. वहीं हेमंत सोरेन ने चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही हाजी हुसैन के बेटे हफीजुल को मंत्री बनाकर क्षेत्र में संदेश दे दिया है, कि यह सीट झामुमो के लिए कितना मायने रखती है. बहरहाल, इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि दो पार्टी प्रत्याशियों के अलावा शेष छह प्रत्याशी निर्दलीय हैं. एक और खास बात यह है कि राज्य बनने के बाद मधुपुर में ऐसा पहली बार हो रहा है कि आठ प्रत्याशियों में झामुमो प्रत्याशी को छोड़कर शेष छह निर्दलीय प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं. इसके मायने समझे जा सकते हैं.

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