रांची: राजधानी में एक तरफ लॉकडाउन की वजह से किसान अपने सब्जी को दूसरे राज्यों तक पहुंचा नहीं पा रहे थे तो दूसरी तरफ बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उनके खेतों में लगे फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, जिससे उनके सामने भुखमरी की स्थिति बनी हुई है.
प्रगतिशील किसान नकुल महतो बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से किसानों को बाजार में उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा था. किसी तरह वो फसल को बचाने में लगे रहे. वहीं, बीते दिनों हुए ओलावृष्टि के कारण बचा हुआ फसल भी बर्बाद हो गया. इसके बावजूद भी किसान अपने खेतों में नजर आ रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस फसल को बर्बाद भले ही प्राकृतिक ने कर दिया हो, लेकिन अगला फसल उनके लिए एक उम्मीद की किरण लाएगी.
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किसान अयोध्या कुमार महतो ने कहा कि वह बटाई में फसल लगाते हैं, लेकिन सब्जी का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. पालक को मजबूरी में गौशाला में फेंकना पड़ रहा है. क्योंकि मार्केट में इसका कोई किमत नहीं है. किसान हमेशा उम्मीद में रहते हैं कि जब फसल तैयार होगी तो बैंक का कर्जा हो या फिर पारिवारिक काम आसानी से किया जा सकेगा, लेकिन इस बार किसान हर तरफ से लाचार नजर आ रहे हैं.
रांची के आसपास के इलाके सब्जी की खेती को लेकर काफी मशहूर माना जाता है. खासकर फुलगोभी या अन्य हरी सब्जी. राज्य भर में 9.075 हेक्टेयर जमीन में सिर्फ फूलगोभी की खेती की जाती है. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हुआ है. कांके विधायक समरी लाल ने कहा कि पिछले महीने हुए ओलावृष्टि के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इसको लेकर कृषि मंत्री को पत्र भी लिखा जा चुका है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि तमाम चीजों का आकलन कर लिया गया है जल्द किसानों को मुआवजे की राशि दी जाएगी.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक केके झा ने कहा कि लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण किसानों को नुकसान हुआ है, लेकिन किसान को निराश होने की जरूरत नहीं है. बरसाती फसल में किसान अपने नुकसान का भरपाई कर सकते हैं. अभी बहुत सारे बरसाती सीजन के हरे सब्जी का फसल लगाया जा रहा है और जिस किसान ने अब तक नहीं लगाया है वो भी अपने खेतों को जल्द से जल्द तैयार कर हरी सब्जियों की रोपाई कर ले.