रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को नियमित फंड देने में गंभीरता दिखाई और इसके लिए प्रयास भी किया लेकिन सरकार का रुख अभी तक सकारात्मक नहीं दिख रहा है. हाई कोर्ट ने कई बार विश्वविद्यालयों को फंड के लिए कहा गया लेकिन उस पर कोई गंभीर निर्णय नहीं लिया गया. ये हाई कोर्ट के अवमानना के जैसा प्रतीत होता है. अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार नहीं चाहती है तो यूनिवर्सिटी को बंद कर दें. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने शुक्रवार को बार एसोसिएसन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है.
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अदालत ने राज्य सरकार को लताड़ा
हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया गया कि, राज्य सरकार मामले को सकारात्मक रूप से ले रहा है. इसलिए उन्होंने अदालत से 2 सप्ताह का समय देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि 2 सप्ताह का समय दिया जाए ताकि मामले में गंभीरता पूर्वक सकारात्मक रूप से विचार कर अदालत को जानकारी दी जाएगी. अदालत ने उनके आग्रह को माना लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे संस्था की हालत ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसमें ना तो उसके पास इंफ्रास्ट्रक्चर है, ना पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी है, ना प्रोफेसर के रहने के लिए आवास है, ना नियमित चलाने के लिए फंड है और सरकार गंभीर रूप से विचार नहीं कर पा रही है.
अगली सुनवाई 25 फरवरी को
अदालत ने उन्हें एक मौका देते हुए कहा कि 2 सप्ताह का समय देते हैं. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की गई है. इस बीच राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है.