रांची: जमीन घोटाला मामले में ईडी की तीसरी नोटिस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है. ईडी के द्वारा भेजे गए नोटिस में 09 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ होगी. इससे पहले दो बार ईडी हेमंत सोरेन को नोटिस भेज जा चुकी है, जिसमें वे उपस्थित नहीं हुए हैं. ऐसे में तीसरी नोटिस को कानूनी रूप से अंतिम नोटिस माना जा रहा है.
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भ्रष्टाचार मामले के जानेमाने अधिवक्ता अविनाश पांडे कहते हैं कि प्रावधान के तहत लगातार तीन नोटिस भेजने के बाद कोई गवाह या अभियुक्त या संबंधित व्यक्ति उपस्थित नहीं होता है तो स्वतंत्र जांच एजेंसी न्यायालय से वारंट जारी करने का आग्रह कर सकता है. इसके अलावे संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हो सकती है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी कोई राहत संबंधी पूर्व में आदेश नहीं दिया गया है. उन्होंने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जुड़े मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी. ऐसे में ईडी द्वारा निर्धारित तिथि को उपस्थित होना मुख्यमंत्री के लिए मजबूरी होगी.
अधिवक्ता अविनाश पांडे ने जानकारी देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में ईडी द्वारा कैविएट फाइल की गई है, जिस पर जब कभी भी इस मामले में सुनवाई होगी तो ईडी को भी पक्ष रखने का अवसर मिल सकता है.
ईडी की नोटिस से बिफरा सत्तापक्ष: ईडी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजे गए तीसरी नोटिस के बाद सत्तारूढ़ दल में खलबली मच गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बचाव करते हुए केन्द्र पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से हेमंत सोरेन को जरूर राहत मिलेगी, यदि नहीं मिलेगा तो जनता की अदालत में फैसला होगा.
कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि जिस तरह से केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग हो रहा है, उससे साफ लगता है कि किस तरह से हड़बड़ी में कार्रवाई की जा रही है. ऐसे में ईडी को अदालत का फैसला आने से पहले इतनी हड़बड़ी क्यों है, समझा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार: ईडी की नोटिस पर हाजिर होने में एक सप्ताह का वक्त मुख्यमंत्री के पास जरूर है. मगर, इस दौरान 6 और 7 सितंबर को जन्माष्टमी की छुट्टी और शनिवार की वजह से 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी रहेगी. ऐसे में बचे दो तीन दिनों में यदि सुनवाई होती है और उसमें कुछ आदेश जारी होता है, तभी राहत मिलने की संभावना है नहीं तो तकरार बढ़ेगी.