रांची: फर्जी आईडी बनाकर आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) के तहत झारखंड के दो अस्पतालों में लोगों के इलाज करवाने के नाम पर 17 लाख रुपए ठग लिए गए. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (National Insurance Company Limited) ने रांची स्थित साइबर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है.
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क्या है पूरा मामला: पूरे मामले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के रांची क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य प्रबंधक ने प्राथमिकी दर्ज करवाई है. प्राथमिकी में यह कहा गया है कि एनआईसी की ओर से जब मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की गई तो इसमें यह जानकारी मिली कि अवैध एसएचए आईडी के जरिए कई अवैध इलाज के दावों के भुगतान की मंजूरी दी जा रही है. फर्जी आईडी के जरिए सारा गोलमाल किया जा रहा है. एनआईसी के अधिकारी का फर्जी आईडी बनाकर पाकुड़ के अमृत हेल्थ केयर में इलाज के नाम पर 49 मरीजों को 6 लाख 70 हजार और गिरिडीह के देवकी हॉस्पिटल में 31 मरीजों के इलाज नाम 10 लाख का भुगतान कर दिया गया है. मामला सामने आने के बाद इंश्योरेंस कंपनी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority) और झारखंड स्वास्थ्य एजेंसी को एसएचए लॉगिन के तहत सभी अनुमोदित आयुष्मान मरीजों की लिस्ट मांगी, क्योंकि एसएचए आईडी केवल बीमा कंपनी के लिए बनाई जाती है लेकिन, जिस आईडी से आयुष्मान मरीजों का भुगतान किया गया है वह इंश्योरेंस कंपनी का कर्मचारी है ही नहीं.
कैसे हुई ठगी: दरअसल, आयुष्मान भारत योजना के तहत विभिन्न स्टेक होल्डर को अलग-अलग लॉगिन आईडी दी जाती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से डिजाइन यह लॉगिन आईडी एनएचए पोर्टल से जुड़ी होती है. इसकी निगरानी झारखंड स्वास्थ्य एजेंसी या झारखंड राज्य आरोग्य सोसायटी की ओर से की जाती है. इस व्यवस्था के तहत केवल एक लाख की राशि ही भुगतान की जा सकती है. नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पूरे झारखंड में एक बीमा कंपनी के रूप में आयुष्मान भारत योजना को लागू कर रही है. पैसा देने के समय इंश्योरेंस कंपनी की आईडी से ही भुगतान होता है लेकिन यहां फर्जीवाड़ा करने वालों ने इंश्योरेंस कंपनी की फर्जी आईडी इस्तेमाल कर पैसे निकाल लिए.
जांच में जुटी साइबर टीम: मामला दर्ज होने के बाद साइबर थाने की टीम फर्जीवाड़े की जांच में जुट गई है. पूरे मामले में संदेह के घेरे में कई स्वास्थ्य कर्मी है. अंदेशा है कि फर्जी लॉगिन आईडी बनाने और धोखाधड़ी को अंजाम देने में स्वास्थ्य कर्मियों की ही अहम भूमिका रही होगी. इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी साइबर टीम जांच करेगी.