रांची: सूबे का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स में बना सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक संसाधनों की कमी के कारण जूझने को मजबूर है. हालांकि सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनने के बाद राज्य के मरीजों को हृदय से जुड़ी इलाज के लिए आसानी तो जरूर हो रही है, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य महकामे की उदासीन रवैये की वजह से सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में तैनात डॉक्टरों को मरीजों के इलाज करने में कठिनाइयां का निरंतर सामना करना पड़ रहा है.
कार्डियक सर्जन डॉ अंशुल ने दी जानकारी
सुपर स्पेशलिटी में कार्यरत वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ अंशुल प्रकाश बताते हैं कि कम संसाधन होने के बावजूद भी पिछले 2 महीनों में 12 ओपन हार्ट सर्जरी, 4 लंग सर्जरी और आठ अन्य सर्जरी सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के डॉक्टरों ने किया है. जो कि सराहनीय है.
मैन पावर के बढ़ने से हार्ट सर्जरी की भी बढ़ेगी संख्या
डॉ अंशुल प्रकाश ने बताया कि रिम्स में अगर पर्याप्त मात्रा में मैन पावर की कमी को पूरा कर दिया जाए तो रिम्स का सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में हार्ट सर्जरी की भी संख्या बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल आईसीयू वार्ड, ऑपरेशन थिएटर वार्ड में स्टाफ की कमी होने की वजह से ओपन हार्ट सर्जरी और बड़ी ऑपरेशन करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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मैन पावर की कमी
रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में फिजियोथेरेपिस्ट, असिस्टेंट नर्स, वेंटिलेटर टेक्निशियन, ओटी टेक्निशियन, ओटी असिस्टेंट ईसीजी टेक्निशियन सहित अन्य पारा मेडिकल कर्मियों की काफी कमी है. जिस वजह से सुपर स्पेशलिटी में मरीजों का सर्जरी करने में डॉक्टरों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
नई सरकार से उम्मीदें
राज्य के गरीब मरीजों की आस पर खड़ा उतरने वाला रिम्स अस्पताल पर सरकार की विशेष नजर रहनी चाहिए. लेकिन रिम्स का महत्वपूर्ण विभाग कहा जाने वाला सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में संसाधनों की कमी राज्य के स्वास्थ्य महकमे की उदासीनता को साफ दर्शाता है.
अब यह देखना होगा कि राज्य में नई सरकार के गठन के बाद झारखंड का लाइफ लाइन कहा जाने वाला रिम्स अस्पताल पर सरकार कितना ध्यान देती है ताकि राज्य के लोगों की उम्मीदों पर रिम्स और भी मजबूती से खड़ा उतर सके.