रांची: झारखंड प्रदेश कृषक मित्र महासंघ के बैनर तक राज्य के 14 हजार से अधिक कृषक मित्र मानदेय, सामाजिक सुरक्षा, सरकार द्वारा निकाली जा रही नियुक्तियों में प्राथमिकता और समायोजन जैसे कई मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं.
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पिछले महीने सत्ताधारी दलों के विधायक और मंत्री के क्षेत्रीय आवासों पर धरना प्रदर्शन और अनशन करने के बाद भी अब यह आंदोलन राजधानी पहुंच गया है. झारखंड प्रदेश कृषक मित्र महासंघ शुक्रवार को राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के आवास घेरने वाले थे, लेकिन जैसे ही इन आंदोलित कृषक मित्रों को सूचना मिली कि कृषि मंत्री रांची में नहीं है. ऐसे में आंदोलित कृषक मित्रों ने घेराव कार्यक्रम झामुमो विधायक और पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के सरकारी आवास पर शिफ्ट हो गया.
मानदेय और नियुक्तियों में प्राथमिकता सहित कई मांग: राज्य में 13 वर्षों में अपनी मांगों के समर्थन में लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इनकी मुख्य मांग हैं.
- कृषक मित्रों को सरकार वेतनमान दे, वेतनमान मिलने तक कुशल कारीगर के बराबर मानदेय दिया जाए.
- कृषक मित्रों की सेवा 65 वर्ष तक करते हुए बीमा भत्ता दिया जाए.
- कृषि विभाग द्वारा निकाले जानेवाली बहालियों में कृषक मित्रों को 50% आरक्षण दिया जाए.
- सेवा के दौरान कृषक मित्रों की मौत हो जाने पर उनके परिजन को अनुकंपा का लाभ मिले.
- कृषक मित्रों का भी सरकार बीमा करें.
सिर्फ कॉपी कलम और फाइल के लिए 1000 रुपये हर महीने मानदेय: झारखंड प्रदेश कृषक मित्र महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार भगत ने बताया कि पिछले 13 वर्षों से केसीसी, ई केवाईसी, आत्मा, पशुपालन, डोभा निर्माण, सहकारिता, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना, धान अधिप्राप्ति किसान का रजिस्ट्रेशन, बीज वितरण, यांत्रिक मशीन वितरण, जैविक खाद को बढ़ावा देने की योजना, बीएलओ के कार्य सहित कई तरह के कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन कृषक मित्र की भूमिका अहम होती है. बावजूद इसके सरकार की ओर से सिर्फ कलम, कॉपी फाइल के नाम पर एक हजार रुपया मिलता है.
शशि कुमार भगत ने कहा कि महंगाई के इस दौर में कृषक मित्र का भविष्य खराब हो रहा है, साथ-साथ उनके बच्चों का भविष्य भी खराब हो रहा है. महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि अगर हम लोगों ने कार्य बहिष्कार या हड़ताल कर दिया तब कृषि और पशुपालन की तमाम योजनाएं राज्य में ठप हो जाएंगी.