ETV Bharat / state

Kargil Vijay Diwas: याद आए शहीद नागेश्वर महतो, शहादत के बाद सरकार बने उस परिवार का सहारा- संध्या देवी

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पूरा देश वीर सपूतों को याद कर रहा है, जिन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे. रांची के शहीद नागेश्वर महतो को भी लोग याद कर रहे हैं. शहीद नागेश्वर के परिवार को देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले ऐसे सपूत पर आज भी फक्र है. मलाल बस इतना है कि सरकारी स्तर से जो मदद मिली वो काफी नहीं है.

Kargil Vijay Diwas people paid tribute to martyr Nageshwar Mahto in Ranchi
Kargil Vijay Diwas people paid tribute to martyr Nageshwar Mahto in Ranchi
author img

By

Published : Jul 26, 2022, 11:58 AM IST

रांची: साल 1999, 26 जुलाई के दिन भारत के बहादुर सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देकर पाकिस्तान के घुसपैठियों आतंकवादियों और सैनिकों को कारगिल से खदेड़ दिया था. जिसमें सैकड़ों वीर सैनिकों ने मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. आज पूरा देश उन वीर सपूतों को याद कर कारगिल विजय दिवस मना रहा है.

इसे भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस 2022: राष्ट्रपति, पीएम मोदी और राजनाथ समेत कइयों ने वीर सपूतों को किया नमन


वर्ष 1999 में 3 मई से 26 जुलाई तक चलने वाले युद्ध में कई जवानों ने वीरगति को प्राप्त किया था. ऐसे ही वीर सपूतों में रांची के नागेश्वर महतो का भी नाम शामिल है. जो 13 जून 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए शहीद हो गए. शहादत पाने के बाद नागेश्वर महतो के पीछे तीन बेटे, पत्नी छोड़ गए. नागेश्वर महतो के जाने का दुख सबको है लेकिन पूरा परिवार आज भी उन्हें याद कर गर्व महसूस कर रहा है.

देखें पूरी खबर

शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी बताती हैं कि वर्ष 1981 में नागेश्वर महतो सेना में चले गए थे और तब से लगातार वो अपने देश के लिए जुनून और जज्बे के साथ काम कर रहे. लेकिन वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बोफोर्स तोप को ठीक करने के समय पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा धोखे से की गयी बमबारी में उनके पति नागेश्वर महतो की मौत हो गयी. पाक सैनिकों द्वारा दागे गए गोले की चिंगारी उनकी आंखों में चली गई और शरीर के कई हिस्सों में बारूद लगने से वो वीरगति को प्राप्त हुए.

संध्या देवी बताती हैं कि पति के जाने के बाद 3 बच्चे और बूढ़ी मां को पालना एक चुनौती जरूर थी. लेकिन सरकारी मदद और सेना के जवान की पत्नी होने के नाते देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया. वो बताती हैं कि केंद्र सरकार की और से आर्थिक सहयोग दिया गया. जिसमें राजधानी के बिरसा चौक पर एक पेट्रोल पंप मुहैया कराया गया. लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनकी कोई मांग पूरी नहीं हुई है, जिसका उन्हें काफी दुख है.

शहीद नागेश्वर महतो के छोटे पुत्र आकाश महतो बताते हैं कि पिता का ना होना अपने आप में कई समस्याएं उत्पन्न करता है. क्योंकि एक पुत्र के लिए उनके पिता की छाया ही सबकुछ होता है. लेकिन उनके साथ उनके पिता की देशभक्ति की भावना आज भी उनके साथ है. उन्होंने देश के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग सेना में सेवा अवश्य दें. उन्होंने भी अपने पिता की तरह सेना में सेवा देने का काफी प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण उन्हें मौका नहीं मिल पाया.

शहीद नागेश्वर महतो के पड़ोसी बताते हैं कि उन्हें भी गर्व होता है कि उनके बगल में कारगिल के योद्धा रहते हैं. आज भी उनके दिलों में नागेश्वर महतो जीवित हैं. इसिलिए और वह अपने पहचान वाले को भी अपने घर का पता नागेश्वर महतो का नाम लेकर ही देते हैं. जिससे आज की पीढ़ी को भी उनकी शहादत की जानकारी होती रहे.

इसे भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस : जांबाज भारतीय सेना ने जीती थी हारी हुई बाजी, जानें कैसे हुआ मुमकिन

नायब सूबेदार शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी बताती हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान जब उनकी पति ने शहादत को प्राप्त किया था तो राज्य के कई नेता उनके घर पर आकर ढांढस बंधाया और आश्वासन दिए. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव, राबड़ी देवी, बाबूलाल मरांडी, यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि यह सभी नेता वर्ष 1999 में उनके घर आकर कई तरह के आश्वासन दिए थे लेकिन आज तक कोई भी आश्वासन पूरा नहीं हो पाया.

शहीद नागेश्वर महतो के परिजन कहते हैं कि राज्य सरकार ने राजधानी रांची में 10 डिसमिल जमीन देने का वादा किया था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. शहीद की पत्नी संध्या देवी ने शहीद नागेश्वर महतो की आदमकद प्रतिमा बनाने की मांग राज्य सरकार से की थी, यह मांग भी आज तक किसी भी सरकार ने उठाने की कोशिश नहीं की.

इसके अलावा उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करते हुए कहा कि परिवार चलाने के लिए उन्हें जो पेट्रोल पंप अलॉट किया गया है, वहां पर जिला प्रशासन और सरकारी उदासीनता के कारण ग्राहकों की कमी है. क्योंकि पेट्रोल पंप के पास जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के द्वारा बैरिकेडिंग की गयी है, जिस वजह से पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाने वाले गाड़ियों की कमी रहती है. कई बार इसकी शिकायत प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय में दी गई है. लेकिन वहां से सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा.


शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी कहती हैं कि आज भी देश में कई ऐसे वीर नारियां हैं जिन्हें उनसे भी ज्यादा कष्ट में रहना पड़ रहा है. लेकिन उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग किया है कि सभी ऐसी वीर नारियों के बेहतर जीवन यापन के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार विशेष ध्यान दें ताकि देश की सभी वीर नारी को इस बात का हमेशा फक्र रहे कि वो एक शहीद की पत्नी हैं.

रांची: साल 1999, 26 जुलाई के दिन भारत के बहादुर सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देकर पाकिस्तान के घुसपैठियों आतंकवादियों और सैनिकों को कारगिल से खदेड़ दिया था. जिसमें सैकड़ों वीर सैनिकों ने मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. आज पूरा देश उन वीर सपूतों को याद कर कारगिल विजय दिवस मना रहा है.

इसे भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस 2022: राष्ट्रपति, पीएम मोदी और राजनाथ समेत कइयों ने वीर सपूतों को किया नमन


वर्ष 1999 में 3 मई से 26 जुलाई तक चलने वाले युद्ध में कई जवानों ने वीरगति को प्राप्त किया था. ऐसे ही वीर सपूतों में रांची के नागेश्वर महतो का भी नाम शामिल है. जो 13 जून 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए शहीद हो गए. शहादत पाने के बाद नागेश्वर महतो के पीछे तीन बेटे, पत्नी छोड़ गए. नागेश्वर महतो के जाने का दुख सबको है लेकिन पूरा परिवार आज भी उन्हें याद कर गर्व महसूस कर रहा है.

देखें पूरी खबर

शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी बताती हैं कि वर्ष 1981 में नागेश्वर महतो सेना में चले गए थे और तब से लगातार वो अपने देश के लिए जुनून और जज्बे के साथ काम कर रहे. लेकिन वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बोफोर्स तोप को ठीक करने के समय पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा धोखे से की गयी बमबारी में उनके पति नागेश्वर महतो की मौत हो गयी. पाक सैनिकों द्वारा दागे गए गोले की चिंगारी उनकी आंखों में चली गई और शरीर के कई हिस्सों में बारूद लगने से वो वीरगति को प्राप्त हुए.

संध्या देवी बताती हैं कि पति के जाने के बाद 3 बच्चे और बूढ़ी मां को पालना एक चुनौती जरूर थी. लेकिन सरकारी मदद और सेना के जवान की पत्नी होने के नाते देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया. वो बताती हैं कि केंद्र सरकार की और से आर्थिक सहयोग दिया गया. जिसमें राजधानी के बिरसा चौक पर एक पेट्रोल पंप मुहैया कराया गया. लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनकी कोई मांग पूरी नहीं हुई है, जिसका उन्हें काफी दुख है.

शहीद नागेश्वर महतो के छोटे पुत्र आकाश महतो बताते हैं कि पिता का ना होना अपने आप में कई समस्याएं उत्पन्न करता है. क्योंकि एक पुत्र के लिए उनके पिता की छाया ही सबकुछ होता है. लेकिन उनके साथ उनके पिता की देशभक्ति की भावना आज भी उनके साथ है. उन्होंने देश के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग सेना में सेवा अवश्य दें. उन्होंने भी अपने पिता की तरह सेना में सेवा देने का काफी प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण उन्हें मौका नहीं मिल पाया.

शहीद नागेश्वर महतो के पड़ोसी बताते हैं कि उन्हें भी गर्व होता है कि उनके बगल में कारगिल के योद्धा रहते हैं. आज भी उनके दिलों में नागेश्वर महतो जीवित हैं. इसिलिए और वह अपने पहचान वाले को भी अपने घर का पता नागेश्वर महतो का नाम लेकर ही देते हैं. जिससे आज की पीढ़ी को भी उनकी शहादत की जानकारी होती रहे.

इसे भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस : जांबाज भारतीय सेना ने जीती थी हारी हुई बाजी, जानें कैसे हुआ मुमकिन

नायब सूबेदार शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी बताती हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान जब उनकी पति ने शहादत को प्राप्त किया था तो राज्य के कई नेता उनके घर पर आकर ढांढस बंधाया और आश्वासन दिए. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव, राबड़ी देवी, बाबूलाल मरांडी, यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि यह सभी नेता वर्ष 1999 में उनके घर आकर कई तरह के आश्वासन दिए थे लेकिन आज तक कोई भी आश्वासन पूरा नहीं हो पाया.

शहीद नागेश्वर महतो के परिजन कहते हैं कि राज्य सरकार ने राजधानी रांची में 10 डिसमिल जमीन देने का वादा किया था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. शहीद की पत्नी संध्या देवी ने शहीद नागेश्वर महतो की आदमकद प्रतिमा बनाने की मांग राज्य सरकार से की थी, यह मांग भी आज तक किसी भी सरकार ने उठाने की कोशिश नहीं की.

इसके अलावा उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करते हुए कहा कि परिवार चलाने के लिए उन्हें जो पेट्रोल पंप अलॉट किया गया है, वहां पर जिला प्रशासन और सरकारी उदासीनता के कारण ग्राहकों की कमी है. क्योंकि पेट्रोल पंप के पास जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के द्वारा बैरिकेडिंग की गयी है, जिस वजह से पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाने वाले गाड़ियों की कमी रहती है. कई बार इसकी शिकायत प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय में दी गई है. लेकिन वहां से सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा.


शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी कहती हैं कि आज भी देश में कई ऐसे वीर नारियां हैं जिन्हें उनसे भी ज्यादा कष्ट में रहना पड़ रहा है. लेकिन उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग किया है कि सभी ऐसी वीर नारियों के बेहतर जीवन यापन के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार विशेष ध्यान दें ताकि देश की सभी वीर नारी को इस बात का हमेशा फक्र रहे कि वो एक शहीद की पत्नी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.