रांचीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आह्वान पर प्रदेश कांग्रेस ने देशव्यापी ऑनलाइन अभियान स्पीक अप ऑफ इंडिया के तहत कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर आवाज उठाई है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव, कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम, मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ताओं समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, सांसदों ने कृषि काले कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर 'किसान के लिए बोले भारत' कैंपेन चलाया.
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डा रामेश्वर उरांव ने कहा कि पिछले 43 दिन से किसान आंदोलनरत हैं. लगभग 3 करोड़ अन्नदाता दिल्ली के बॉर्डर पर ठंड में छोटे-छोटे बच्चों के साथ बैठे हुए हैं. पिछले 43 दिनों के आंदोलन के दौरान लगभग 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. सात बार किसानों और उनके संगठनों से केंद्र सरकार की वार्ता विफल हो चुकी है.
दुनिया के कई मुल्कों ने यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों के आंदोलन को लेकर अपनी नाराजगी और चिंता जाहिर की है, लेकिन मोदी सरकार की किसानों की बात सुनने और उनकी चिंताओं को दूर करने में पूरी तरह से नाकाम रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों के साथ एकजुट होकर उनके लिए आवाज उठानी चाहिए और किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए. जब तक कि काला कानून वापस न हो जाए. उन्होंने कहा कि एक बार फिर प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि कृषि काला कानून वापस लिया जाए.
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विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि पूरे कोरोना काल में जब देश की सारी गतिविधियां बंद थी, देश संकट के दौर से गुजर रहा था ऐसे कठिन चुनौतियों में देश के अन्नदाताओं ने हमें भोजन की कमी नहीं होने दी. देश एक तरफ उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता है तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री काला कानून लाकर खेत और खलिहान पर कड़ा प्रहार कर रहे हैं, जिसे देश स्वीकार नहीं कर सकता.
सरकार बिना विलंब किए काला कानून ले वापस
वहीं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि काला कानून वापस लेने के लिए देश के और कितने किसानों को शहादत देनी पड़ेगी. अन्नदाता का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान. केंद्र की सरकार बिना विलंब किए काला कानून वापस नहीं लेगी, तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
अन्नदाताओं के हित में नहीं
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा नए कृषि कानून के मुताबिक किसानों को नौकरशाहों और अनुचित प्रभाव डालने वाली बड़ी कंपनियों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. कृषि बिल की अनुबंध प्रणाली के साथ मुख्य दोष यह है कि यह एमएसपी की गारंटी नहीं देता है और जो कानून किसानों के एमएसपी की गारंटी नहीं देगा, ऐसा कानून देश के किसानों के लिए, देश के अन्नदाताओं के हित में नहीं हो सकता. इसलिए सरकार अविलंब इस काले कानून को वापस ले.