रांचीः राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से आम सहमति बनाने के लिए गैर भाजपाई दलों की 15 जून को बुलाई गयी है. इस बैठक का स्वागत झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किया है. झामुमो के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी की पहल पर झामुमो का रुख क्या होगा, इसपर जल्द ही कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन करेंगे.
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झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस दौर से देश गुजर रहा है, वैसे में राष्ट्रपति जैसा संवैधानिक पद बहुत मायने रखता है. ऐसे में ममता बनर्जी की पहल प्रशंसनीय है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए कांग्रेस को जहां अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. वहीं क्षेत्रीय दलों यहां तक कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार तक से बात करने की जरूरत है.
कांग्रेस को भी अपना स्टैंड साफ करना होगा-जेएमएमः झामुमो ने राज्य में सहयोगी कांग्रेस से भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर स्टैंड साफ करने की उम्मीद जताते हुए कहा कि अकेले चलने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, टीआरएस और यहां तक की नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से भी बात करनी होगी. जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भले ही नीतीश कुमार अभी बीजेपी साथ हों पर कई मुद्दों पर उनकी विचारधारा भाजपा से अलग रही है.
ममता ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाईः टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने 15 जून को राष्ट्रपति चुनाव के मामले को लेकर 22 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. विपक्षी दलों की बैठक दिल्ली में है, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी सहित तमाम दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है. इसके अलावा टीएमसी सुप्रीमो ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, केरल के सीएम और वाम नेता पिनराई विजयन, ओड़िशा के सीएम और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक और केसीआर समेत 22 नेताओं को बुलाया है.
इस पत्र में कहा गया है कि 'राष्ट्रपति चुनाव सभी प्रगतिशील विपक्षी दलों के लिए भारतीय राजनीति के भविष्य के पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार और विचार-विमर्श करने का सही अवसर है. चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विधायकों को हमारे राज्य के प्रमुख को तय करने में भाग लेने का मौका देता है जो लोकतंत्र के संरक्षक हैं. ऐसे समय में जब हमारा लोकतंत्र संकट के दौर से गुजर रहा है, मेरा मानना है कि वंचित और अभूतपूर्व समुदायों को प्रतिध्वनित करने के लिए विपक्षी आवाजों का एक उपयोगी संगम समय की जरूरत है.'