रांची: भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड आ रहे हैं. 15 नवंबर को प्रधानमंत्री भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी जिले के उलिहातू गांव जाएंगे और धरती आबा को श्रद्धांजलि देंगे. वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा भी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उलिहातू यात्रा और जनसभा को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस ने भाजपा पर सरकारी यात्रा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी का झारखंड दौरा: सुरक्षा के किए गए पुख्ता इंतजाम, आईपीएस, डीएसपी सहित 2000 की फोर्स तैनात
वहीं बीजेपी ने कहा कि जिस तरह से पीएम मोदी सबका साथ, सबका विकास को केंद्र में रखकर देश के विकास में लगे हैं, उससे जेएमएम, कांग्रेस, राजद और अन्य भारतीय गठबंधन पार्टियां बेरोजगार हो गई हैं. ऐसे में अब जेएमएम और कांग्रेस नेता अनर्गल आरोप लगा रहे हैं.
"प्रधानमंत्री के दौरे को भाजपा का कार्यक्रम बनाने का प्रयास": झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रदेश समन्वय समिति के सदस्य विनोद पांडे ने कहा कि जिस तरह से भाजपा नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उलिहातू यात्रा को भाजपा का कार्यक्रम बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि 15 नवंबर को पीएम का उलिहातू दौरा सरकारी कार्यक्रम है, लेकिन बीजेपी नेता अभी से ही इस कार्यक्रम को पार्टी का कार्यक्रम बनाने में जुट गये हैं.
"सरना धर्म कोड की घोषणा करें पीएम": वहीं झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने प्रधानमंत्री के झारखंड दौरे को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को केंद्र में रखकर किया गया कार्यक्रम बताया है. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री झारखंड की पवित्र धरती उलिहातू आ रहे हैं तो साथ में सरना धर्मकोड, एचईसी के जीर्णोद्धार की घोषणा करें और प्रदेश और देश की जनता को एक बड़ा तोहफा दें.
मुद्दाविहीन हो गये हैं कांग्रेस और झामुमो-भाजपा: झारखंड प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने पीएम मोदी के झारखंड दौरे के दौरान सरना धर्म कोड की मांग उठाने पर कहा कि दरअसल ये लोग अब मुद्दाविहीन हो गये हैं. प्रदीप सिन्हा ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग पर आदिवासी समाज खुद बंटा हुआ है. एक बड़ा वर्ग उन लोगों के खिलाफ है जो धर्म परिवर्तन करने के बावजूद आरक्षण और अन्य आदिवासी लाभ ले रहे हैं और जरूरतमंद आदिवासी समुदाय को उसका वास्तविक अधिकार नहीं मिल रहा है. ऐसे में कांग्रेस, झामुमो और राजद के नेताओं को यह बताना चाहिए कि ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासी समाज के लिए उनकी क्या सोच है.